बढ़ती उम्र के कारण ज्यादातर लोग डिजनेरेटिव डिस्क रोग का होते हैं शिकार, जानें लक्षण और इलाज

डिजनेरेटिव डिस्क रोग उम्र से संबंधित रोग है और यह तब होता है जब आपकी रीढ़ की हड्डी के डिस्क में होने वाले परिवर्तन दर्द का कारण बनते हैं। इसे गर्दन या पीठ के निचले हिस्से में रीढ़ की हड्डी का ऑस्टियोआर्थराइटिस भी कहा जा सकता है।
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बढ़ती उम्र के कारण ज्यादातर लोग डिजनेरेटिव डिस्क रोग का होते हैं शिकार, जानें लक्षण और इलाज

डिजनेरेटिव डिस्क रोग कशेरुकाओं के बीच की डिस्क की एक स्थिति है जिसमें आयु वृद्धि के कारण रीढ़ की हड्डी के कशेरुकाओं के बीच एक या अधिक डिस्क खराब हो जाती है या टूट जाती है। जिससे व्यक्ति को दर्द का अहसास होता है। इसमें कोई लक्षण नहीं हो सकते हैं। हालांकि कुछ मामलों में, रीढ़ की हड्डी का लचीलापन खो जाता है।  हालांकि उपचार द्वारा स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-

डिजनेरेटिव डिस्क रोग के कारण

  • इस समस्या के लिए उम्र के अतिरिक्त भी अन्य कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे-
  • दैनिक गतिविधियां और कई बार खेलों के कारण भी डिस्क का बाहरी कोर प्रभावित होता है।
  • रीढ़ की डिस्क में पानी का सूखना
  • चोट लगने के कारण सूजन व अस्थिरता  (हर्नियेटेड डिस्क)
  • डिस्क में बहुत कम रक्त की आपूर्ति होती है, इसलिए एक बार एक डिस्क घायल हो जाने के बाद यह खुद को मरम्मत नहीं कर पाता। जिससे डिस्क खराब होना शुरू हो सकती है।

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डिजनेरेटिव डिस्क रोग के लक्षण

  • डिजनेरेटिव डिस्क रोग के लक्षण मुख्यतः इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपकी डिस्क कहां से कमजोर है। वैसे अधिकतर मामलों में इसमें व्यक्ति को पीठ और गर्दन में लगातार व तेज दर्द का अहसास होता है। इसके अलावा भी डिजनेरेटिव डिस्क रोग के कई लक्षण होते हैं। जैसे-
  • आपकी पीठ के निचले हिस्से, नितंबों या ऊपरी जांघों में दर्द
  • यह दर्द कभी हो और कभी नहीं
  • कभी-कभी यह दर्द तेज हो सकता है और कई दिनों से लेकर महीनों तक रह सकता है
  • बैठने में दर्द अधिक होना, जबकि चलने या हिलने में बेहतर महसूस करना
  • झुकने, मुड़ने या कोई चीज उठाने में दर्द का अहसास
  • कभी-कभी हाथ और पैरों में सुन्नता और झुनझुनी महसूस करना
  • कुछ मामलों में पैर की मांसपेशियों का कमजोर होना

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डायग्नोस

डिजनेरेटिव डिस्क रोग को डायग्नोस करने के लिए रोगी का फिजिकल एग्जामिनेशन किया जाता है तथा उसकी मेडिकल हिस्ट्री देखी जाती है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि रोगी को दर्द कब से और कहां से शुरू हुआ। इस तरह लक्षणों की जांच करने के बाद एमआरआई द्वारा रीढ़ की हड्डी के पास नव्र्स और बोन डैमेज के बारे में पता लगाया जाता है।

इलाज

डिजनेरेटिव डिस्क रोग के इलाज के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य डैमेज को बढ़ने से रोकना व दर्द से राहत पाना होता है। इसमें सबसे पहले कुछ एक्सरसाइज व फिजिकल थेरेपी का सहारा लिया जाता है। इससे बैक की स्ट्रेंथ बढ़ती है। साथ ही हॉट व कोल्ड थेरेपी भी काफी कारगर साबित होती है। इसके अलावा रोगी को कुछ दवाएं व पेनकिलर्स भी दी जाती हैं। इससे स्थिति में सुधार किया जा सकता है। कुछ मामलों में सर्जरी जैसे आर्टिफिशियल डिस्क रिप्लेसमेंट व स्पाइनल फ्यूजन की जरूरत भी पड़ती है।

सेल्फ केयर

डिजनेरेटिव डिस्क रोग के मरीजों को खुद की देखभाल करने की बेहद जरूरत होती है। इसके लिए आप मसल्स को स्ट्रेंथ देने वाली फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें। साथ ही पौष्टिक आहार खाएं व धूम्रपान न करें। एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और स्वस्थ रहें।

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