कोरोना महामारी का प्रकोप पिछले एक साल से जारी है। दुनिया भर में लगभग 5.5 करोड़ लोग इस वायरस के शिकार हो चुके हैं पर ये संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा। वैक्सीन को लेकर अभी भी जहां, अनिश्चितता की स्थिति है, वहीं शोधकर्ता अब दूसरी बीमारियों के फैलने का डर जता रहे हैं। 'लैंसेट' पत्रिका (Lancet) में प्रकाशित एक शोध की मानें, तो आने वाले साल 2021 में दुनिया भर की एक बड़ी आबादी को खसरा (Measles Outbreak in 2021) हो सकता है। ऐसा इसलिए कि इस साल कोरोना वायरस के कारण अधिकतर बच्चों का सही से टीकाकरण नहीं हो पाया है और दुनियाभर में अनेक बच्चे इस साल खसरे के टीके से वंचित रह गए हैं। साथ ही शोध में शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस (Coronavirus) से छुटकारा नहीं मिल पाने और दूसरी बीमारियों के फैलने को लेकर कई और चिंताएं भी जाहिर की हैं। तो, आइए विस्तार से जानते हैं क्या कहता है ये शोध।
क्या कहता है ये शोध?
लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन (Actions needed now to prevent further increases in measles and measles deaths in the coming years) में देश और दुनिया के स्वास्थ्य संस्थानों को आगामी साल 2021 में नई बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। इस रिपोर्ट में विशेषतौर पर खसरा को लेकर चिंता जताई गई है। शोध में बताया गया है कि आने वाले साल में दुनियाभर में खसरा के कारण (Measles outbreaks forecast for 2021) बच्चों का मृत्युदर बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए कि डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि अक्टूबर 2020 के अंत तक, 26 देशों में टीकाकरण अभियानों में देरी के कारण 94 मिलियन बच्चे खसरे के टीके से वंचित रह गए हैं।
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स्वास्थ्य संगठन फॉलो करें ये 3 एक्शन प्लान
लैंसेट में प्रकाशित इस शोध में खसरा से लड़ने के लिए एक 3 एक्शन प्लान (Action Plan)भी सुझाया गया है। शोध में बताया गया है कि आगामी वर्षों में बच्चों में खसरा और खसरा से होने वाली मौतों में वृद्धि को रोकने के लिए अब आवश्यक कार्रवाई के तहत हमें 3 चीजों का पालन करना होगा।
- 1) टीकाकरण अभियानों के माध्यम से दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा से बच्चों में खसरा का टीकाकरण करवाना होगा।
- 2) तमाम देशों को कोरोना महामारी के चलते होने वाले अपेक्षित प्रकोपों जैसे कि खसरे जैसी पुरानी बीमारियों के लिए तैयार रहना होगा।
- 3) डब्ल्यूएचओ के नए मीजल्स रूबेला स्ट्रैटेजिक फ्रेमवर्क 2021-2030 के तहत खसरा और रूबेला उन्मूलन लक्ष्यों को फॉलो करने की कोशिश करनी होगी।

टीकाकरण एजेंडा 2030
खसरा को लेकर किए गए इस शोध के लेखक और मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख प्रोफेसर किम मुलहोलंद (Professor Kim Mulholland)ने दुनियाभर के देशों में टीकाकरण की प्रक्रिया में रुकावट को लेकर एक बड़ी चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि कोरोना महामारी के कारण 94 मिलियन बच्चे खसरे के टीके से वंचित रह गए हैं, जिससे कि भविष्य में इन बच्चों को इस बीमारी के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए तमाम देशों को साल 2030 तक टीकाकरण एजेंडा चलाकर अपने पूर्ण टीकाकरण करने की कोशिश करनी चाहिए।
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प्रोफेसर मुलहोलंद ने कहा कि 2020 खसरा के लिए एक शांत वर्ष रहा पर इस साल टीकाकरण अभियान का सही से न चलने के कारण आने वाले सालों में इसका प्रकोप दिख सकता है। इसलिए तमाम देशों को कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए भी अपने टीकाकरण अभियान को तेज करना चाहिए। साथ ही तमाम देशों में राष्ट्रीय कोविड -19 नियंत्रण उपायों के तहत, विभिन्न संस्थानों को आर्थिक प्रभावों को कम करते हुए बच्चों में कुपोषण के कारण होने वाली परेशानियों और टीकाकरण के अभाव से होने वाली बीमारियों को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
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