कभी आपने सोचा है कि हमारे डॉक्टर हमें मुंह खोलकर जीभ दिखाने, नाक दिखाने, कान दिखाने, छाती पर स्टेथोस्कोप लगाकर जोर -जोर से सांस लेने, कान में टार्च जलाकर देखने के आंखों सहित अन्य अंगों का फिजिकल चेकअप क्यों करते हैं...यदि नहीं तो आइए इस आर्टिकल में हम जमशेदपुर के घाटशिला प्रखंड के ईएसआई अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर व चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. अभिषेक से बात कर इन तमाम जांच पर विस्तार से बात करेंगे। वहीं जानेंगे कि अलग अलग प्रकार की जांच के पीछे डॉक्टर का क्या मकसद होता है।
आला लगाकर छाती की जांच
बड़े हो या फिर बच्चे। डॉक्टर अक्सर उनकी छाती में स्टेथोस्कोप लगाकर जोर-जोर से सांस लेने की सलाह देते हैं। कभी छाती में तो तभी धड़कन की जांच करते हैं। कभी हाथ उठाकर स्टेथोस्कोप लगाकर जांच करते हैं। कई बार तो मरीज को पीछे घुमाकर पीठ पर आला लगाकर जांच करते हैं। डॉ. अभिषेक बताते हैं कि ऐसा करने से पहले हम मरीज से बात करते हैं। यदि उसके लक्षण निमोनिया की तरह होंगे तो आला लगाकर जांच करते हैं। इसके अलावा दिल संबंधी बीमारी की जांच के लिए धड़कन की जांच की जाती है। वहीं अस्थमा, कफ सहित अन्य बीमारी की जांच करने के लिए मरीज को बाजुओं को उठाने की सलाह दी जाती है। ऐसा कर उसे जोर-जोर से सांस लेने को कहा जाता है। आला लगाकर जांच करने से मरीज को किसी प्रकार की परेशानी होती तो उसका पता चल जाता है। वहीं उसी के अनुसार मरीज की जांच की जाती है।
दिल से जुड़ी बीमारी की जांच
डॉक्टर बताते हैं कि मरीज की धड़कन की जांच इसलिए की जाती है ताकि पता किया जा सके कि मरीज कहीं कार्डियोवेस्कुलर डिजीज से ग्रसित तो नहीं। यदि इस बीमारी से ग्रसित है तो उसका उसी के अनुसार इलाज किया जाता है। यदि इस बीमारी की जांच में डॉक्टर को हल्का भी संदेह होता है तो उन्हें दिल संबंधी बीमारी की उन्नत जांच के सलाह दी जाती है।
पेट दबा-दबाकर करते हैं जांच
कई बार आपने महसूस किया होगा कि डॉक्टर पेट दबाकर जांच करते हैं। डॉ. अभिषेक बताते हैं कि हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि यदि मरीज गैस की समस्या लीवर, स्पिलन सहित अन्य प्रकार की समस्या से ग्रसित है तो उसका पता लगाया जाता है। कई केस में मरीज का एपेंडिक्स भी बढ़ा होता है, इस वजह से मरीज को पेट में दर्द होता है। इस जांच के बाद आगे के टेस्ट की सलाह दी जाती है। मरीज के अपर एब्डॉमिन और लोअर एब्डॉमिन की जांच की जाती है। देखा जाता है कि पेट सख्त है या नहीं, पेशाब की थैली की भी जांच की जाती है। संदेह होने पर व मरीज के लक्षणों को अनुसार डॉक्टर आगे के टेस्ट लिखते हैं व प्रारंभिक उपचार करते हैं।
गले को छूकर करते हैं जांच
जब मरीज टॉन्सिल सहित लिंफ नोड्स से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या को लेकर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तो एक्सपर्ट उनके गले को छूकर जांच करते हैं व पता लगाने की कोशिश करते हैं कि इससे संबंधित कोई बीमारी तो नहीं। यदि बीमारी का पता चल जाए तो उसी का इलाज करते हैं। इसके अलावा एक्सपर्ट गले को छूकर मम्प्स, कंजेक्टिवाइटिस, फिरेंक्स जैसे रोग का भी पता करते हैं। इसकी जांच के लिए डॉक्टर हाथों से ही मरीज के गले को पकड़कर जांच करते हैं व बीमारी का पता लगाने की कोशिश करते हैं।
जीभ से पता चलता है शरीर में पानी की कमी
अक्सर छोटे बच्चों से लेकर बड़ों को डॉक्टर जीभ निकालने की सलाह देते हैं। ऐसा कर वो देखते हैं कि कहीं मरीज पानी की कमी यानि डिहाईड्रेशन की समस्या से तो नहीं जूझ रहा। यदि समस्या से जूझ रहा है तो उस स्थिति में जीभ पर लार नहीं रहता है। वैसे तो सामान्य लोगों के जीभ में अक्सर लार रहता है। यह सामान्य व स्वभाविक है।
साइनस का पता लगाने के लिए नाक की जांच
कई लोग सर्दी खांसी जैसी बीमारी से ग्रसित होते हैं। इसके अलावा साइनस की बीमारी भी इन दिनों सामान्य है। ऐसे में डॉक्टर मरीज के नाक की जांच करते हैं। इसके लिए वो नाक में टार्ज जलाकर देखते हैं कि नाक में पानी है या नहीं, हड्डी कहीं टेढ़ी तो नहीं है या फिर नाक में किसी प्रकार का म्यूकस तो जमा नहीं है। यदि लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर उसी के अनुसार मरीज का इलाज करते हैं।
इसे भी पढ़ें : घर पर खुद से कैसे करें थायराइड की जांच? जानें लक्षण और टिप्स जिनसे पता चल सकता है आपका थायराइड लेवल
आंखों को नीचे की जांच
वैसे लोग जो डॉक्टर के पास कमजोरी की शिकायत को लेकर पहुंचते हैं, चिकित्सक उनके आंखों के नीचे की स्किन को नीचे कर जांच करते हैं। इसके जरिए वो यह पता लगाते हैं कि मरीज के शरीर में कहीं खून की कमी तो नहीं। यदि कमी है तो उसी के अनुसार उसका इलाज किया जाता है। शरीर में खून की कमी व अनीमिया जैसी बीमारी होने पर आंखों के नीचे की स्किन को नीचे करने पर आंखों के नीचे वाली सतह पर लाल कोशिकाओं का रंग गाढ़ा होता था। यदि यह गाढ़ा न हुआ तो मरीज के शरीर में खून की कमी हो सकती है। इसके अलावा मरीज को ऊपर देखने की सलाह देते हैं, ऐसा कर डॉक्टर यह देखते हैं कि कहीं मरीज अनीमिया जैसी बीमारी से ग्रसित है या नहीं। यदि लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर उसी के अनुसार मरीज का इलाज करते हैं।
एक्सीडेंट के केस में फिजिकल चेकअप होता है जरूरी
डॉक्टर बताते हैं कि इमरजेंसी केस में या फिर किसी एक्सीडेंट के बाद मरीज का फिजिकल चेकअप जल्द किया जाता है। इसमें यह भी देखा जाता है कि कहीं उसके शरीर में कहीं चोट तो नहीं आई है। यदि चोट है तो उसका इलाज किया जाता है। सीएनएस (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) की जांच की जाती है। मरीज से बात करने की कोशिश की जाती है, कि वो डॉक्टर के सवालों का जवाब दे रहा है या नहीं।
इसे भी पढ़ें : हार्ट की बीमारियों की जांच के लिए किया जाता है कार्डियक सीटी स्कैन, जानें इसके बारे में
नस की जांच करना
बड़ों से लेकर छोटे उम्र के लोगों का हाथ पकड़ डॉक्टर उनके नस की जांच करते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि सामान्य नस चल रही है या नहीं। डॉ. अभिषेक बताते हैं कि वैसे एक सामान्य व्यस्क की नब्ज एक मिनट में 70 बार चलती है। यदि इससे ज्यादा चले या फिर इससे काफी कम चले तो उस स्थिति में मरीज का इलाज शुरू कर देते हैं।
पेशाब रोग व इंफेक्शन होने पर मरीज से बात कर होती है प्राइवेट पार्ट की जांच
बिना मरीज से पूछे कोई भी डॉक्टर प्राइवेट पार्ट की जांच नहीं करते हैं। यदि मरीज इस प्रकार के लक्षण बताए तो उसके बाद जरूरी हुआ तो प्राइवेट पार्ट की जांच की जाती है। यदि महिला मरीज है तो ऐसे में महिला डॉक्टर जांच करती है।
इलाज कराना है कि डॉक्टर की बात मानें
कहा जाता है यदि अच्छे से इलाज कराना है तो डॉक्टर से कोई भी बात नहीं छुपानी चाहिए। क्योंकि आप जितना ज्यादा अपने लक्षणों के बारे में बताएंगे उसी के अनुसार डॉक्टर आपका इलाज करेंगे। यदि आप सही-सही लक्षणों को नहीं बताएंगे तो संभव है कि इलाज भी अच्छे से न हो। इसलिए डॉक्टर भी यह कहते हैं कि हमेशा चिकित्सक के सवालों का सही सही जवाब देना चाहिए।
Read More Articles On Health Diseases In Miscellaneous
Read Next
आपको सच में ज्यादा भूख लगती है या ये 'इमोशनल क्रेविंग' है? इन तरीकों से पहचानें दोनों में अंतर
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version