चल रही जीवन शैली के कारण शरीर में आने वाले बदलावों को रोकना मुश्किल है। वहीं सर्दियों में दिनचर्या से फिजिकल एक्टिविटीज खत्म होती जा रही हैं। ऐसे में इन बदलावों का पता शुरुआत में नहीं लगता। लेकिन कुछ समय बाद इन बदलाव के कारण लोगों की सेहत पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि फिजिकल एक्टिविटीज के जीरो हो जाने पर शरीर में किस तरह की समस्याएं अपना घर बना लेती हैं। साथ ही जानेंगे उन समस्याओं से कैसे निपटा जाए। पढ़ते हैं आगे...
वेरीकोज़ वेंस
जो लोग हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र से जुड़े होते हैं उन्हें उनमें वेरीकोज वेंस की समस्या देखी जाती है लेकिन इसका पता शुरुआत में नहीं लगता। इसके प्रमुख लक्षणों की बात की जाए तो पैरों में दर्द, झनझनाहट, चेहरे पर नीले रंग के धब्बे, सूजन आदि होते हैं। बता दें कि हार्ट तक अशुद्ध रक्त को रक्त नलिकाओं द्वारा पहुंचाया जाता है। उसके बाद पंपिंग के माध्यम से रक्त को साफ करके उन्हीं रक्तवाहिका नलिकाओं के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों तक भेजा जाता है। ऐसे में दिल की एक धड़कन के बाद दिल खाली हो जाता है और दूसरी धड़कन पर वो फिर से रक्त से भर जाता है। इस प्रक्रिया में रुकावट तब आती है जब व्यक्ति लगातार खड़ा रहता है ऐसा करने से अशुद्ध रक्त को पहुंचाने वाली नलियों में सूजन आ जाती है और नालियों में अशुद्ध रक्त जमने लगता है।
टॉप स्टोरीज़
इससे बचाव कैसे करें-
- एक्सपर्ट पवनमुक्तासन, सूर्य नमस्कार और सर्वगासन को अपनी दिनचर्या में जोड़ने की सलाह देते हैं।
- सोते समय अपने पैरों को तकिए पर रखकर सोएं।
- काम के दौरान पैरों की स्ट्रैचिंग करते रहें।
- लगातार खड़े रहने का काम है तो हर 2 घंटे के अंदर 5 मिनट का ब्रेक लें।
- समस्या ज्यादा गंभीर हो जानें पर कार्डियो वैस्कुलर सर्जन से सलाह लें।
इसे भी पढ़ें- Gastroenteritis: इन कारणों से हो सकता है पेट का इंफेक्शन या पेट का फ्लू, एक्सपर्ट से जानें इससे बचाव के उपाय
डिजिटल विजन सिंड्रोम की समस्या
आजकल लोग स्मार्ट फोन और कंप्यूटर के साथ ज्यादा समय बिताते हैं। जिसके कारण उनकी आंखों में ड्राइनेस, जलन, खुजली, दर्द, धुंधलापन आदि जैसी समस्याएं नजर आने लगती हैं। अगर इस तरह की समस्या आपको भी नजर आ रही है तो बता दें कि यह विजन सिंड्रोम के लक्षण हैं। हम जानते हैं कि पलके झुकाना आंखों की स्वभाविक प्रक्रिया है आमतौर पर एक व्यक्ति 1 मिनट में 20 से 25 बार पलक झपका सकता है। ऐसा करने से आंखों में आंसुओं की नई परत आने लगती है। यही कारण होता है कि आंखों की नमी बरकरार रहती है। लेकिन जब हम ज्यादा देर तक स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं तो हम 1 मिनट में केवल 5 से 6 बार पलकें झपका पाते हैं। यही कारण होता है कि आंखों की ड्राइनेस बढ़ने लगती है और आई मसल्स पर जोर पड़ता है, जिसके कारण सिरदर्द धुंधलापन नजर आता है।
इसे भी पढ़ें- ब्रेन ट्यूमर क्यों मानी जाती है खतरनाक बीमारी? एक्सपर्ट से जानें इसके कारण, लक्षण, खतरे और इलाज के तरीके
इससे बचाव कैसे करें
- जिस जगह काम करें वहां पर लाइट की कमी नहीं होनी चाहिए।
- कंप्यूटर स्क्रीन और आंखों के बीच 20 22 इंच की दूरी कम से कम होनी चाहिए।
- एक्सपर्ट्स एंटी ग्लेयर स्क्रीन का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।
- इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर आप ल्यूब्रिकेंट आई ड्रॉप कमाल कर सकते हैं।
- रात को सोने से तकरीबन 1 घंटे पहले मोबाइल और कंप्यूटर को दूर कर दें।
- साल में एक बार आई चेकअप जरूर करवाएं।
कुछ जरूरी बातें
- अपने भोजन को अच्छी तरह से चबाकर खाएं।
- अपने भोजन में मिर्च-मसाले, घी-तेल का इस्तेमाल कम करें।
- रात के खाने के बाद तकरीबन 10 से 15 मिनट तक ब्रजासन की मुद्रा में बैठें।
- अपनी डाइट में अमरुद, दलिया, पपीता, ओट्स आदि को शामिल करें क्योंकि इनके अंदर भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है।