डिमेंशिया मस्तिष्क की एक गंभीर बीमारी है, जिसके कारण व्यक्ति की याददाश्त चली जाती है। दुनियाभर में डिमेंशिया रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। दरअसल आजकल के खराब खानपान और गलत जीवनशैली के कारण लोग कम उम्र में ही डिमेंशिया के शिकार हो रहे हैं। इन्हीं खतरों को देखते हुए मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहली बार डमेंशिया से बचाव के लिए गाइडलाइन जारी की है।
डिमेंशिया से जिंदगी हो जाती है मुश्किल
डिमेंशिया ज्यादातर 50 साल की उम्र के बाद होता है। लेकिन इससे बचाव के लिए आपको युवावस्था से ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। बुढ़ापे में डिमेंशिया के कारण व्यक्ति को जिंदगी जीने में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। डिमेंशिया के कारण शुरुआत में व्यक्ति जरूरी सामान, चाबियां, व्यक्तियों के नाम, रंगों की पहचान आदि भूलने लगता है। समस्या बढ़ने पर व्यक्ति का दिमाग इतना कमजोर हो जाता है कि वो अपने परिवार, रिश्तेदार, घर का रास्ता, लोगों के चेहरे आदि सबकुछ भूल जाता है।
इसके अलावा कई बार व्यक्ति की संवेदनशीलता इतनी कम हो जाती है कि उसे पेशाब करने, मल त्याग करने का भी पता नहीं चलता है। डिमेंशिया से प्रभावित व्यक्ति की पारिवारिक और सामाजिक जिंदगी बहुत मुश्किल हो जाती है।
इसे भी पढ़ें:- ब्रेन स्ट्रोक से एक महीने पहले ही शरीर देने लगता है ये 6 संकेत, रहें सावधान
टॉप स्टोरीज़
डिमेंशिया से कैसे बचें?
WHO के अनुसार डिेमेंशिया से बचना चाहते हैं, तो निम्न बातों का ध्यान रखें।
- रोजाना एक्सरसाइज जरूर करें।
- अगर धूम्रपान करते हैं, तो ये आदत आज से ही छोड़ दें।
- हेल्दी और पौष्टिक चीजें ही खाएं। ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक आहार जैसे- फल, सब्जियां, नट्स, मछली आदि का सेवन करें।
- एल्कोहल का सेवन बहुत सीमित मात्रा में करें।
- अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी समस्याएं हैं, तो जीवनशैली में बदलाव कर इन्हें जल्द से जल्द कंट्रोल करें।
- लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं, दोस्ती रखें और परिवार के साथ समय बिताएं क्योंकि अकेलापन भी डिमेंशिया का कारण बन सकता है।
क्या कहती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट?
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि दुनियाभर में लगभग 5 करोड़ लोग अल्जाइमर या डिमेंशिया से प्रभावित हैं। इस खतरनाक रोग के हर साल 1 करोड़ से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। सन् 2030 तक डिमेंशिया एक चिंताजनक बीमारी बन जाएगी, क्योंकि इसके मरीजों की देखभाल के लिए हर साल 20 लाख करोड़ डॉलर की रकम खर्च करनी पड़ेगी।
डिमेंशिया का नहीं है कोई इलाज
डिमेंशिया को गंभीर बीमारी इसलिए माना जाता है क्योंकि अब तक इसका कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। डिमेंशिया से सिर्फ बचाव किया जा सकता है, जिसके लिए ऊपर बताई गई टिप्स को युवावस्था से ही फॉलो करना जरूरी है।
Read More Articles On Other Diseases in Hindi