नई माताओं में होने वाली मानसिक समस्‍याओं को न करें नजरअंदाज, शिशु पर पड़ सकता है बुरा असर

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक, 90 फीसदी महिलाओं को मानसिक समस्‍याओं का समाधान नहीं मिल पाता है। इसके लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
नई माताओं में होने वाली मानसिक समस्‍याओं को न करें नजरअंदाज, शिशु पर पड़ सकता है बुरा असर


मानसिक स्वास्थ्य और कुशलता के बारे में जानकारी देने के लिए प्रतिबद्ध गैर-लाभकारी संगठन व्हाइट स्वान फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ ने मातृ मानसिक स्वास्थ्य पर अंग्रेज़ी, हिंदी, कन्नड़ एवं बांग्ला में एक ई-बुक जारी करने की घोषणा की है। इस ई-बुक को निमहांस के पेरिनेटल मेंटल हेल्थ क्लिनिक एवं बेंगलुरू स्थित मनोचिकित्सकों, स्त्रीरोग विशेषज्ञों और प्रसूति विशेषज्ञों के मार्गदर्शन तथा उनसे प्राप्त आदानों के आधार पर तैयार किया गया है।

गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को नई मां या उनके परिवारजन एवं पेशेवर- दोनों ही वर्ग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। साथ ही कई अध्ययन होने वाली मां और बच्चे के स्वास्थ्य (जिसमें मानसिक स्वास्थ्य शामिल होना चाहिए) के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी की ओर इशारा करते हैं। इन कारणों से मां के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की गिनती स्वास्थ्य के प्रमुख मुद्दों में होनी चाहिए।

mental-health

उपलब्ध तथ्य यही बताते हैं कि इस पर विशेष जोर देने की जरूरत है:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक विकासशील देशों में 15.6 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य समस्या से ग्रसित रहती हैं। इनमें अवसाद सबसे आम समस्या है।

यह अनुमान है कि भारत में हर पांच नई माताओं में से एक प्रसवोत्तर अवसाद से ग्रसित रहती है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2016 से पता चला है कि 85 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज ही नहीं किया जाता है। मातृ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में लगभग 90 प्रतिशत मामलों में उपचार प्राप्त नहीं होता है।

स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ और स्तनपान सलाहकार डॉक्‍टर शोइबा सल्दानहा का कहना है कि “महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बहुत सी भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिन्हें दुर्भाग्यवश यह कहकर दरकिनार कर दिया जाता है कि ऐसा उनके काम करने के कारण हो रहा है या गर्भावस्था के दौरान थकान होना सामान्य बात है। विशेष रूप से प्रसव के बाद बहुत सी महिलाएं वास्तव में कुछ हद तक प्रसवोत्तर उदासी से गुजरती हैं और उनमें से कुछ अवसाद में भी चली जाती हैं। लेकिन इसकी पहचान नहीं हो पाती है क्योंकि महिलाएं और उनके परिवार के लोग इन संकेतों को नहीं समझ पाते हैं।”

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के बाद मां की मानसिक स्वास्थ्य समस्या बच्चे के विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। मां की मानसिक समस्या का उपचार संभव है और प्रभावी हस्तक्षेप, चाहे वह सुप्रशिक्षित गैर-विशेषज्ञ स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा ही क्यों न हो, संकट को काफी कम कर सकता है। (चिड़चिड़ापन व थकान और अनिद्रा हैं डिप्रेशन के लक्षण)

मातृ मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों में जानकारी की कमी सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है। इसकी वजह से नई माता के स्वास्थ्य पर ध्यान न दिया जाना, गलत इलाज होना, मदद नहीं मिलना और लंबे समय तक समस्या से पीड़ित रहने जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इसका समाधान यह है कि लोगों को सही जानकारी प्राप्त हो ताकि वे सटीक निर्णय ले सकें और उचित सेवाएं हासिल कर सकें।

इस ई-बुक के माध्यम से व्हाइट स्वान फाउंडेशन का प्रयास यह है कि गर्भवती एवं नई माताओं को बेहतर जानकारी मिल सके, जैसेकि गर्भावस्था के दौरान किस तरह के भावनात्मक बदलाव सामने आ सकते हैं और उन्हें कब मदद लेनी चाहिए। इसके अलावा  इस ई-बुक में उन मामलों की एक सूची भी शामिल है जिनके बारे में महिलाओं को जागरूक होने की जरूरत है। प्रसूति विशेषज्ञ के साथ उन्हें कब और क्या चर्चा करनी चाहिए इसकी जानकारी भी दी गई है।

इसे भी पढ़ें: अवसाद के इलाज में कारगर है म्यूजिक थेरेपी

व्हाइट स्वान फाउंडेशन के सीईओ मनोज चंद्रन का कहना है कि “व्हाइट स्वान फाउंडेशन लोगों के बीच मातृ मानसिक स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान बढ़ाने और इसे प्रसारित करने के लिए प्रतिबद्ध है। मातृ मानसिक स्वास्थ्य के विषय पर तैयार हमारी यह ई-बुक इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक छोटा सा कदम है। हमें उम्मीद है कि हजारों नई माताओं और उनके परिवारों को इस ई-बुक के माध्यम से और इस विषय पर हमारी वेबसाइट में प्रकाशित अतिरिक्त जानकारी से लाभ मिलेगा।"

यह ई-बुक निःशुल्क है और इसे व्हाइट स्वान फाउंडेशन की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है- www.whiteswanfoundation.org

Read More Articles On Other Diseases In Hindi

Read Next

गर्भावस्‍था में शराब पीने से शिशु के दिमाग पर पड़ता है असर, जानें जच्‍चा-बच्‍चा को होने वाले नुकसान

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version