Fact Check In Hindi: हाल ही में एक वीडियो काफी वायरल हो रही है। उसमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास के डायरेक्टर वी कामकोटि यह कहते सुने जा रहे हैं कि गोमूत्र पीने से बुखार तेजी से ठीक होता है। दरअसल, मवेशियों को समर्पित ’मट्टू पोंगल’ (15 जनवरी) दिवस पर पश्चिम माम्बलम की एक गौशाला में उन्हें आमंत्रित किया गया था। जहां भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि गोमूत्र में एंटीफंगल, जीवाणुरोधी और सूजन-रोधी गुण होते हैं। उनका दावा है कि इस विषय पर कई प्रयोग किए गए हैं और वैज्ञानिक पत्र भी प्रकाशित हुए हैं। उनका यह अभिभाषण इस बात की ओर संकेत करता है कि गोमूत्र काफी फायदेमंद होता है। अलग-अलग समय में आपने कई आयुर्वेदाचार्यों को भी गोमूत्र के फायदों पर चर्चा करते सुना होगा। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वाकई गोमूत्र पीने से बुखार ठीक हो जाता है? और आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर वी. कामकोटि के इस कथन में कितनी सच्चाई है? आइए, जानते हैं कि इससे जुड़े तथ्य।
क्या गोमूत्र पीने से बुखार ठीक होता है?- Is Gaumutra Beneficial In Recovering From Fever In Hindi
रामहंस चैरिटेबल अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहे आयुर्वेदचार्य डॉ. श्रेय शर्मा (Dr. (Shrey Sharma, Ayurvedacharya, Sirsa) कहते हैं कि जैसा कि विशेषज्ञ अलग-अलग समय पर यह कहते सुने गए हैं कि गोमूत्र पीने से बुखार से रिकवरी होती है। इस संबंध में डायरेक्टर वी. कामकोटि ने भी अलग-अलग रिसर्च पेपर दर्ज कर अपनी बात का समर्थन करते हुए बताया है कि गोमूत्र का सेवन बुखार में किया जा सकता है। वनलाइनलाइब्रेरी (Onlinelibrary) में प्रकाशित एक लेख की मानें, तो भारतीय चिकित्सकीय क्षेत्र में गोमूत्र का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है। हालांकि, इस संबंध में अब तक काफी कम शोध हुए हैं, जिससे यह स्पष्ट तरीके से कहा जा सके कि बुखार होने पर गोमूत्र पीना लाभकारी हो सकता है। लेकिन, पचौली एस्थेटिक और वेलनेस की फाउंडर और सर्टिफाइड न्यूट्रिशनिस्ट प्रीती सेठ की मानें, तो गोमूत्र का आयुर्वेदिक परंपराओं में प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार और बुखार जैसी बीमारियों से रिकवरी के लिए किया जाता रहा है और लंबा इतिहास मौजूद है। इससे यह पता चलता है कि गोमूत्र में एंटीऑक्सिडेंट और रोगाणुरोधी लाभ मौजूद हैं। कई शोध और अध्ययन से भी इस बात की पुष्टि हुई है। लेकिन, यह पता होना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति को इसका सेवन खुद से नहीं करना चाहिए। इसकी गुणवत्ता बहुत मायने रखती है। इसके लिए विशेषज्ञों से परामर्श लेना आवश्यक है। खासकर, बुखार या अन्य बीमारियों में इसका सेवन करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह लेना न भूलें।
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आयुर्वेद के अनुसार गोमूत्र के फायदे
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में भी प्रकाशित एक लेख से यह पता चलता है कि हिंदुस्तान में गोमूत्र का उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। आयुर्वेद में इसे खास स्थान दिया गया है। आयुर्वेदिक पुस्तक सुश्रुता सम्हिता, अष्टांग संग्रह और भाव प्रकाश निगंटु में उल्लेख किया गया है कि गोमूत्र में चिकित्सकीय गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल वजन कम करने, कार्डियल और रेंटल डिजीज को उलटने, अपच, पेट दर्द, डायरिया, एडिमा, जॉन्डिस और त्वचा संबंधी बीमारियों में भी कारगर तरीके से काम करता है। यही नहीं, गोमूत्र शरीर में चीजों को बैलेंस करने में अहम भूमिका निभाता है, जिससे ओवर ऑल हेल्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें, तो गोमूत्र में यूरिया, मिनरल्स, हार्मोन्स जैसे तत्व होते हैं। इसके अलावा, एमोनिया, नाइट्रोजन, मैंगनीज, आयरन और सल्फर जैसे लाभकारी तत्व भी पाए जाते हैं।
डॉ. श्रेय बताते हैं, आयुर्वेद में गोमूत्र को बहुत ज्यादा महत्च दिया गया है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है, यह पित्तवर्धक है, जो कि खांसी जैसी बीमारियों में काफी कारगर है। लेकिन, हमें इस बात को भी समझना होगा कि आखिर गोमूत्र कब कारगर होता है? पहले जमाने में देखा गया है कि गायों को हर ऋतु विशेष को ध्यान में रखते हुए यह जंगलों में चरने के लिए भेजा जाता था। जहां वे पौष्टिक पत्तों का सेवन करती थीं। अलग-अलग ऋतुओं में उनके यूरिन को स्टोर किया जात था, जो कि अलग-अलग बीमारियों में कारगर साबित होती थीं। ध्यान रखें कि एक जगह स्थिर गाय अगर सामान्य चारा चारती है, तो उसके मूत्र को लाभकारी नहीं कहा जा सकता है।
निष्कर्ष
यह सच है कि गोमूत्र में कई तरह के तत्व पाए जाते हैं और यह कई तरह की बीमारियों में भी कारगर तरीके से काम करता है। विशेषज्ञ भी समय-समच पर इस तरह के दावे पेश करते हैं। इसके बावजूद, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस संबंध में और भी शोध और अध्ययन किए जाने चाहिए। तभी इस बात को बेहतर तरीके से जाना-समझा जा सकता है कि बुखार होने पर गेमूत्र कितना फायदेमंद हो सकता है।