इंटरनेट न केवल वयस्कों के लिए, बल्कि बच्चों के लिए भी लत बनता जा रहा है। देश में सात साल से 11 साल तक की उम्र के कई बच्चे प्रतिदिन पांच घंटे से भी अधिक समय इंटरनेट पर बिताते हैं।
डाक्टरों के अनुसार, यह आदत बच्चों की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। देश के चार महानगरों दिल्ली, मुंबई, बेंगलूर और चेन्नई में एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया [एसोचैम] द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि इंटरनेट बच्चों की लत बनता जा रहा है। शिशु रोग विशेषज्ञ डा संजीव सूरी कहते हैं कि सूचना प्रौद्योगिकी को सीखना और कुछ समय उस पर बिताना गलत नहीं है, लेकिन बेहद कम उम्र में यह शौक घातक हो सकता है। लगातार कंप्यूटर का स्क्रीन देखने से आंखों पर जोर पड़ता है और नजर कमजोर हो सकती है। सिर में दर्द की शिकायत हो सकती है। काफी देर तक कुर्सी पर बैठे रहने से पीठ में तकलीफ हो सकती है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. विद्या कहती हैं कि कम उम्र में हुईं यह तकलीफें आगे जाकर बड़ा रूप ले सकती हैं। किसी चीज की कम जानकारी होना खतरनाक होता है। नई पीढ़ी के ज्यादातर बच्चे इंटरनेट के जरिए सीखने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते, बल्कि वे महज कंप्यूटर की स्क्रीन देख रहे होते हैं, जहां वे उस मत या विचार की तलाश करते हैं जो उनके जायके के अनुरूप होता है। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि सात साल से 11 साल की उम्र के 52 फीसदी बच्चे रोजाना औसतन पांच घंटे नेट सर्फिंग करते हैं। इसी आयु वर्ग के 30 फीसदी बच्चे एक से पांच घंटे नेट पर बिताते हैं।
सर्वे के अनुसार, 12 से 15 साल तक के 58 फीसदी बच्चों को इंटरनेट अन्य किसी काम से कहीं अधिक प्यारा है और वह न्यूनतम पांच घंटे इस पर लगाते हैं। नेट पर इतने छोटे बच्चे आखिर करते क्या हैं। सर्वे के निष्कर्ष की मानें तो ये बच्चे चैटिंग करते हैं और गेम खेलते हैं। ऐसे बच्चों की संख्या कम पाई गई, जो स्कूल के काम के लिए नेट की मदद लेते हैं। मनोचिकित्सक डा समीर पारिख कहते हैं कि इस समस्या को शहरीकरण की देन माना जा सकता है। क्योंकि अगर बच्चे के माता पिता दोनों ही नौकरी करते हैं तो उसकी देखरेख कौन करेगा। जो भी अभिभावकों की गैरहाजिरी में बच्चे की जिम्मेदारी संभालेगा, वह अभिभावकों की तरह पूरी जिम्मेदारी से देखरेख तो कतई नहीं करेगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे में बच्चे को लंबे समय तक अकेले रहना पड़ता है। फिर समय बिताने के लिए उसे इंटरनेट के रूप में एक दोस्त मिल जाता है। कई बार बच्चे नेट से अच्छी बातें सीखते हैं और कई बार जिज्ञासा उन्हें गलत बातों की ओर भी ले जाती है। अभिभावकों को ही इस बारे में उपाय खोजने होंगे, ताकि बच्चे नेट पर ज्यादा समय न बिताएं।
हाल ही में ब्रिटेन के लंदन में समरसेट स्थित टानटन स्कूल के प्रमुख जॉन न्यूटन ने एक अध्ययन के बाद कहा कि फेसबुक, ट्विटर और बेबो जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स बच्चों के नैतिक विकास के लिए खतरा बन रही हैं। क्योंकि इनके जरिए बच्चे झूठ बोलना और दूसरों को अपमानित करना सीख रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चे इन साइट्स के जरिए वैसे तो कई अच्छी बातें और सूचनाएं साझा कर सकते हैं, लेकिन वे इसका इस्तेमाल फूहड़ बातें और तथ्यों को तोड़ने मरोड़ने में कर रहे हैं। डा. पारिख कहते हैं कि ऐसे बच्चों को अपने बड़ों के मार्गदर्शन की जरूरत है, ताकि वे बेहूदा चीजों और तथ्यों में फर्क कर सकें।