मेनोपॉज में होने वाली कठिनाइयों को अब कहें बाय-बाय, एक्सपर्ट्स ने सुझाया इलाज का नया तरीका

जानें जेनिटूरिनरी सिंड्रोम ऑफ मेनोपॉज के विषय में विस्तार से और पाएं मेनोपॉज से संबंधित परेशानियों से छुटकारा।
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मेनोपॉज में होने वाली कठिनाइयों को अब कहें बाय-बाय, एक्सपर्ट्स ने सुझाया इलाज का नया तरीका

मिडिल एज की ऐसी महिलाएं जो मेनोपॉज के लक्षणों से जूझ रही हैं उनके लिए राहत भरी खबर है। हाल ही में नार्थ अमेरिकन मेनोपॉज सोसाइटी  (NAMS) ने मेनोपॉज के जेनिटूरिनरी सिंड्रोम (GSM) से संबंधित कुछ नए सुझाव दिए हैं जो महिलाओं के लिए बेहद कारगर सिद्ध होंगे। पहले तो जाने कि आखिर क्या है जेनिटूरिनरी सिंड्रोम ऑफ़ मेनोपॉज (GSM)?असल में जेनिटूरिनरी सिंड्रोम ऑफ़ मेनोपॉज का मतलब महिलाओं में कमर के नीचे के हिस्से में होने वाली बीमारियों से है। महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा  कम होने से जेनिटूरिनरी सिंड्रोम ऑफ़ मेनोपॉज यानी (GSM) से पीड़ित होने की संभावना बनी रहती है। सही समय पर यदि इस ओर ध्यान ना दिया जाए तो आगे चलकर इस समस्या के कारण वजाइना में ड्रायनैस,जलन होने के साथ ही पार्टनर से संबंध स्थापित करने के दौरान दर्द आदि का अनुभव होता है। यही नहीं, महिलाओं को इस दौरान पेशाब में जलन और दर्द आदि कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है।

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जेनिटूरिनरी सिंड्रोम ऑफ़ मेनोपॉज का इलाज संभव है 

जेनिटूरिनरी सिंड्रोम ऑफ़ मेनोपॉज के इलाज को लेकर पिछली अनुशंसा साल 2013 में आई थी। तब से लेकर अब तक इस बीमारी के इलाज में क्रन्तिकारी बदलाव आये हैं। जैसे पिछली बार की तुलना में इस बार जेनिटूरिनरी सिंड्रोम ऑफ़ मेनोपॉज में जैनेटिक और यूरीनरी इन्फेक्शन को भी जोड़कर देखा जाएगा। नार्थ अमेरिकन मेनोपॉज सोसाइटी  (NAMS) की मेडिकल डायरेक्टर स्टेफ़नी एस फ़ॉबियन के अनुसार, ‘मेनोपॉज के इलाज में 2013 की तुलना में बेहद क्रांतिकारी और बड़े बदलाव आ चुके हैं’। 

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इलाज में लापरवाही सबसे बड़ी चुनौती 

नार्थ अमेरिकन मेनोपॉज सोसाइटी के अनुसार मेनोपॉज से जूझ चुकीं 27% से  84% महिलाओं को यह बीमारी जीवन भर परेशान करती है। इस बीमारी के चलते अधिकांश महिलाओं के जीवन पर सीधा असर पड़ता है। एक्सेर्ट्स के अनुसार, सही समय पर बीमारी डायग्नोज़ ना होना और क्लिनिक्स का इलाज को लेकर ढुलमुल रवैया,जेनिटूरिनरी सिंड्रोम ऑफ़ मेनोपॉज के लिए ज्यादा जिम्मेदार है। 

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इलाज के कौन से तरीके कारगर 

नार्थ अमेरिकन मेनोपॉज सोसाइटी  (NAMS) ने मेनोपॉज के जेनिटूरिनरी सिंड्रोम (GSM) के इलाज  से संबंधित कुछ नए सुझाव दिए हैं जो महिलाओं के लिए बेहद कारगर सिद्ध होंगे। प्रमुख बात यह है कि ये सोसायटी चाहती है कि हर महिला को इस विषय पर सक्रिय जानकारी हो, ताकि वे मानसिक रूप से अधिक तैयार रहें और जान सकें कि उनके लिए संसाधन या सुविधाएं क्या हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं…

  • -नॉन हार्मोनल लुब्रिकेंट्स का इस्तेमाल। 
  • -लंबे समय तक टिके रहने वाले वजाइना मोइश्चराइज़र का इस्तेमाल। 
  • -लो डोज़ वजाइना एस्ट्रोजेंस का इस्तेमाल (उन मामलों में जहां बीमारी की तीव्रता अधिक है)।
  • -ट्रांसडरमल और ओरल हार्मोन थेरेपी (उन मामलों में जहां महिलाओं को अपने पार्टनर से संबंध बनाने के दौरान दर्द -जलन आदि का अनुभव होता है।

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नार्थ अमेरिकन मेनोपॉज सोसाइटी  (NAMS) की मेडिकल डायरेक्टर स्टेफ़नी एस फ़ॉबियन के अनुसार, ‘साल 2020 में मेनोपॉज के इलाज को लेकर सुझाए गए तरीकों में लेजर तकनीक से इलाज भी शामिल है, हालांकि इस दिशा में और काम होना बाकी है इसलिए यह कह पाना अभी मुश्किल है कि क्या मेनोपॉज के इलाज में लेजर तकनीक पूरी तरह से कारगर साबित होगी’।

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