
दुनियाभर में दिल की बीमारी लोगों की अचानक होने वाली मौत का एक बड़ा कारण बना हुआ है। हार्ट से जुड़ी समस्याएं महिला और पुरुष दोनों को प्रभावित कर रहा है। खासकर, आज के समय में लोगों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। हार्ट अटैक एक ऐसी बीमारी थी, जो ज्यादातर उम्रदराज लोगों में सुनने को मिलती थी। लेकिन, वर्तमान समय में कम उम्र के लोगों की हार्ट अटैक के कारण मौत की खबर लोगों में काफी बढ़ गई है। बदलती लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतें, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी हार्ट से जुड़ी बीमारियों का कारण बन रहा है। लेकिन, एक सवाल जो अक्सर लोगों के मन में उठता है कि पुरुष या महिला किसे हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा होता है (men vs women heart attack)? आइए दिल्ली के धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के निदेशक और यूनिट प्रमुख - कार्डियोलॉजी डॉ. समीर कुब्बा से जानते हैं-
महिला या पुरुष, किसे हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा?
डॉ. समीर कुब्बा के अनुसार, कई मेडिकल रिसर्च और आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा महिलाओं की तुलना में उम्र के शुरुआती सालों में ज्यादा (Who is most prone to a heart attack?) होता है। खासकर 45 साल की उम्र तक पुरुषों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज यानी दिल की धमनियों में ब्लॉकेज या रुकावट की समस्या तेज हो सकती है। पुरुषों में स्मोकिंग और तनाव जैसी अनहेल्दी आदतें अक्सर हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाता है। जबकि महिलाओं में मेनोपॉज के बाद दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
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पुरुष को ज्यादा हार्ट अटैक क्यों आता है?
पुरुषों को ज्यादा हार्ट अटैक आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं-
- पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन ज्यादा होने के कारण हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा होता है।
- स्मोकिंग, शराब का सेवन, तनाव और फिजिकल एक्टिविटी की कमी जैसे फैक्टर पुरुषों में दिल की बीमारी का कारण बनते हैं।
- पुरुषों में हेल्थ चेकअप कराने की आदत महिलाओं से कम होती है, जिससे समय पर बीमारी का पता लगाने में देरी होती है
- महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा तनाव लेते हैं और अपने इमोशंस शेयर नहीं कर पाते हैं, जिस कारण उनमें तनाव का स्तर ज्यादा होता है, जो दिल की बीमारी का कारण बनता है।
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महिलाओं को हार्ट अटैक क्यों आता है?
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में हार्ट अटैक का जोखिम कम होता है। महिलाओं को आतमौर पर मेनोपॉज के बाद हार्ट अटैक आने का खतरा ज्यादा होता है। मेनोपॉज से पहले महिलाओं में एस्ट्रोजेन हार्मोन, दिल की सेहत को बेहतर रखने में मदद करता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करता है। लेकिन जब महिला मेनोपॉज में आती है तो उनके शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर कम होने लगता है और हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। इतना ही नहीं मेनोपॉज के बाद महिलाओं के दिल की धमनियों का लचीलापन कम हो जाता है, जिससे हार्ट में ब्लॉकेज की संभावना बढ़ जाती है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
महिला और पुरुष में हार्ट अटैक के लक्षण
हार्ट अटैक के लक्षण महिला और पुरुषों में अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए इन लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है-
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण
- ज्यादा थकान महसूस होना
- सोने में समस्या
- अपच या पेट में भारीपन
- गर्दन, पीठ या जबड़े में हल्का दर्द होना
- सीने में जलन या हल्का दबाव महसूस होना
पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षण
- सीने में तेज दर्द या जकड़न होना
- बाएं हाथ, कंधे या जबड़े में दर्द होना
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- सांस फूलना
- मतली या चक्कर आना
निष्कर्ष
पुरुषों में हार्ट अटैक का जोखिम महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होता है। पुरुषों में जहां हार्ट अटैक कम उम्र में ही आने की संभावना होती है, वहीं महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हार्ट अटैक का खतरा होता है। इतना ही नहीं, महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण अक्सर साइलेंट होते हैं, जबकि पुरुषों के सीने में तेज दर्द, जकड़न, बहुत ज्यादा पसीना आना आदि लक्षण नज आ सकते हैं।
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FAQ
हार्ट अटैक आने से पहले क्या संकेत देते हैं?
हार्ट अटैक आने का पहला संकेत अचनाक दिल की धड़कनों का रुकना होता है। इसके अलावा, सीने में दबाव, दर्द, सांस लेने में तकलीफ भी इसके अहम लक्षणों में से एक है।हार्ट अटैक आने पर तुरंत क्या करना चाहिए?
अगर आपको या किसी और को हार्ट अटैक आ रहा है तो तुरंत किसी व्यक्ति की मदद लें और अस्पताल जाएं। हार्ट अटैक आने के बाद व्यक्ति को जल्द से जल्दी इलाज मिलना जरूरी होता है, ताकि उसे बचाने की संभावना बढ़ाई जा सके।हार्ट अटैक किसकी कमी से होता है?
हार्ट अटैक आमतौर पर तब आता है, जब दिल की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ब्लड और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, जो अक्सर कोरोनरी धमनियों में रुकावट के कारण होता है।
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