प्रेगनेंसी में लंबे इंतजार के बाद महिलाओं को अपने बच्चे को गोद में उठाने का मौका मिलता है। अगर आपके घर में कोई बुजुर्ग महिला है तो नवजात शिशु की देखभाल के लिए वह आपको कई सुझाव दे सकती हैं, लेकिन पहली बार मां बनने वाली कई महिलाओं को ये मालूम ही नहीं होता कि उनको बच्चे की देखभाल कैसे करनी चाहिए। ऐसे समय में सबसे अच्छा होता है कि आप इस विषय पर घर की किसी भी बुजुर्ग महिला से बात करें। साथ ही आप इस लेख को भी पढ़कर बच्चे की देखभाल को आसान बना सकती हैं।
नवजात शिशु की देखभाल करने का तरीका
जन्म के समय शिशु की त्वचा बेहद ही नाजुक होती है। ऐसे में उसे गलत तरीके से उठाने या पकड़ने से शिशु को नुकसान होने की संभावना अधिक होती है। आगे जानते हैं शिशु की देखभाल के उपायो के बारे में।
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नवजात शिशु को पकड़ने का सही तरीका
नवजात शिशु को पकड़ने का एक सही तरीका होता है। दरअसल जन्म के बाद शिशु की गर्दन स्थिर नहीं रह पाती है। ऐसे में उसको उठाते समय विशेष तरह की सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। इस समय किसी भी तरह की लापरवाही से शिशु को नुकसान हो सकता है। शिशु को उठाते समय उसकी गर्दन और सिर को अपने हाथ के पंजों से हथेली से सहारा दें। इसके अलावा दूसरे हाथ से उसकी कमर व कूल्हें को सपोर्ट देते हुए उठाएं।
स्तनपान कराना
आपको बता दें कि हर शिशु की आदत अलग-अलग होती हैं। कुछ शिशुओं को जल्दी भूख लगती है, जबकि कुछ शिशु को देर से दूध पीने की आदत होती है। नवजात शिशु को हर एक से तीन घंटे के बीच में दूध पिलाया जाता है। जन्म के बाद शिशु धीरे-धीरे दूध को पीना और निगलना सीखता है। मां को शिशु को सही से लेटाकर दूध पिलाना चाहिए। इसके साथ ही दूध को पिलाते समय आप उसका सिर थोड़ा ऊपर भी कर सकती हैं। दूध को पिलाने के बाद उसे डकार दिलाना भी जरूरी होता है।
शिशु को डकार दिलाएं
नवजात शिशु को स्तनपान कराने के बाद यदि डकार न दिलाई जाए तो उसको पेट में दर्द व मरोड़ की समस्या होने लगती है। कई बार डकार न दिलाने पर शिशु पिए हुए दूध की उल्टी भी कर सकता है। इसके लिए आप शिशु को थोड़ा सा उठाएं और उसकी पीठ को हल्के हाथों से सहलाएं या थपथपी दें। इससे बच्चे के आसानी से डाकार आ जाएगी।
डायपर से जुड़ी जानकारी
शिशु यदि सही समय पर मां का स्तनपान कर रहा है, तो वह बार बार डायपर को गीला कर सकता है। ऐसे में माता या पिता को उसका डायपर बार बार चेक करना चाहिए। शिशु का डायपर यदि लंबे समय के बाद बदला जाए तो ऐसे में उसको रैशज हो सकते हैं। इसके अलावा उसके कूल्हें व प्राइवेट पार्ट पर खुजली या इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है।
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नवजात शिशु को सुलाना
नवजात शिशु एक दिन में करीब 16 घंटों तक सोते हैं। बच्चा एक साथ इतनी नींद नहीं लेते हैं। वह दो से चार घंटे की ही नींद एक बार में लेते हैं। इसके साथ ही उनको हर तीन से चार घंटे में दूध पिलाने की जरूरत हो सकती है। बच्चे का दूध जल्दी पच जाता है। साथ ही वह रात में एक साथ लंबी नींद नहीं ले पाता है। ऐसे में उसको रात में बार बार उठकर दूध पिलाना पड़ सकता है। बच्चे को गोद में जल्दी नींद आती है। ऐसे में मां को बच्चे को गोद में ही सुलाना चाहिए। साथ ही उसे एक समय पर ही सुलाने की आदत डालें।
नवजात शिशु की देखभाल के अन्य उपाय
- शिशु की नाभि की देखभाल करें
- शिशु को सही तरह से नहलाएं
- नवजात शिशु की मालिश करना
- शिशु के नाखूनों को समय समय पर काटना, आदि।
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