लेजर प्रोक्टोलॉजी सर्जरी क्या है, एक्सपर्ट इस सर्जरी को किन किन बीमारियों के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल करते हैं। आदि सवालों का जवाब हम जमशेदपुर के बाराद्वारी में जनरल और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. मनीष सिन्हा से जानते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि प्रोक्टोलॉजी में हम मुख्यत: तीन बीमारियों को देखते हैं, जिनमें एक है पाइल्स जिसे बवासीर-एमराइड्स भी कहते हैं। दूसरी बीमारी है, एनल फिशर्स (Anal Fissures), एनल फिस्टुलास (Anal Fistulas) और एक बीमारी पाइलोनिडल साइनस (Pilonidal sinus) जैसी बीमारी का इलाज किया जाता है। आइए इस आर्टिकल में हम लेजर प्रोक्टोलॉजी सर्जरी के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानते हैं।
हॉस्पिटल स्टे कम होने के साथ दर्द भी कम होता है
डॉक्टर बताते हैं कि आमतौर पर लोग इन बीमारियों को बताने में शर्माते हैं। प्राइवेट पार्ट से जुड़ी बीमारी होने के कारण व इसके दर्दनाक इलाज के कारण लोग बीमारी के बारे में बताने से डरते हैं। लेकिन अब इस बीमारी का इलाज लेजर टेक्नोलॉजी से किए जाने पर काफी आसान हो गया है। वहीं पहले सर्जरी के बाद जहां मरीज एक सप्ताह अस्पताल रुकते थे अब उनका स्टे भी कम हो गया है। मरीज का ऑपरेशन के बाद रिकवरी जल्दी होती है। वहीं सामान्य सर्जरी की तुलना में लेजर प्रोक्टोलॉजी किए जाने से मरीज को उतना दर्द भी नहीं होता।
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क्या है पाइल्स
डॉक्टर बताते हैं कि पाइल्स जिसे हम मेडिकल टर्म में हेमोरॉयड्स भी कहते हैं। यह मल द्वार में खून की फूली हुई नसे होती है। यह मरीजों में लंबे समय से कब्ज की शिकायत रहने के कारण होती है। आम तौर पर पाइल्स दो प्रकार के होते हैं। पहला अंदरूनी बवासीर (Internal Piles) व दूसरा बाहरी बवासीर (External Piles)। मरीज को शौच करने के साथ व शौच के बाद ब्लीडिंग होती है, जिसमें मरीज को दर्द नहीं होता है। एडवांस स्टेज में इन खून की नसों में खून के जम जाने के कारण मरीज को दर्द भी हो सकता है , जिसे मेडिकल टर्म में थोंबोस्ट पाइल्स कहा जाता है।
जानें इसके ट्रीटमेंट ऑप्शन्स
डॉक्टर बताते हैं कि मेडिकल ट्रीटमेंट और सर्जरी के द्वारा बीमारी का उपचार किया जाता है। मेडिकल ट्रीटमेंट बीमारी के शुरुआती दिनों में उपचार के लिए अपनाया जाता है। इसमें लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाकर बीमारी को ठीक किया जाता है।
आज के समय में कई सर्जिकल ट्रीटमेंट मौजूद हैं, जिसमें बैंडिंग, स्केलेरोथेरेपी, ओपन सर्जरी, स्टेपलर पाइल्स सर्जरी की जाती है।
पाइल्स का लेटेस्ट ट्रीटमेंट है लेजर प्रोक्टोलॉजी
डॉक्टर बताते हैं कि पाइल्स का लेटेस्ट ट्रीटमेंट के लिए हम लेजर एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें हम स्पेशल लेजर फाइबर्स को पाइल्स मास व फूली हुई खून की नसों में बारीक चीरा लगाकर लेजर डालते हैं। फूली हुई नसों जला देते हैं व खत्म कर देते हैं। इस ट्रीटमेंट से होते हैं ये फायदे
- इसके ट्रीटमेंट में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है।
- ज्यादा ब्लीडिंग नहीं होती है
- 80% समस्या का समाधान हो जाता है
- कंप्लीट रिकवरी के लिए एक से दो सप्ताह का समय लगता है
- जल्दी ठीक होता है
- इस ट्रीटमेंट का सक्सेस रेट अधिक होता है
- मरीज जल्दी ठीक होता है

एनल फिशर पाइल्स से है अलग
डॉक्टर बताते हैं कि यह बीमारी पाइल्स से बिल्कुल अलग बीमारी है। इसका इलाज भी पाइल्स से अलग होता है। जिन मरीजों में लंबे समय से कब्जियत की शिकायत होती है उन मरीजों के मल द्वार कट व चीरे लग जाते हैं, जिसे एनल फिशर कहा जाता है। इसका सही तरह से इलाज न हो तो यह क्रॉनिक रूप ले लेता है। एनल फिशर का इलाज भी एडवांस्ड लेजर प्रोक्टोलॉजी की मदद से संभव है।
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एनल फिस्टुला के इलाज के बारे में जानें
डॉक्टर बताते हैं कि एनल फिस्टुला शौच के आसपास के जगह पर एक या एक से अधिक ओपनिंग बन जाती है, जिसे एनल फिस्टुला कहते हैं। जिसका अलग ट्रैक बन जाता है। इसमें से पस व ब्लड आते रहता है। इसका इलाज भी एडवांस लेजर प्रोक्टोलॉजी से संभव है। इसमें एनल फिस्टुला के ट्रैक का पता किया जाता है। दवा से उसकी सफाई की जाती है। स्पेशल लेजर फाइबर की मदद से पूरे ट्रैक को जला दिया जाता व ट्रैक रोका जाता है। यह काफी आसान है। इसके फायदे
- एक दिन में उपचार होता है
- ज्यादा ब्लीडिंग नहीं होती
- दवा की कम आवश्यकता पड़ती है
- सर्जरी की तलुना में मरीज को ज्यादा दर्द भी नहीं होता है
- स्पेशल हाईजीन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है
- मरीज की अस्पताल से जल्दी छुट्टी होती है
>पाइलोनिडल साइस का इलाज भी संभव
डॉक्टर बताते हैं कि हमारे शरीर के टेल बोन के बाद असामान्य स्किन का ग्रोथ होता है, जिसमें बाल व स्किन होते हैं। यह सिस्ट टेल बोन के पास होता है व आसानी से संक्रमित हो सकता है। यह बीमारी पहले ड्राइवर में ज्यादा देखने को मिलती थी। इसका इलाज लेजट ट्रीटमेंट से संभव है।
डॉक्टर की सुझाव का करें पालन
इन तमाम इलाज को यदि आप कराना चाहते हैं तो उसके लिए जनरल सर्जन से सलाह लेना पड़ेगा। बिना डॉक्टरी सलाह के दवा का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। सही समय पर जांच करवाकर व इलाज करवाकर इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है।
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