
हर्निया में किसी मांसपेशी या ऊतक के अंदर से अंग उभरकर आने लगता है, ये आपके शरीर के कमजोर हिस्से को प्रभावित करता है। हर्निया की समस्या अक्सर पेट के हिस्से पर देखी जाती है। वैसे तो कई मामलों में हर्निया खतरनाक नहीं होते लेकिन कुछ मामलों में इसके कई खतरे होते हैं। हर्निया से पीड़ित व्यक्ति को इस दौरान तेज दर्द का अनुभव हो सकता है जिसे सहन करना मुश्किल है। जरूरी नहीं कि ये सिर्फ किसी महिला या पुरुष किसी एक की बीमारी है, बल्कि ये दोनों में ही देखी जाती है। लेकिन पुरुष में हर्निया के मामले ज्यादा देखे जाते हैं। कई लोगों का ये सवाल होता है कि क्या हर्निया बच्चों में होने का कितना खतरा है? तो इसका जवाब आप में से ज्यादातर लोगों को नहीं पता होगा। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम आपको इस लेख में बताएंगे कि बच्चों में हर्निया का खतरा कितना है और अगर है तो इसका कारण और बच्चों में बचाव के तरीके क्या हैं।
बच्चों में हर्निया का खतरा
अगर बच्चों में हर्निया के खतरे की बात की जाए तो इसका जवाब होगा कि बच्चों में हर्निया का खतरा होता है। ऐसा नहीं है कि बच्चों में हर्निया का होना कोई बहुत खतरनाक स्थिति का संकेत है बल्कि हर्निया बच्चों के स्वास्थ्य में एक आम समस्या के रूप में है। हर्निया की समस्या जन्म के साथ भी हो सकती है, जिसे कॉनजेनाइटल हर्निया कहते हैं। डॉक्टर इस स्थिति का पता उस दौरान भी लगा सकते हैं जिस समय बच्चा पैदा हुआ हो। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वैसे तो हर्निया बच्चों में कई कारणों से हो सकता है लेकिन सभी बच्चों में इसके अलग-अलग कारण भी हो सकते हैं।
बच्चों में हर्निया के कारण
आपको बता दें कि बच्चों में हर्निया के कारण कई हो सकते हैं लेकिन आमतौर पर ये मांसपेशियों की कमजोरी और खिंचाव के संयोजन के कारण होती है। यही वजह है कि ये कई बार एक गांठ और सूजन के रूप में हमारे सामने आती है। इसके अन्य कारण है:
- बच्चे का वजन लगातार बढ़ना या मोटापे का शिकार होना।
- लंबे समय तक कब्ज रहना।
- अक्सर जो बच्चे भारी वजन उठाने की कोशिश करते हैं।
- किसी दवा का दुष्प्रभाव।
- जेनेटिक।
बच्चों में हर्निया के लक्षण
- पेट के आसपास या निचले हिस्से पर गांठ महसूस होना।
- पेट के हिस्से पर सूजन दिखाई देना।
- सीने में दर्द पैदा होना।
- कुछ भी खाने में परेशानी होना।
- सीने में जलन।
- बुखार और उल्टी।
कैसे पता लगाएं बच्चा हर्निया का शिकार है?
बचाव
- बच्चा मोटापे का शिकार न हो।
- हेल्दी डाइट का सेवन कराएं।
- बच्चे की मां को भी डाइट में पौष्टीक आहार का सेवन करना चाहिए।
- पैरेंट्स को धूम्रपान से दूरी बनाई रखनी चाहिए।
- बच्चे को शारीरिक गतिविधियां या एक्सरसाइज की आदत देनी चाहिए।
- नवजात बच्चे के लिए माता-पिता को डॉक्टर से समय-समय पर सलाह लेनी चाहिए।
- बच्चे की नियमित रूप से जांच कराएं।
Read More Articles on Childrens Health in Hindi