महिलाओं को हर माह पीरियड्स आते हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जो महिलाओं की फर्टिलिटी से जुड़ी होती है। जब कोई लड़की किशोरावस्था की ओर बढ़ती है, तो उनके शरीर में यह प्रक्रिया शुरु होती है। इससे यह पता चलता है कि वह अब गर्भधारण कर सकती हैं। पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव (Hormonal Changes) तेजी से होते हैं। इस समय कुछ महिलाओं को अधिक ब्लीडिंग, तो कुछ महिलाओं को रुक-रुक कर ब्लीडिंग (Irregular bleeding in periods) की समस्या हो सकती है। अक्सर इस समस्या को एंड्रोमेट्रियस से संबंधित मान लिया जाता है। इस लेख में स्री रोग विशेषज्ञ से जानेगें कि क्या वाकई ज्यादा और रुक-रुक कर ब्लीडिंग आना एंड्रोमेट्रियोसिस का कारण हो सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस की समस्या क्या हैं? - What Is Endometriosis In Hindi
एंडोमेट्रियोसिस एक लंबे समय से होने वाली स्थिति है, जिसमें गर्भाशय की परत के समान टिश्यू गर्भाशय गुहा (Uterine Cavity) के बाहर बढ़ता है। यह टिश्यू, जिसे एंडोमेट्रियल के रूप में जाना जाता है, अंडाशय (ओवरी), फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय की बाहरी सतह और श्रोणि (पेल्विक) के अंदर के अन्य अंगों पर पाया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान, यह टिश्यू हार्मोनल परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया करता है, जिससे सूजन व घाव का निर्माण हो सकता है। नतीजतन, एंडोमेट्रियोसिस के कारण पेल्विक पेन, बांझपन और पीरियड्स की अनियमितता जैसे लक्षणों दिखाई दे सकते हैं।
पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग होना - Heavy Bleeding During Periods In Hindi
पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग को चिकित्सकीय भाषा में मेनोरेजिया कहा जाता है। इसमें महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अत्यधिक या लंबे समय तक ब्लीडिंग हो सकती है। एंड्रोमेट्रियोसिस में भी महिलाओं को अधिक रक्तस्राव हो सकता है। गर्भाशय के बाहर एंडोमेट्रियल टिश्यू होने से पीरियड्स में बदलाव हो सकता है। वहीं, एंड्रोमेट्रियोसिस से होने वाली सूजन पीरियड्स के समय ब्लीडिंग को बढ़ा सकती है।
पीरियड्स अनियमित होना- Irregular Bleeding During Periods In Hindi
एंडोमेट्रियोसिस में अनियमित पीरियड्स, मासिक धर्म चक्र की लंबाई और प्रवाह में बदलाव हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं को अनियमित रक्तस्राव का अनुभव हो सकता है, जिसमें पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग शामिल है। यह अनियमितता एंडोमेट्रियल टिश्यू के असामान्य विकास के कारण हो सकता है। यह हार्मोनल नियंत्रण में बाधा बन सकता है।
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पीरियड्स से जुड़ी किसी भी समस्या में महिलाओं को बिना देर किए स्री रोग विशेषज्ञ से जांच करानी चाहिए। साथ ही, प्रजनन समस्या से जुड़ी परेशानियों का पूरा इलाज कराना चाहिए। इससे प्रजनन क्षमता बनी रहती है और पीरियड्स संबंधी समस्याए होने का जोखिम कम हो जाता है।