एक नए शोध से पता चला है कि वे पुरुष जो मसल्स बढ़ाने के लिये मसल-बिल्डिंग सप्लीमेंट लेते हैं उनमें टैस्टिकुलर कैंसर होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। जी हां ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध में पाया कि मसल्स बिल्डिंग सप्लीमेंट के अधिक सेवन से पुरुषों में टेस्टिकुलर कैंसर होने का खतरा हो सकता है। तो चलिये विस्तार से जानें कि बिल्डिंग सप्लीमेंट और इससे पुरुषों में टेस्टिकुलर कैंसर होने का खतरा क्यों बढ़ जाता है।
टेस्टिकुलर कैंसर पुरुषों के अंडकोषों में होता है। अंडकोष दरअसल पुरुषों में वीर्य का निर्माण करने वाली ग्रंथियां होती हैं। वैसे आमतौर पर तो यह 20 से 54 वर्ष की आयु वाले पुरुषों में होता है। लेकिन डोले बनाने के चक्कर में जो पुरुष मसल्स बिल्डिंग सप्लीमेंट अधिक लेते हैं उनके लिये इस शओध के परिणाम सावधान करने वाले जरूर हैं। ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के आधार पर पाया कि मसल्स बनाने वाले सप्लीमेंट्स का अधिक सेवन पुरुषों में टेस्टिकुलर कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
इस शोध के दौरान टेस्टिकुलर कैंसर से पीड़ित 900 पुरुषों का गहन परीक्षण किया गया, जिससे पता चला कि अधिकतर पुरुष मसल्स बनाने की चाहत में मसल्स बनाने वाली सप्लीमेंट् का अधिक सेवन करते थे। शोध के दौरान, उनकी आदतों, खानपान, धूम्रपान की आदत व जीनवशैली से जुड़े कई मामलों पर अध्ययन किया गया। जिससे पता चला कि 25 साल की उम्र से सप्लीमेंट का इस्तेमाल करने वाले पुरुषों को यह जोखिम अधिक होता है।
शोधकर्ता रस हॉसर के मुताबिक शोध में उन्होंने पाया कि सप्लीमेंट के सेवन का संबंध टेस्टिकुलर कैंसर से होता है। हालांकि इस कैंसर के ठीक-ठीक कारणों पर अधिक जानकारी अभी तक नहीं थी लेकिन इस शोध के बाद इस पर जानकारी जुटाने की दिशा में यह एक बड़ी उपलब्धि है। यह शोध ब्रिटिश जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित हुआ।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी का मानना है कि जब भी कोई पुरुष सामान्य जांच के लिए डॉक्टर के पास जाए तो उसे एक बार टेस्टिकुलर कैंसर की जांच भी करवा लेनी चाहिये। खासतौर पर जिन पुरुषों के परिवार में इस बीमारी का कोई इतिहास रहा हो, उन्हें तो इसके होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे पुरुषों को गहन जांच की जरूरत होती है। आप चाहें तो खुद भी नियमित रूप से स्वत: इसकी जांच कर सकते हैं। इसके लिए अंडकोषों को छूकर यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि कहीं अंडकोशो में कोई गांठ तो नहीं है, या फिर इसके आकार और स्वरूप में किसी प्रकार का बदलाव तो नहीं आया है।