कान के बीच के हिस्से में (मिडिल इयर) इंफेक्शन क्यों होता है? जानें इसके कारण, लक्षण और बचाव के टिप्स

कान का इंफेक्शन अक्सर छोटी उम्र में शुरू होता है, लेकिन सही इलाज न करने पर ये समस्या बड़े होने पर भी परेशान करती रह सकती है।
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कान के बीच के हिस्से में (मिडिल इयर) इंफेक्शन क्यों होता है? जानें इसके कारण, लक्षण और बचाव के टिप्स

अक्सर आपने बहरापन, कान में इंफेक्शन (Ear Infection) और कान की अन्य बीमारियों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी मिडल इयर इंफेक्शन के बारे में सुना है। यह बहुत ही सामान्य समस्या है, जोकि बच्चों मे सबसे अधिक देखी जाती है। मिडल इयर इंफेक्शन (Middle Ear Infection) जिसे ओटाइटिस मीडिया (Otitis Media) के नाम से भी जाना जाता है, यह एक ऐसा संक्रमण है जो कान के मध्य यानि बीच के हिस्से में होता है। इससे कान में सूजन आ जाती है। कान में दर्द होना ही मिडल इयर इंफेक्शन की ओर इशारा करता है। हालांकि अन्य कारणों की वजह से भी कान में दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। कान के बीच का हिस्सा हमारे इयर ड्रम के पीछे पाया जाता है, जोकि युस्टेशियन नामक नली (Eustachian tube) से हमारे गले और नाक तक जुड़ा होता है। इसी ट्यूब में जब फ्लूइड और प्रेशर का जमाव होने लगता है तो बढ़ते बैक्टीरिया (Bacteria) और वायरसिस (Viruses) के कारण मिडल इयर इंफेक्शन हो जाता है। इस संक्रमण की चपेट में अधिकांश छोटे बच्चे ही आते हैं। बच्चों को अक्सर कान मे दर्द होने की शिकायत रहती है। सामान्य संक्रमण होने के कारण माता पिता बच्चे के कान में हो रहे दर्द पर ज्यादा ध्यान नहीं देते और अक्सर इसे मामूली दर्द समझकर बच्चों के कान मे सरसों आदि का तेल डालकर छोड़ देते है। इस समस्या पर सही समय पर ध्यान न देने से बच्चों में बहरेपन का खतरा बढ़ सकता है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो भारत सहित कुछ और देशों मे इस समस्या का खतरा अधिक रहता है। 

जानें तीन प्रकार के मिडल ईयर इंफेक्शन

एक्यूट ओटाइटिस मीडिया (Acute otitis media)

एक्यूट ओटाइटिस मीडिया में आपके इयर ड्रम के पीछे के हिस्से में सूजन और लालपन हो जाता है। इसमे आपको बुखार आने के साथ-साथ कान में दर्द होने की भी शिकायत हो सकती है।  

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ओटाइटिस मीडिया विद इफ्यूजन (Otitis Media With Effusion)

ओटाइटिस मीडिया विद इफ्यूजन में आपके कानों का इलाज हो जाने के बाद भी मवाद जमा रहती है। साथ ही कुछ समय तक के लिए आपके कानों में भारीपन भी महसूस होता है।

क्रोनिक ओटाइटिस मीडिया विद इफ्यूजन (Chronic Otitis Media With Effusion)

क्रोनिक ओटाइटिस मीडिया विद इफ्यूजन इंफेक्शन के खत्म हो जाने के बावजूद भी लंबे समय तक कान में मवाद जम सकता है और ठीक से सुनाई न देना और नए इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ सकता है। 

ear infection

जानिए इसके कारण 

  • जन्म के समय बच्चे के यूस्टेशियन ट्यूब में कमी रह जाने से भी बच्चा संक्रमण की गिरफ्त में आ सकता है।
  • नाक या गले में होने वाली एलर्जी के कारण भी यह इंफेक्शन हो सकता है, इस कारण यूस्टेशियन ट्यूब ब्लॉक हो जाती है और कान में सूजन भी आने लगती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कमजोर होने पर आप इस समस्या का शिकार बन सकते हैं। कई बार तो सर्दी जुकाम जैसी छोटी समस्याएं भी इसको बड़ा रूप दे देती हैं।
  • यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से अस्थमा की चपेट में है तो उसे भी यह संक्रमण आसानी से हो सकता है। 
  • धुंआ और प्रदूषण भी इसका प्रमुख कारण है।
  • शिशुओं के पीठ के बल लेटकर बोतल से दूध पीने के कारण भी यह इंफेक्शन हो सकता है। ऐसी स्थिति में कई बार दूध पेट में न जाकर यूस्टेशियन ट्यूब में भी जा सकता है, जिससे इस ट्यूब में ब्लॉकेज का खतरा बढ़ सकता है और संक्रमण फैल सकता है। 

यह हैं मिडल ईयर इंफेक्शन के लक्षण 

  • कान और सिर में दर्द 
  • कान के पीछे के हिस्से में सूजन
  • खांसी आना और कान बहना
  • अधिकांश बच्चों में ऐसी समस्या होने पर बुखार भी आता है
  • सुनने में कठिनाई होना 
  • कान में भारीपन महसूस करना
  • जी मचलना और उल्टी आना 

यहां जानिए इस समस्या से कैसे करें बचाव 

  • शिशुओं को बोतल से दूध पिलाते समय पीठ के बल लेटाकर दूध न पिलाएं। ऐसे में दूध के यूस्टेशियन ट्यूब में जाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। संभव हो तो उन्हें खड़े होकर ही दूध पीना सिखाएं। 
  • मां के दूध में एंटीबॉडी की मात्रा पाई जाती है, जो बच्चों को संक्रमण से भी बचाता है। कोशिश करें कि बच्चे को स्तनपान 6 से 8 महीने तक कराएं। 
  • बच्चे को नहलाते समय भी इस बात का ध्यान रखें कि उसके कान में पानी तो नहीं जो रहा है। 
  • चिकित्सक की सलाह लिए बगैर बच्चे के कान में तेल न डालें। 
  • प्रदूषण से खुद को दूर रखें और कान साफ करते समय पूरी सावधानी बरतें।
  • किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा धूम्रपान का धुंआ अपने तक न पहुंचने दें। 

मिडल इयर इंफेक्शन सामान्य समस्या जरूर है, लेकिन नजरअंदाज करने वाली नहीं। बच्चे संवेदनशील होते हैं इसलिए संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। इस लेख में दिए गए कारणों और लक्षणों की पहचान करें और इससे बचाव करें। 

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