डिमेंशिया, याददाश्त में कमी से जुड़ी एक मानसिक बीमारी है, जो कि वृद्ध लोगों में अधिक देखने को मिलती है। लेकिन कुछ मामलों में युवाओं या कम उम्र के लोगों में भी डिमेंशिया की शिकायत देखने को मिलती है। डिमेंशिया लक्षणों के एक समूह का वर्णन करता है, जो याददाश्त या स्मृति, सोच और सामाजिक क्षमताओं को प्रभावित करता है। यदि इस समस्या का समय रहते इलाज करवा दिया जाए, तो स्थिति निंयत्रित हो सकती है। लेकिन इसे अनियंत्रित छोड़ने से यह समय के साथ आगे बढ़ता चला जाता है और बद से बदतर होता जाता है। डिमेंशिया के लक्षण रोगी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज और जीवन को प्रभावित करते हैं। यह स्थिति मस्तिष्क में शारीरिक परिवर्तनों के कारण होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, डिमेंशिया दुनिया भर में वृद्ध लोगों में निर्भरता के प्रमुख कारणों में से एक है।
डिमेंशिया का समय रहते इलाज और इसे नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन लोगों में इसके प्रित जानकारी की कमी होने की वजह से इसका इलाज और देखभाल को नजरअंदाज किया जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके हर साल, लगभग 10 मिलियन नए मामले होते हैं। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में यह काफी आम है। आइए यहां हम आपको डिमेंशिया के 7 स्टेज बताते हैं, जिनसे आपको इन्हें पहचानकर इलाज और देखभाल में मदद मिल सकती है।
डिमेंशिया के 7 स्टेज
यहां डिमेंशिया के शुरूआत से लेकर आखिरी पड़ाव तक के 7 स्टेज बताए गए हैं, जिनके बारे में जानना आपके लिए आवश्यक है:
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1. स्टेज1: कोई संज्ञानात्मक गिरावट नहीं
यह डिमेंशिया का पहला स्टेज है, जिसमे कि किसी व्यक्ति में इससे जुड़े कोई लक्षण नहीं दिखते। इसमें ना कोई हानि है और मानसिक कार्य भी सामान्य है। इस समय बीमारी के लक्षणों को नोटिस करना कठिन हो सकता है, लेकिन टेस्ट या परीक्षणों से कोई समस्या सामने आ सकती है।
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2. स्टेज 2: संज्ञानात्मक कार्यों में हल्की गिरावट
इस चरण में बहुत हल्के लक्षण शामिल होते हैं, जिसकी वजह ये हमें आमतौर पर सामान्य लग सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोग इन लक्षणों को उम्र बढ़ने के प्रभाव के रूप में गिनते हैं। उदाहरण के लिए- किसी व्यक्ति विशेष का नाम भूल जाना, जगहों के नाम या फिर कोई वाक्यांश भूल जाना। इन लक्षणों के दिखते आप इसे उम्र के बढ़ने से जोड़ने के बजाय, जांच करवा सकते हैं।
3. स्टेज 3: लगातार हल्की संज्ञानात्मक गिरावट
इस स्टेज में पिछले स्टेज की तुलना में लक्षण बदतर हो जाते हैं। आप व्यक्ति की सोच और तर्क क्षमता में बदलाव देख सकते हैं। इस स्तर पर लक्षण काफी ध्यान देने योग्य हो जाते हैं, जिसमें हल्की संज्ञानात्मक हानि भी शामिल है। इसमें काम में प्रदर्शन में कमी, रोजमर्रा के कामों पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और हाल ही की घटनाओं और अनुभवों को याद करने में कठिनाई हो सकती है।
4. स्टेज 4: मध्यम संज्ञानात्मक गिरावट या अर्ली-स्टेज डिमेंशिया
इस स्टेज में डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को पैसे संभालने और ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ नए स्थानों पर अकेले यात्रा करने में कठिनाई हो या रास्ता भूलने आदि जैसी समस्याएं हो सकती है। इसके अलावा, इस स्टेज में उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ सकता है। यह स्टेज कम से कम 2 साल तक के लिए चल सकता है। इसमें व्यक्ति को वस्तुओं का गलत उपयोग करना, हाल की बातचीत या घटनाओं को भूल जाना, एक बातचीत में सही शब्द खोजने के लिए संघर्ष, चिंता, चिड़चिड़ापन या डिप्रेशन की भावनाओं में वृद्धि, नए लोगों से मिलते समय नाम याद रखने में परेशानी आदि समस्याएं हो सकती हैं।
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5. स्टेज 5: मामूली रूप से गंभीर गिरावट
इसमें रोगी को दिन के कार्यों को पूरा करने के लिए सहायता की आवश्यकता हो सकती है। वह फोन नंबर, पते या बच्चों या परिवार के सदस्यों के नाम जैसे मामूली विवरण भूल सकता है। इसके अलावा, कपड़े पहनने के लिए भी सहायता की आवश्यकता होती है।
6. स्टेज 6: गंभीर संज्ञानात्मक गिरावट या मिडिल-डिमेंशिया
मिडिल-डिमेंशिया के इस स्टेज में रोगी की हालत पहले से बदतर हो जाती है, जिसमें वह अपने जीवन की जरूरी और कीमती चीजों को भी भूलने लगता है। इस अवस्था में व्यक्ति में अपने जीवनसाथी का नाम भूलने या जीवन की बड़ी समस्याओं, बोलने में कठिनाई, व्यक्तित्व या भावनाओं में बदलाव या चिंता जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें व्यक्ति को दिन-रात सोने और भ्रमित होने की समस्या, भटकना या खो जाना, भ्रम, आक्रामकता और चिड़चिड़ेपन में वृद्धि और नींद पैर्टन में बदलाव शुरू हो सकते हैं।
7. चरण 7: बहुत अधिक गंभीर संज्ञानात्मक गिरावट या लेट-स्टेज डिमेंशिया
लेट-स्टेज डिमेंशिया, डिमेंशिया का अंतिम चरण हैं, जिसमें व्यक्ति लगभग अपना सुद-बुद खोने लगता है। इस चरण में बहुत गंभीर संज्ञानात्मक गिरावट औसतन 2.5 साल तक रहती है। इस चरण में एक व्यक्ति के पास बोलने या बातचीत करने की क्षमता नहीं होती है और उसे चलने सहित अपने सभी कामों के लिए मदद की जरूरत होती है। इस अवस्था में रोगी को खाने और निगलने में कठिनाई, वजन में परिवर्त, बेचैनी, गुस्सा आना आदि कई समस्याएं हो सकती हैं। इस चरण के दौरान, देखभाल करने वाले को ज्यादातर आराम और जीवन की गुणवत्ता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इस तरह डिमेंशिया के लक्षणों को शुरूआती स्टेज में पहचानकर उसे नियंत्रित किया जा सकता है।
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