
उंगली हमारे शरीर का एक हिस्सा है। रोजाना की गतिविधियों को करने के लिए उंगलियों का एक अहम रोल होता है। इनके बिना हम कोई भी काम कर पाना संभव नहीं हो पाता है। शरीर के अन्य हिस्सों की तरह ही उंगलियों को भी कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इसमें उंगलियों में इंफेक्शन होना सबसे आम है। उंगलियों में इंफेक्शन होना सामान्य या गंभीर हो सकता है, इसलिए इसकी कंडीशन को देखकर ही इलाज किया जाता है। आरडेंट गणपति हॉस्पिटल, मेडिकल डायरेक्टर, डॉक्टर अंकित ओम बताते हैं कि उंगलियों का इन्फेक्शन आमतौर पर कई तरह का हो सकता है। डीप स्पेस इंफेक्शन, सेलोन, सेल्यूलाइट पैरोनिचिया, हेरपेटिक वाइटलो। समय से उपचार मिलने पर इन समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। आइए जानते हैं उंगली इंफेक्शन के बारे में विस्तार से।
फेलोन : यह इंफेक्शन उंगली के टिप पर होती है। उंगली के पैड और आस-पास के सॉफ्ट टिश्यू पर यह इन्फेक्शन देखने को मिल सकता है।
सेलुलाइटिस : यह एक ऐसा इन्फेक्शन है जो स्किन के सरफेस पर देखने को मिलता है। यह उंगली के गहरे टिश्यू तक नहीं पहुंच पाता है।
पैरोनिचिया : यह इंफेक्शन बढ़े हुए नाखून पर होता है। यह हाथों की सबसे आम इंफेक्शन होती है।
हेरपेटिक वाइटलो : जब कोई वायरस फिंगर टिप को संक्रमित कर देता है तब यह इंफेक्शन फैलता है।
डीप स्पेस इंफेक्शन : स्किन के नीचे हाथ या उंगलियों के अगर एक से ज्यादा स्ट्रक्चर मिलते हैं तो उनमें होने वाले इंफेक्शन को डीप स्पेस इंफेक्शन कहा जाता है।
उंगली इंफेक्शन के लक्षण और कारण
फेलोन : यह किसी घाव के कारण हो सकता है। उदाहरण के तौर पर कई बार हम खुद नाखूनों के आस-पास की स्किन को उतार देते हैं या पिन आदि से चुभोकर एक घाव बना देते हैं, जिस कारण इंफेक्शन पैदा होता है। स्ट्रेप्टो कोकल जैसे ऑर्गेनिजम इस इंफेक्शन का कारण होता है। यह खुले हुए घाव बैक्टीरिया को स्किन की और गहराई तक पहुंचने देते हैं जिससे इंफेक्शन और ज्यादा बढ़ सकता है।
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लक्षण : उंगली के नाखून का सूजना या उसमें दर्द होना। स्किन के अंदर थोड़ी फ्लूइड इकठ्ठा हो जाना
सेलुलाइटिस : फेलोन इंफेक्शन का कारण जो बैक्टीरिया थे, वही इस इंफेक्शन का कारण भी हो सकते है। किसी खुले घाव के जरिए ही बैक्टीरिया स्किन की लोअर लेयर तक पहुंचते हैं। खून के द्वारा यह बैक्टेरिया हाथ और उंगलियों के अन्य हिस्सों तक पहुंच पाते हैं।
लक्षण : स्किन का लाल हो जाना और छूने पर सेंसिटिव स्किन महसूस होना। इस भाग पर सूजन आना। हाथ की गतिविधियों में किसी तरह का बदलाव नहीं देखने को मिलने वाला है।
पैरोनिचिया : फेलोन इन्फेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया ही यह इंफेक्शन बनाते हैं। बहुत ही कम केसों में फंगस के द्वारा यह इंफेक्शन होता है। जब आगे बढ़ने वाला नाखून या फिर क्यूटिकल डैमेज हो जाते हैं और किसी खुले घाव के जरिए बैक्टीरिया इनके अंदर पहुंच जाते हैं, जिस कारण इंफेक्शन होता है। यह इन्फेक्शन आस-पास के भागों में भी फैल सकता है। नाखून को मुंह से काटना इस इंफेक्शन को और बढ़ने का रिस्क बढ़ा सकता है।
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लक्षण : उंगली के आस-पास का भाग लाल होना और हाथ लगने पर उसमें दर्द होना। नेल या स्किन के अंदर फ्लूइड इकठ्ठा होना।
हेरपेटिक व्हिटलो : हर्प्स वायरस इसका कारण होता है। जो लोग बॉडी फ्लूइड का काम करते हैं जैसे डॉक्टर, डेंटिस्ट आदि को इसका ज्यादा रिस्क होता है।
लक्षण: खुजली और जलन होना शामिल है। थोड़ी बहुत सूजन भी देखने को मिल सकती है।
डीप स्पेस इंफेक्शन : इसका कारण भी कोई बहुत ज्यादा बड़ा घाव या कट लगना होता है, इसकी वजह से बैक्टीरिया आसानी से स्किन की गहरी परतों तक पहुंच जाते है। हाथ हिलाते समय दर्द होना, इस भाग का लाल होना आदि इसके लक्षण हैं।
इन इंफेक्शन को हल्के में न लें और इनका इलाज जरूर करवाएं ताकि इंफेक्शन ज्यादा गंभीर न हो सके।