आज हम बात करेंगे मूर्छा (मूर्च्छा) प्राणायाम की। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है मूर्छा प्राणायाम यानी मूर्छित हो जाना। आम भाषा में कहा जाए तो बेहोशी की स्थिति पैदा होना। इस प्राणायाम को इंग्लिश में फेंटिंग के नाम से भी जानते हैं। लेकिन बता दें कि यह प्राणायाम किसी एक्सपर्ट की देखरेख में हीं होना जरूरी है। यह प्राणायाम केवल वह व्यक्ति कर सकता है जो हर प्राणायाम में एक्सपर्ट हो या जिसे प्राणायाम की अच्छी समझ हो। आज का हमारा लेख ना केवल मूर्छा प्राणायाम की विधि (Murcha pranayama steps) के ऊपर है बल्कि आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मूर्छा प्राणायाम से सेहत को क्या-क्या लाभ (Murcha Pranayama Benefits) होते हैं? और इसे करने के दौरान किस तरह की सावधानी बरतनी जरूरी है? पढ़ते हैं आगे...
मूर्छा प्राणायाम करने की विधि (murcha Pranayam steps)
आमतौर पर यह प्राणायाम सिद्ध योगियों द्वारा किया जाता है। यह न केवल तनाव को दूर रखता है बल्कि चिंता और डिप्रेशन से लड़ता है। मानसिक समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ व्यक्ति को ऊंचे लक्ष्य प्राप्त कराने में भी ये मदद करता है। ऐसे में जानते हैं मूर्छा प्राणायाम करने की विधि-
सबसे पहले जमीन पर आसन बिछाएं और उसके ऊपर सिद्धासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब ध्यान की स्थिति में बैठें हुए अपनी आंखों को बंद करें। आपकी गर्दन, सिर और रीढ़ तीनों सीध में होनी चाहिए और आपके दोनों हाथ घुटनों के ऊपर रखे होने चाहिए। अपने मन से सभी प्रकार के विकारों और विचारों को निकाल दें अब अपने मन को शांत रखें और कोशिश करें तनाव मुक्त रहने की। अपने सिर को पीछे की तरफ झुकाएं। उज्जायी प्राणायाम के साथ नाक से धीरे-धीरे सांस लें। आपकी आंखें खुली होनी चाहिए। आप अपनी आंखों से आसमान की तरफ देखें और अपने घुटने से ऊपर हाथों पर दबाव डालते हुए रीढ़ को सीधा करते हुए सांस को कुछ समय तक रोकें। कुछ समय बाद सांस को छोड़ते हुए अपने हाथों और शरीर को भी ढ़ीला छोड़ दें। आप अपनी आंखों को बंद करके फिर से अपनी पुरानी अवस्था यानी सीध में बैठ जाएं। इस प्रक्रिया को कम से कम 3 से 4 बार दोहराएं।
नोट - अगर आप पहली बार इस आसन को कर रहे हैं तो 5 से 10 मिनट आपके लिए पर्याप्त होंगे। जैसे-जैसे दिन बढ़ते जाएंगे वैसे वैसे आप अपने समय को भी बढ़ा सकते हैं।
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प्राणायाम करने से पहले बरतने वाली सावधानियां
1 - बता दें कि इस प्राणायाम को कभी भी अकेले नहीं करना चाहिए। क्योंकि कभी-कभी इस स्थिति में व्यक्ति बेहोशी की अवस्था में चला जाता है। इसे करने के दौरान शरीर, सांस की गति, सिर का जागरूक होना बेहद जरूरी है।
2 - अगर आप दिल या लिवर की समस्या से ग्रस्त हैं तो इस प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
3 - इस प्राणायाम को करने के दौरान यदि बेहोशी जैसी हालत महसूस हो तो तुरंत इसे बंद कर दें।
4 - जो लोग हाई ब्लड प्रेशर से परेशान हैं वह भी इस प्राणायाम को ना करें।
5 - साथ ही जिन लोगों को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं वह भी इस प्राणायाम को करने से बचें।
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मूर्छा प्राणायाम को करने से मिलने वाले फायदे
1 - बता दें कि मूर्छा प्राणायाम से मन शांत रहता है और व्यक्ति हर वक्त आनंद की अनुभूति करता है।
2 - अगर व्यक्ति सिर दर्द, मानसिक समस्या, चिंता, तनाव आदि से परेशान है तो इस मूर्छा प्राणायाम के माध्यम से वह अपनी समस्या को दूर कर सकता है।
3 - मूर्छा प्राणायाम को करने से व्यक्ति का वजन भी कम होता है और व्यक्ति के अंदर ऊर्जा का विकास होता है।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदु से पता चलता है कि मूर्छा प्राणायाम कभी भी अकेले अभ्यास नहीं करना चाहिए। इसके लिए किसी एक्सपर्ट का साथ होना बेहद जरूरी है हल्की सी लापरवाही आप को बेहोश कर सकती है।
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