हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया के प्रदूषित शहरों की लिस्ट शोध के आधार पर जारी की है। इस लिस्ट में 20 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों का नाम हैं, इसमें भारत के 13 शहर शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ ने दुनिया के 91 देशों के कुल 1600 शहरों में यह सर्वे किया। इसमें उसने स्टैण्डर्ड पैमाना पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) लिया जिसमें उसने 2.5 माइक्रोन से लेकर 10 माइक्रोन तक के प्रदूषित पार्टिकल्स का अध्ययन किया।
दरअसल पार्टिकुलेट मैटर हवा में मौजूद छोटे कण होते हैं, जो कि सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं और हमें बीमार बना देते हैं। सल्फर, नाइट्रस के साथ-साथ लोहे के बारीक कण जब शरीर में जाते हैं तो कई बीमारियां होती हैं।
इसका सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है और इससे फेफड़े कमजोर होने लगते हैं। इसके कारण सांस की समस्या और बलगम की शिकायत होने लगती है। प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।
पिछले दिनों की खबर को मानें तो दिल्ली में हुए एक सर्वे में 3 साल से भी कम उम्र के बच्चों में फेफड़ों की बीमारी के चलते कैंसर अस्पताल में उपचार कराना पड़ा। इसके लिए 36 स्कूलों के 11,000 से भी ज्यादा बच्चों पर शोध किया गया।
जेएनयू के के एक एनवायरनमेंटल स्टडीज में की मानें तो अगर आप सड़क के 500 मीटर के अंदर रहते हैं तो प्रदूषण से होने वाली बिमारियों का खतरा चार गुना बढ़ जाता है। जबकि दिल्ली की 55 फीसदी आबादी इसी 500 मीटर के दायरे के पास रहती हैं।
इस लिस्ट में टॉप पर दिल्ली है उसके बाद पटना, ग्वालियर, रायपुर, करांची, पेशावर, रावलपिंडली (पाकिस्तान), कोरमाबाद (ईरान), अहमदाबाद, लखनऊ, फिरोजाबाद, दोहा (क़तर), कानपुर, अमृतसर, लुधियाना, ईदगीर और नारायोंगंज (बांग्लादेश), इलाहाबाद, आगरा और खन्ना शहर हैं।
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