जानें अस्‍थमा रोगी मानसून में कैसे रखें अपना खयाल

मानसून में अस्‍थमा के मरीजों को अपना खास खयाल रखने की जरूरत होती है। इस मौसम में लापरवाही नुकसानदेह हो सकती है।
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जानें अस्‍थमा रोगी मानसून में कैसे रखें अपना खयाल


अस्थमा जैसी बीमारी होने का अर्थ यह नहीं कि आप जिंदगी के मज़े नहीं ले सकते। बस थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप हर मौसम और व्यंजन का मज़ा ले सकते हैं। हालांकि अस्थमा के मरीज़ों को हर मौसम में खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती है, लेकिन बारिश में उन्हें अधिक सुरक्षा चाहिए होती है।वातावरण में मौजूद नमी और तापमान अस्थमा के मरीज़ों को कई प्रकार से प्रभवित करता है। ऐसे में तैराकी एक अच्छा़ व्यायाम बताया जाता है क्योंकि इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।

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बरसात के मौसम के आने के साथ ही अस्थमैटिक्स की मुसीबत भी बढ़ जाती है, ऐसे में उन्हें नमी वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए या ऐसी जगहों पर नहीं जाना चाहिए जहां पर काई जमी हो। धूल मिट्टी वाली जगहों से दूर रहने का हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। अस्थमा के मरीज़ों के लिए आहार की कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन अगर उन्हें किसी प्रकार के खाद्य पदार्थ से एलर्जी हो तो सावधानी बरतनी चाहिए। अपनी प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए वो विटामिन्स और फलों का सेवन कर सकते हैं । अगर ऐसे मौसम में आपका बाहर जाना आवश्यक है तो आप अपनी दवाएं ज़रूर साथ में रखें।

 

अस्थमा अटैक के कुछ सामान्य लक्षण

  • सांस लेने में समस्या होना।
  • बच्चों में होने वाली खांसी भी समस्या बढ़ा सकती है।
  • बुखार के साथ थकान का होना।
  • सीने में जकड़न महसूस होना ।

13 वर्षीय ईशान अरोड़ा को अकसर अस्थमा के अटैक आते हैं जिसके कारण उसे स्कूल से जल्दी ही घर जाना पड़ता है। ऐसे में कम उम्र होने की वजह से उसे प्रतिदिन सावधानियां बरतनी पड़ती है। बच्चों में अस्थमा की स्थितियां कभी-कभी उनके सामान्य कार्यक्रम को भी प्रभावित करती है। ऐसे में अभिभावक को बच्चे पर बिना रोक लगाये उसे यह समझाने की कोशिश करनी चाहिए कि उसे कैसे सावधानी बरतनी है।  

 

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अस्थमा अटैक से बचने के टिप्स

  • ज्या‍दा गर्म और ज्यादा नम वातावरण से बचें क्योंकि ऐसे में मोल्ड स्पोर्स के फैलने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। आंधी और तूफान के समय घर से बाहर ना निकलें । 
  • अस्थमा को नियंत्रित रखें और अपनी दवाएं हमेशा साथ रखें । 
  • अगर आपका बच्चा अस्थमैटिक है तो उसके दोस्तों व अध्यापक को बता दें कि अटैक की स्थिति में क्या करें । 
  • हो सके तो अपने पास स्कार्फ रखें जिससे आप हवा के साथ आने वाले पालेन से बच सें ।
  • घर के अंदर किसी प्रकार के धुंए से बचें और रात को खिड़कियां खोलकर सोने के बजाय ए सी चला दें ।

मौलाना आ़जाद मेडिकल कालेज के डा एन पी सिंह के अनुसार अस्थमा के मरीज़ों के लिए बरसात से कहीं ज्यादा खतरनाक होती है धूल भरी आंधी। हां बारिश में, वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे संक्रमण की सम्भावना अधिक हो जाती है ।

 

हालांकि अस्थ‍मा के मरीज़ अगर खेल में भाग लेते हैं या व्यायाम करते हैं, तो यह उनके लिए अच्छा होता है। लेकिन कुछ मरीज़ों को प्रोग्राम्डर व्यांयाम की सलाह दी जाती है।

 

एक बार अपनी स्थितियों को समझने के बाद आपके लिए अस्थमा से बचना आसान हो जायेगा। कुछ सावधानियां बरतकर आप अस्थमा की गंभीर स्थितियों से बच सकते हैं और वातावरण को अपने अनुसार ढाल सकते हैं।

 

 

 

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