दुनियाभर में कोरोना वायरस ने अपने पैर पसार लिए हैं। इससे पीड़ित लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। लोगों के मन में कोरोना वायरस को लेकर डर बढ़ता जा रहा है। लेकिन वहीं जो लोग इस वायरस की चपेट से बाहर आ रहे हैं वो लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी ही भारत की सबसे पहली युवती जो कोरोना वायरस की चपेट में आई थी उसने भी वायरस के दौरान की बातें साझा की।
युवती ने अपनी बातें बताते हुए कहा कि 23 जनवरी को 2.30 बजे, वह और 20 अन्य भारतीय वुहान में अपने मेडिकल कॉलेज के कैंपस से निकल गए। वुहान इस वायरस का केंद्र था जहां से इस वायरस ने अपने पैर पसारने शुरू किए थे। सभी छात्रों को जानकारी हुई कि बहुत से लोगों को निमोनिया हुआ है। कैंपस छोड़ने के बाद चांग्शुई इंटरनेशनल एयरपोर्ट जाने के लिए ट्रेन ली।
एयरपोर्ट पर उन्हें पता चला कि कोलकाता के लिए टिकट की कीमत जो आम दिनों में 25 हजार थी वो अब 60 हजार तक पहुंच गई थी। तब तक किसी तरह की एयरलिफ्ट की सुविधा भी नहीं शुरू हुई थी, इसलिए इतनी महंगी टिकट खरीदने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। वहां से फ्लाइट लेने के बाद ये 24 जनवरी को थ्रीशुर पहुंचे।
''27 जनवरी को छात्रा को अचानक से कफ और गले में खराश पैदा होने लगी। इसके बाद वहां के लोकल हेल्थ इंस्पेक्टर को इसकी जानकारी दी गई। उन्हें तुरंत पास के एक जनरल अस्पतला में तीन और लोगों के साथ भर्ती कराया गया। जांच होने के बाद किसी ने मुझे नहीं बताया कि मुझे क्या हुआ है''।
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''30 जनवरी को मुझे पता चला कि मैं कोरोना वायरस से पीड़ित हूं''। ये भारत का पहला कोरोना वायरस का मामला सामने आया था। ''मुझे अचानक से डर लगने लगा कि अब क्या होगा और इस वायरस से मेरा परिवार भी इसकी चपेट में आ जाएगा''। उस दिन की शाम को हेल्थ ऑफिसर ने पीड़ित से मुलाकात कर ये जानने की कोशिश की, कि उसके संपर्क में कौन-कौन आया था। जिसके बाद उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की जांच की गई। जिसमें पाया गया कि युवती के साथ यात्रा करने वाली एक दूसरी युवती में भी ये वायरस पाया गया। ये भारत का दूसरा मामला सामने आया था।
''मैं बहुत दिनों तक आइसोलेशन पर रही जिसमें मैंने लोगों से फोन पर बात कर उन्हें कोरोना के बारे में बहुत कुछ बताया"। लगभग 12 फरवरी के आसपास वो इस बीमारी से टूटने लगी, पीड़ित ने बताया कि ''हेल्थ इंस्पेक्टर और काउंसलर ने उन्हें मोटिवेट करने का काम किया और उन्हें जल्द स्वस्थ होने का भरोसा दिलाया''। 19 फरवरी को उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई और घर पर देखरेख के लिए कहा गया। 1 मार्च तक पीड़िता को भीड़भाड़ वाली जगह से जाने के लिए मना किया गया। युवती और उसके परिवार ने सोशल मीडियो को अपना निशाना बना लिया था। पीड़िता का नाम और तस्वीर हर जगह फैल गई थी, जो कि उन्हें काफी परेशान करने वाली चीज थी।
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पीड़िता ने बताया कि ''कोरोना वायरस से छुटकारा पा कर और स्वस्थ होकर मुझे एन95 मास्क लगाने के लिए कहा था, जो कि कहीं भी नहीं मिल रहा था। लेकिन मेरे लिए एक सकारात्मक चीज ये थी कि मैं स्वस्थ हो गई थी और अब मैं फिर से चाइना जाकर अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करूंगी''।
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