शायद यह अस्थमा नहीं, पल्मोनरी हाइपरटेंशन है!

अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के लक्षण काफी कुछ समान होते हैं, जिस कारण लोग अक्सर इनकी पहचान को लेकर भ्रमित हो जाते हैं।
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शायद यह अस्थमा नहीं, पल्मोनरी हाइपरटेंशन है!

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) को वातस्फीति (एम्फीसेमा) और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस सहित प्रगतिशील सांस की बीमारियों को संबोधित करने में इस्तेमाल किया जाता है। सीओपीडी होने पर वायु का बहाव कम हो जाता है और सूजन बढ़ जाती है। क्योंकि अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के लक्षण काफी कुछ मिलते जुलते हैं, अक्सर लोग सीओपीडी और अस्थमा को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। तो चलिये आज जानते हैं कि अस्थमा और पल्मोनरी हाइपरटेंशन के बीच लोगों को क्या भ्रम होता है।   

 

Pulmonory Hypertension in Hindi

 

अस्थमा और सीओपीडी के बीच लगों की उलझन

अस्थमा को काफी ह़द तक एक अलग प्रकार की सांस की बीमारी माना जाता है, लेकिन इनके लक्षण समान होने के कारण लोग कभी - कभी इसे सीओपीडी समझ लेते हैं। इन समान लक्षणों में पुरानी खांसी, घरघराहट, और सांस की तकलीफ शामिल होते हैं।

 

हैल्थलाइन डाटकॉम के मुताबिक बेथ इजरायल मेडिकल सेंटर में पल्मोनरी, स्लीप मेडिसन व क्रिटिकल केयर के प्रमुख डॉ. फिलिप फैक्टर इस विषय पर कहते हैं कि "लाखों लोगों को सीओपीडी की समस्या होती है, लेकिन वे इसे पहचान नहीं पाते क्योंकि उनका इलाज अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के लिए हुआ होता है, या फिर होता ही नहीं। धूम्रपान करने वाले या छोड़ चुके लोगों में इस रोग के लक्षणों की ठीक प्रकार से पहचान कर इस समस्या से कफी हद तक निपटा जा सकता है। सीओपीडी से ग्रस्त मरीजों की लगभग 40 प्रतिशत को अस्थमा भी होता है, जोकि रोग के विकास के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है।

 

Pulmonory Hypertension in Hindi

 

 

अस्थमा और सीओपीड में फर्क

 

रोगी की उम्र

एयरवे में रुकावट होना दोनों रोगों का कारण बनती है। सीओपीडी के लक्षणों के स्वयं दिखाई देने पर इसकी अस्थमा से अलग होने की पहचान की जा सकती है। कुछ डॉक्टर बताते हैं कि अस्थमा से पीड़ित लोगों का आमतौर पर बच्चों के रूप में निदान किया जाता है। वहीं दूसरी ओर सीओपीडी के लक्षण केवल वर्तमान या पूर्व में धूम्रपान करने वाले 40 वर्ष की आयु से अधिक के वयस्कों में आमतौर पर दिखाई देते हैं।  

 

स्पिरोमेट्री वास्तव में सीओपीडी का निदान करने के लिए सबसे आसान तरीका है। हालांकि डॉक्टरों के पास इसके निदान के अन्य विकल्प जैसे सीटी स्केन आदि भी मौजूद हैं। धमनियों से रक्त गैस के अध्ययन का तरीका अब प्रचलन में नहीं है। फेफड़े की कार्यक्षमता का निर्धारण करने की तत्काल तरीके के रूप में एक पीक फ्लो मीटर का उपयोग किया जाता है, जोकि घर पर उपयोग के लिए भी उपलब्ध है।

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