कैंसर की शुरूआती अवस्था

कैंसर एक बहुत हीं खतरनाक रोग माना जाता है क्योंकि ज्यादातर मामलों में यह मरीज की जान ले लेता है।
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कैंसर की शुरूआती अवस्था

cancer ki shuruaati avastha

कैंसर को बहुत ही खतरनाक रोग माना जाता है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में यह मरीज की जान ले लेता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि इसका पता बहुत देर से लगता है। इसलिए अगर इस रोग की शुरूआती अवस्था में हीं इसका इलाज शुरू कर दिया जाये तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। आज के ज़माने में मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब बहुत से कैंसर के मरीजो की जान बचा ली जाती है। इसलिए इस जानलेवा रोग से अब घबराने कि जरूरत नहीं है लेकिन इसकी शुरूआती अवस्था के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता जरूर है। 

 

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आम तौर पर साधारण इंसान सिर्फ स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, ब्रेन कैंसर, हड्डियों का कैंसर, ब्लड कैंसर इत्यादि के बारे में जानता है। जबकि कैंसर सौ से भी ज्यादा प्रकार के हो सकते हैं। इसलिए विभिन्न प्रकार के कैंसर की शुरूआती अवस्था एक दूसरे से भिन्न होती है।


कैंसर का प्रथम चरण यानि प्राम्भिक अस्वस्था


कैंसर के प्रथम चरण को प्रारंभिक अवस्था भी कहा जाता है। प्रथम चरण को उप चरण जैसे 1 ए  और 1 बी में भी बांटा  जा सकता है। 1 ए की अवस्था में आम तौर पर घातक  ऊतक आकार में 2 से 3 सेमी से अधिक नहीं होते हैं और अपने मूल अंग के भीतर ही भीतर निहित रहते है।


लेकिन जैसे जैसे यह रोग बढ़ता है यानि 1 बी की अवस्था में पहुँचता है तो कैंसर कोशिकाओं के आकार में बृद्धि होने लगती है जो इस अवस्था में भी मूल अंग के साथ हीं निहित रहता है लेकिन कुछ मामलों में इसका मेटास्टेसिस होना यानी दूसरे अंगों तक फैलना या दूसरे  अंगों तक पहुंचना भी संभव होता है। यदि मेटास्टेसिस होता है, तो इसका मतलब है कि कैंसर दूसरे अंगों तक फैल रहा है।

 

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ऐसी अवस्था में सर्जरी शायद एक उपयुक्त उपचार माना जाता है। इस प्रकार की सर्जरी में पीड़ित अंग के खास हिस्से को रिसेक्स्न नामक प्रक्रिया के माध्यम से निकाल दिया जाता है।  लेकिन आप बाहरी बीम विकिरण चिकित्सा या कीमोथेरपी की सहायता से भी कैंसर की वृद्धि को रोक सकते हैं अथवा कैंसर कोशिकाओं को ख़त्म कर सकते हैं।


अगर उपरोक्त सारे उपचार अप्रभावी साबित हों तो आप एक नैदानिक परीक्षण का सहारा ले सकते हैं जिसमें  शल्य चिकित्सा, विकिरण या रसायन चिकित्सा के विभिन्न संयोजन शामिल होते हैं यानि एक साथ  कई उपाय अपनाये जा सकते हैं।   


कैंसर का दूसरा चरण


जब हम कैंसर की माध्यमिक स्तर की चर्चा करते हैं तब इसका मतलब  होता है कि हम आम तौर पर कैंसर के दूसरे चरण की चर्चा कर रहे हैं। यह चरण भी  सामान्यतः 2 ए और 2 बी के उप - चरणों में बंटा हुआ रहता है।  स्टेज 2 ए में, घातक ऊतक आकार में 2 से 3 सेमी होते हैं और इसके असामान्य कोशिकाएं पड़ोसी लिम्फ नोड्स यानि अपने आसपास के अंगों में मेटासिस हुए रहते हैं। जब कैंसर आगे 2 बी  चरण की ओर प्रगति करने लगता है तो इस अवस्था में भी लिम्फ नोड्स प्रभावित हुए रहते हैं लेकिन आप पाएंगे कि कैंसर का मेटासिस भी होने लगा है यानि कैंसर कोशिकाएं दूसरे अंगो तक भी पहुँचने लगे हैं।

 

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इस चरण में भी कैंसर के पहले चरण वाली चिकित्सा हीं उपयोग में लाई जाती है मसलन सर्जरी के जरिये हानिकारक उत्तकों को निकालना या बाहरी विकिरण की चिकित्सा प्रदान करना ताकि कैंसर के गांठ को कम किया जाये या बढ़ने से रोका जा सके या उसके कुछ भाग को नष्ट किया जा सके या केमोथेरपी के जरिये कैंसरस कोशिकाओं को फैलने से रोका जा सके। आम तौर पर  पहले सर्जरी की जाती है उसके बाद केमोथेरपी या विकिरण चिकित्सा दी जाती है।


कैंसर का ज्ञात कैसे किया जाता है


बायोप्सी के द्वारा भी कैंसर का ज्ञात किया जाता है। इसमें कैंसर के एक छोटे  भाग को निकालकर उसका परीक्षण किया जाता है। गाँठ छोटी होने पर पूरी गाँठ हीं निकाल  ली जाती है लेकिन गाँठ बड़ी होने पर उसका थोडा भाग हीं निकाला जाता है ताकि परिक्षण किया जा सके। मेमोग्राम के जरिये भी आप कैंसर का पता लगा सकते हैं। एम् आर आई भी ब्रेन ट्यूमर का पता लगाने में काफी कारगर सिद्ध होता है।
कैंसर से घबराएं नहीं; कैंसर के लक्षण को पहचाने तथा सही समय पर सही उपचार लें।

 

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