
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के दौरान आपको अपने और शिशु की अच्छी सेहत सुनिश्चित करने के लिए कई जरूरी मेडिकल जांचें करवानी की जरूरत पड़ सकती है। इन जांचों के जरिए आप बीमारी को पहली स्टेज पर रोक सकते हैं और प्रेगनेंसी के दौरा इमरजेंसी की स्थिति से बच सकते हैं। ऐसा नहीं है कि आप प्रेगनेंसी के दौरान कोई भी जांच करवा सकते हैं पर कुछ जरूरी जांचें हैं जिनके बारे में आपको डॉक्टर से जानकारी लेकर जरूर करवानी चाहिए। पहली तिमाही के दौरान डॉक्टर रूबेला, विटामिन डी का स्तर, थायराइड टेस्ट, सिफिलिस, हिपेटाइटिस बी, आदि टेस्ट कर सकते हैं। इस लेख में हम पहली तिमाही के दौरान किए जाने वाली अन्य जरूरी मेडिकल जांचों के बारे में बात करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
आपको जैसे ही इस बात की जानकारी हो कि आप प्रेगनेंट हैं आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ महिलाओं को शुरूआत में प्रेगनेंसी के बारे में जानकारी नहीं मिलती पर जांच के जरिए आप प्रेगनेंसी की पुष्टि कर सकते हैं। ज्यादातर महिलाएं प्रेगनेंसी के लक्षण का पता लगते ही वे जांच करवा लेती है जो कि ज्यादातर केस में 10वे हफ्ते का समय होता है। आपको भी कुछ जरूरी जांचों के बारे में जानना चाहिए-
1. अल्ट्रासाउंंड (Ultrasound during first semester of pregnancy)
पहली तिमाही के दौरान डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दे सकते हैं। अल्ट्रासाउंड के जरिए फीटस के बारे में जानकारी मिलती है। अल्ट्रासाउंड के जरिए फीटस की पोजिशन और सेहत के बारे में भी जानकारी मिलती है। रूटीन जांचों के अलावा डॉक्टर को हाई रिस्क प्रेगनेंसी में अन्य जांचें भी करवानी पड़ सकती हैं। अल्ट्रासाउंड आपको प्रेगनेंसी में एक से ज्यादा बार करवाना पड़ सकता है।
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2. सीवीएस टेस्ट (CVS test during first semester of pregnancy)
अगर आपकी उम्र 35 या उससे ज्यादा है तो आपको सीवीएस (Chorionic villus sampling) जांच करवानी पड़ सकती है। जिन महिलाओं की फैमिली हिस्ट्री में गंभीर बीमारियां होती हैं उन्हें इस टेस्ट को करवाने की जरूरत पड़ सकती है। प्रेगनेंसी के 10 से 12वे हफ्ते में इस टेस्ट को करवाने की जरूरत पड़ सकती है। सीवीएस टेस्ट के जरिए डाउन सिंड्रोम, फाइब्रोसिस आदि बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट में सर्विक्स में एक नीडल के जरिए सैंपल लिया जाता है।
3. पेल्विक एग्जाम (Pelvic test)
प्रेगनेंसी में पेल्विक एग्जाम भी किया जा सकता है। इस दौरान सर्विकल कैंसर के खतरे से बचने के लिए पैप स्मियर टेस्ट भी किया जाता है और पेल्विक एरिया का एग्जाम शुरूआत में करना जरूरी है ताकि डिलीवरी के दौरान किसी तरह कोई गंभीर स्थिति न बन जाए।
4. ब्लड टेस्ट (Blood test during first semester of pregnancy)
पहली तिमाही के दौरान डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। 11 से 14 हफ्ते के दौरान ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। ब्लड टेस्ट में एसीजी और पीएपीपीए टेस्ट किए जा सकते हैं। डॉक्टर आपका आरएच टेस्ट भी करते हैं, वहीं एचआईवी टेस्ट, आरएच टेस्ट भी किया जाता है।
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5. यूरिन टेस्ट (Urine test during first semester of pregnancy)
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में आपको यूरिन टेस्ट करवाना पड़ सकता है। अगर टेस्ट में किडनी इंफेक्शन के बारे में पता चलता है तो आपको दवा दी जाती है। यूरिन टेस्ट के जरिए ग्लूकोज का स्तर भी नापा जाता है जिससे जेस्टेशनल डायबिटीज का पता चलता है या अन्य बीमारियों के होने का पता चलता है।
इन जांचों में के अलावा आपको डॉक्टर की सलाह पर अन्य टेस्ट भी करवाने पड़ सकते हैं, आपके स्वास्थ्य के मुताबिक डॉक्टर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।