कोरोना के सभी वैरिएंट्स पर प्रभावी बताई जा रही है भारत में बनी वॉर्म वैक्‍सीन, जानें इसके बारे में

भारत में Mynvax और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस ने मिलकर कोरोना के खिलाफ वार्म वैक्सीन का निर्माण किया है, जानें इसके बारे में।
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कोरोना के सभी वैरिएंट्स पर प्रभावी बताई जा रही है भारत में बनी वॉर्म वैक्‍सीन, जानें इसके बारे में


भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर लगातार जारी है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद कई जगहों पर तीसरी लहर की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। यह घातक वायरस लगातार अपने स्ट्रेन और वैरिएंट को बदल रहा है जिसकी वजह से वैज्ञानिकों की चिंता और बढ़ गयी है। भारत सरकार भी टीकाकरण अभियान को तेज करने के लिए लगतार कोशिश कर रही है। इन सबके बीच कोरोना की वैक्सीन को लेकर एक ऐसी खबर आई है जो राहत भरी है। चूंकि कोरोनावायरस की वैक्सीन जो पहले निर्मित की गयी हैं सबको स्टोर करने के लिए विशेष तामपान की जरूरत होती है। ठंडी जगहों पर इसे स्टोर किया जाता है। लेकिन अब भारत में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी वैक्सीन निर्मित की है जिसे स्टोर करने के लिए किसी भी प्रकार के विशेष प्रबंध की जरूरत नही होगी। भारत में बनी इस वैक्सीन को 'वार्म वैक्सीन' कहा जा रहा है। आइये जानते हैं वार्म वैक्सीन के बारे में विस्तार से। 

क्या है कोरोना की वार्म वैक्सीन? (What is Covid Warm Vaccine?)

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इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) और बायोटेक कंपनी मिनवैक्स द्वारा मिलकर बनाई गयी यह वार्म वैक्सीन भी कोरोना संक्रमण के खिलाफ काम करने वाली वैक्सीन है। इस वैक्सीन का भी काम शरीर में एंटीबाडी बनाने का ही होगा। लेकिन इस वैक्सीन की खासियत यह है कि इसे स्टोर करने या एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने ले जाने के लिए किसी विशेष तापमान की जरूरत नहीं होगी। आसान भाषा में कहें तो यह वैक्सीन भारत के भौगोलिक तापमान के अनुकूल होगी और इसके स्टोरेज में किसी भी प्रकार के तापमान नियंत्रक और अन्य विशेष तरह की चीजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस वार्म वैक्सीन के बारे में कहा जा रहा है कि यह 37 डिग्री सेल्सियस स्थिर रहेगी और इसकी क्षमता 90 मिनट तक 100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहने की होगी। इस वैक्सीन के लिए अब देश में कोल्ड चेन का निर्माण नहीं करना पड़ेगा और इसे एक जगह से दूसरी जगह तक लाने और ले जाने में होने वाले खर्च की भी बचत होगी।

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कितनी प्रभावी है कोरोना की नयी वार्म वैक्सीन? (New Covid Warm Vaccine Efficacy)

बायोटेक फर्म Mynvax के साथ संयुक्त रूप से भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) द्वारा निर्मित इस वार्म वैक्सीन के बारे में कहा जा रहा है कि यह कोरोना के सभी वैरिएंट पर प्रभावी होगी। हाल ही में प्रकाशित एसीएस इंफेक्शस डिजीज जर्नल में बताया गया है कि इस वैक्सीन का परीक्षण चूहों पर किया गया। चूहों पर इस वैक्सीन का बेहद सकारात्मक परिणाम आया है। जानकारी के मुताबिक वैक्सीन लगने के बाद चूहों में जबरदस्त इम्यून रिस्पांस देखने को मिला है। इस वैक्सीन को कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से में बदलाव करने बनाया गया है। परीक्षण के मुताबिक इस वैक्सीन का असर कोरोनावायरस के सभी अल्फा, बीटा, गामा वैरिएंट पर सही तरीके से हो रहा है। फिलहाल अभी तक इस वैक्सीन का परीक्षण इंसानों पर नहीं किया गया है, इसको लेकर तैयारी जारी है। मिली जानकारी के मुताबिक जल्द ही इस वैक्सीन का परीक्षण इंसानों पर भी किया जाएगा। 

वार्म वैक्सीन कोरोना की दूसरी वैक्सीन से कैसे है अलग? (How Warm Vaccine is Different from Other Covid Vaccines)

वार्म वैक्सीन कोरोना के खिलाफ भारत में विकसित की गयी नयी वैक्सीन है। इस वैक्सीन की खासियत यह है कि इसे स्टोर करने के लिए किसी विशेष तापमान और कोल्ड चेन की आवश्यकता नहीं है। यह वैक्सीन 90 मिनट तक 100 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी सुरक्षित रह सकती है। जबकि कोरोना की दूसरी वैक्सीन को सुरक्षित तरीके से स्टोर करने के लिए कोल्ड चेन की आवश्यकता होती है। अगर हम बात करें कोरोना के खिलाफ काम कर रही ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की तो इसे स्टोर करने के लिए 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान की जरूरत होती है। वहीं फाइजर को -70 डिग्री सेल्सियस पर विशेष कोल्ड स्टोरेज के माध्यम से स्टोर किया जाता है। इसके अलावा कोरोना के लिए बनी लगभग सभी वैक्सीन को स्टोर करने के लिए विशेष स्टोरेज की जरूरत होती है।

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हालांकि अभी तक इस वैक्सीन का परीक्षण इंसानों पर नहीं किया गया है। कंपनी की तरफ से सरकार को पहले, दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के लिए आवेदन किया गया है। अब सबसे अहम यह है कि इंसानों पर इस वैक्सीन का प्रभाव कितना रहता है? अगर यह वैक्सीन इंसानों में भी कोरोना के खिलाफ प्रभावी हुई तो जल्द ही इसका इस्तेमाल भी टीकाकरण अभियान में किया जायेगा।

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