हृदयाघात और कोरेनरी हार्ट डिजीज का इलाज या इससे बचाव के लिये सबसे पहले हृदयाघात और कोरेनरी हार्ट डिजीज के बीच अन्तर समझना जरूरी है। जैसे हार्ट अटैक आने पर मरीज को फौरन प्राथमिक उपचार दिया जाना चाहिये और तत्काल अस्पताल ले जाकर इलाज शुरू कारना चाहिये। आराम भी इलाज का एक अहम हिस्सा होता है। अगर आइपॉक्सीमिया की शिकायत हो तो ऑक्सीजन थेरेपी देना फायदेमंद होता है। तो चलिये विस्तार से जानें हृदयाघात और कोरेनरी हार्ट डिजीज के उपचार से संबंधित जरूरी बाते क्या हैं।
हृदय को रक्त से ही पोषण व ऑक्सीजन मिलता है और यह काम कोरोनरी धमनियों की मदद से होता है। दरअसल हृदय दायें व बायें दो भागों में बटा होता है। हृदय के दाहिने व बाएं दोनों ओर दो चैम्बर क्रमशः एट्रिअल एवं वेंट्रिकल होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त को फेफडों में पम्प करता है और रक्त फेफडों में से साफ होकर ह्रदय के बायें भाग में वापस लौट आता है, जहां से वह शरीर में दोबारा पम्प कर दिया जाता है। यहां चार वॉल्व, दो बाईं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो दाईं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को दिशा देने के लिए एक दिशाद्वार के जैसे काम करते हैं।
जब एट्रिअल अर्थात अलिंद में ब्लॉकेज हो जाती है तो हृदय को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिल पाता है और इस स्थिति को ही हार्ट अटैक कहा जाता है। यदि इस अलिंद को दोबारा खोल दिया जाए तो हृदयाघात से बचा जा सकता है। इसके लिए हृदयाघात के लक्षण नजर आते ही तत्काल एस्प्रिन की गोली लें। ऐसी स्थिति में चूसने वाली एस्प्रिन भी ली जा सकती है। अगर किसी व्यक्ति को अचानक बहुत तेज सीने में दर्द हो अथवा वह बेहोश होकर गिर जाए, तो भी यह हृदयाघात का ही लक्षण हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति को तत्काल चिकित्सीय सहायता दी जानी चाहिये।
हृदयाघात की चिकित्सा
यदि किसी इंसान को हार्ट अटैक हो तो तत्काल आपातकालीन चिकित्सा सहायता को संपर्क करें। यदि आपने आपातकालीन प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षण लिया हुआ है तो आप पीड़ित के सीने पर सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिसोसिटेशन) कर सकते हैं। यह शरीर और दिमाग को ऑक्सीजन देने में सहायता करता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के दिशा निर्देशों के मुताबिक भले ही आपने सीपीआर का थोड़ा ही प्रशिक्षण लिया है, आपको ऐसी स्थिति में चैस्ट कंप्रेशन्स के साथ सीपीआर शुरू करना चाहिए। इसके लिए व्यक्ति की छाती पर 2 इंच (5 सेंटीमीटर) तक कंप्रेशन्स करना होता है। यदि आप सीपीआर के लिए प्रशिक्षित हैं तो रोगी की एयरवे की जांच करें और हर 30 कंप्रेशन्स के बाद उसे बचाव वाली सांस भी दें। यदि आप प्रशिक्षित नहीं हैं तो जब तक मदद नहीं आती कंप्रेशन्स करना चालू रखें।
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