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बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) होने पर दिखते हैं ये 7 लक्षण

hypothyroidism symptoms in kids :  बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म उसके विकास को धीमा कर सकता है। हाइपोथायरायडिज्म होने पर बच्चे में अधिक थकान, कब्ज और वजन बढ़ने जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
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बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) होने पर दिखते हैं ये 7 लक्षण

थायराइड एक लाइफस्टाइल डिसीज है, जो आजकल लोगों के बीच बेहद सामान्य हो गई है। वैसे तो यह बीमारी अधिकतर महिलाओं में देखने को मिलती है, लेकिन खराब जीवनशैली ने बच्चों, किशोरों को भी इसका शिकार बना दिया है। थायराइड दो तरह का होता है-इसमें हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म शामिल है। जब थायराइड हॉर्मोन बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो इस स्थिति को हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है। वही जब थायराइड हॉर्मोन का उत्पादन बहुत कम होता है, तो उसे हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। यह समस्या सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। यहा तक कि नवजात और बच्चों को भी थायराइड की समस्या हो सकती है।

बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के मामलों की संख्या अधिक देखने को मिलती है। इसमें थायराइड हॉर्मोन का उत्पादन कम होता है, इसलिए इसे अंडरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है। रक्त में थायराइड हार्मोन की कम मात्रा बच्चे की वृद्धि दर को धीमा कर सकती है। डॉक्टर अल्तमश शेख से जानें नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण-

thyroid in kids

(image : starmommy.com)

क्या है हाइपोथायरायडिज्म (What is hypothyroidism)

थायराइड ग्रंथि में गड़बड़ी होने पर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। थायराइड मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है, यह हॉर्मोन का उत्पादन करता है। यह हॉर्मोन मनुष्य द्वारा खाए गए भोजन को ऊर्जा में बदलने का कार्य भी करता है। हाइपोथायरायडिज्म थायराइड का एक प्रकार है। हाइपोथायरायडिज्म एक अंत:स्त्रावी विकार है, इसमें थायराइड ग्रंथि गर्दन के निचले हिस्से में पर्याप्त थायराइड हॉर्मोन का उत्पादन नहीं करती है (जितना शरीर को सामान्य कामकाज के लिए जरूरी होता है)। हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में रक्त में थायराइड हॉर्मोन का उत्पादन सही मात्रा में नहीं हो पाता है, यह बच्चे के विकास को भी प्रभावित करता है। हाइपोथायरायडिज्म होने पर बच्चे में वजन बढ़ना, अधिक थकान, कब्ज जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। 

छोटे बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण (hypothyroidism symptoms in younger kids)

छोटे बच्चों को भी हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। इस स्थिति में बच्चों का थायराइड हॉर्मोन का उत्पादन कम करता है। छोटे बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म होने पर कई लक्षण देखने को मिलते हैं। छोटे बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण कुछ हद तक बड़ों के समान ही होते हैं। 

  • 1. लंबाई का कम होना
  • 2. अंगों का पूरा विकास न हो पाना
  • 3. मानसिक विकास में देरी होना
  • 4. कब्ज
  • 5. सूजा हुआ चेहरा 
  • 6. थकान
  • 7. रूखी त्वचा
thyroid in children
 
(image : texaschildrens.org)

नवजात बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण (Hypothyroidism symptoms in newborn babies)

बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण उनकी उम्र पर निर्भर करती है। नवजात शिशुओं में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण युवा बच्चों से अलग हो सकते हैं। नवजात शिशुओं में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण कई हफ्तों बाद या जन्म के महीने बाद नजर आ सकते हैं। नवजात में हाइपोथायरायडिज्म के सामान्य लक्षण हैं-

बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के कारण (hypothyroidism causes in kids)

बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म का सबसे मुख्य कारण यह है कि परिवार में किसी व्यक्ति को यह समस्या पहले से ही है। जिनके माता-पिता, दादा-दादी या भाई-बहनों को थायराइड होता है,  उस घर में नवजात या छोटे बच्चों को भी थायराइड होने की संभावना बढ़ जाती है। छोटे बच्चे या तो अंतःस्रावी विकार के साथ पैदा होते हैं या उनमें इसके लक्षण बाद में विकसित होते हैं। इस स्थिति में थायराइड हॉर्मोन का उत्पादन काफी कम मात्रा में करता है, इससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। यह बच्चों के शारीरिक, मानकिस विकास में भी देरी करता है। इस स्थिति में बच्चों का वजन तेजी से बढ़ता है।

किसे है अधिक जोखिम?

किसी खास बीमारी से पीड़ित बच्चे को बाद में हाइपोथायरायडिज्म विकसित होने का खतरा अधिक रहता है। इन बीमारियों से पीड़ित बच्चे को हाइपोथायरायडिज्म का अधिक खतरा है-

  • गुणसूत्र विकार
  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर
  • पर्याप्त आयोडीन का सेवन नहीं करना 
  • थायरायड ग्रंथि को चोट
  • सिर और गर्दन में रेडिएशन
  • प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड को सही तरीके से मैनेज न करना

नवजात और छोटे बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म का इलाज अलग-अलग तरह से किया जाता है। बच्चों के थायराइड को समय रहते ठीक करना बहुत जरूरी होता है, इसलिए आपको लक्षण दिखते ही इलाज करवाना बहुत जरूरी होता है। अन्यथा बच्चे के विकास में देरी हो सकती है।

(main image : kobieta.interia.pl)

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