जैसे हम अक्सर पूरे अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं, ठीक ऐसे ही हमे अपने प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive Health) का ख्याल रखने की जरूरत होती है। प्रजनन स्वास्थ्य हमारे पूर्ण स्वास्थ्य का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन क्या ये हमारे हृदय से जुड़ा हुआ है? एक अध्ययन बताता है कि प्रीक्लेम्पसिया और गर्भपात या गर्भावस्था के कारण हृदय रोग के बढ़ते खतरे से जोड़ा जा सकता है। इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया जिसमें प्रसव उम्र की महिलाओं और उनके हृदय रोग के बीच संबंध को दिखाता है।
हाल ही में किए गए अध्ययनों के मुताबिक महिलाओं में चल रही उनकी प्रजनन यात्रा सीधे उनके हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है। अध्ययन के अनुसार 12 साल की उम्र से पहले जो लड़कियां अपने पीरियड्स शुरू करती हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा 10 प्रतिशत तक पाया गया है। लेकिन अभी इसको समझने के लिए और शोध की जरूरत है।
प्रीक्लेम्पसिया और दिल की विफलता
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ नैदानिक व्याख्याता, लेखक कृष्णराजाह निरंताकुमार के अध्ययन के अनुसार पारिवारिक चिकित्सा का इतिहास, वजन, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर और गर्भ निरोधकों के इस्तेमाल से रासायनिक असंतुलन हो सकता है। वहीं, बीएमजे में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ज्यादा लंबे समय तक स्तनपान कराने से हृदय से जुड़े खतरे कम हो सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: क्या आपके पीरियड्स में भी आती है बदबू? इन 3 कारणों से आ सकती है पीरियड ब्लड में दुर्गंध
टॉप स्टोरीज़
गर्भावस्था और गर्भपात के दौरान भी बढ़ता है हृदय रोग का खतरा
एक महिला जो गर्भावस्था के दौर में होती हैं उनकी हृदय की गति 25 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है, जो महिलाओं को एक गंभीर हृदय रोग के खतरे में धकेल सकती है। गर्भावस्था की तरह ही दूसरी गंभीर स्थितियां जिनके साथ हृदय रोग जुड़ा हुआ होता है जिसमें उच्च रक्तचाप और पेरिपार्टम-कार्डियोमायोपैथी शामिल हैं। ये एक प्रकार की दिल की विफलता जो हृदय की विफलता का एक प्रकार है। ऐसे ही गर्भपात के दौरान महिलाओं में दिल की समस्याओं के खतरे को 6 प्रतिशत तक बढ़ता हुआ पाया है। जबकि एक बच्चे को जन्म देने के कारण हृदय रोग का 22 प्रतिशत तक खतरा बढ़ता है और इसमें स्ट्रोक का खतरा लगभग 44 प्रतिशत तक होता है।
हृदय रोग से जुड़े दूसरी प्रजनन स्वास्थ्य समस्याएं
- हिस्टेरेक्टॉमी होने के बाद।
- अंडाशय को खत्म करने पर।
- गर्भनिरोधक गोली लेने से हृदय रोग का खतरा।
- पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) के दौरान।
इसे भी पढ़ें: यूटरिन फाइब्रॉयड क्या है? जानें इस समस्या का कारण, लक्षण और उपचार
हृदय रोग और रजोनिवृत्ति
रजोनिवृत्ति से पहले महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर धमनी और वाहिकाओं की संरचना के साथ-साथ दिल का कार्य करने के लिए होता है, जब वो ज्यादा होता है। लेकिन रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने लगता है जिसके कारण हृदय रोग का खतरा बढ़ने लगता है। वहीं, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की मदद से एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए दिखाया जाता है।
Read More Article On Other Dieases In Hindi