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बच्चे आने के बाद नई मां की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। उनके लिए उनका नवजात बच्चा उनकी प्राथमिकता में सबसे पहले आता है। उनका ख्याल रखने से लेकर ब्रेस्टफीडिंग तक महिलाओं को मां के रूप में कई भूमिकाएं निभानी पड़ती है। अगर आपकी बॉडी शिशु के पीने से ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क बना रही है, तो ये स्थिति आपके लिए काफी दर्दनाक हो सकती है। दरअसल जब आपका शरीर बच्चे के पीने से अधिक ब्रेस्टमिल्क बनाता है, तो इससे आपके ब्रेस्ट में एक्सट्रा मिल्क जमा होने के कारण कई तरह की तकलीफ हो सकती है। साथ ही ब्रेस्ट में सूजन की समस्या भी हो सकती है। इसलिए आमतौर पर कहा जाता है कि बच्चा जब तक एक ब्रेस्ट से फीडिंग समाप्त न कर लें, तब तक आपको दूसरे ब्रेस्ट से फीडिंग नहीं करानी चाहिए। इससे आपको दोनों ब्रेस्ट में दर्द और सूजन की दिक्कत आ सकती है। इस तकनीक को बेबी-लेड नर्सिंग कराने की सलाह देते हैं। लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि महिलाओं में जरूरत से ज्यादा ब्रेस्टमिल्क प्रोड्यूस हो रहा है, तो आपको ब्लॉक फीडिंग तकनीक का सहारा लेना चाहिए। यह एक बेहतर तकनीक है, जिससे आप एक्सेस ब्रेस्टमिल्क बनने से रोक सकती हैं।
क्या होती है ब्लॉक फीडिंग तकनीक
जैसा कि आपको पता है कि मां का शरीर बच्चे को मिल्क पिलाने की जरूरत के अनुसार ब्रेस्टमिल्क का उत्पादन करता है। कई बार नई माएं आमतौर पर बच्चे को दोनों ब्रेस्ट से आधा-आधा दूध पिलाती है, जिससे दोनों ब्रेस्ट हाफ-फुल रहते हैं और लगातार मिल्क बनने के कारण समस्या बढ़ने लगती है। दरअसल लगातार मिल्क बनने के कारण यह जरूरत से अधिक हो जाता है। कई बार तो यह मां के स्तन से बहने लगता है। जिससे मां के ब्रेस्ट में दर्द, जलन, सूजन, ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट और दूध की गांठ की दिक्कत हो सकती है। इससे आगे चलकर और समस्याएं भी हो सकती है। ब्रेस्ट अपने साइज से भी बढ़ा हुआ नजर आता है। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आप ब्लॉक ब्रेस्टफीडिंग तकनीक का सहारा ले सकते हैं। दरअसल इस तकनीक में आपको मिल्क के एक्सट्रा प्रोडक्शन को बैलेंस करने का समय मिल जाता है और मां के स्तन में दर्द और सूजन की समस्या भी नहीं होती है। इसमें शिशु को तकरीबन 3 घंटों के फीडिंग सेशन में हर बार एक ही ब्रेस्ट से फीडिंग कराई जाती है। इस तकनीक की मदद से आप ब्रेस्ट मिल्क के ओवर प्रोडक्शन को रोक सकते हैं या कंट्रोल कर सकते हैं। इससे ब्रेस्ट मिल्क जमा नहीं होता है।
ब्लॉक फीडिंग कराने के फायदे
ब्लॉक फीडिंग तकनीक के दो फायदे होते हैं। सबसे पहला तो ये महिलाओं में ब्रेस्ट मिल्क बढ़ने के कारण स्तन आकार में उभार को रोकता है। जब एक बार आपके ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट का लोवर लेवल आ जाता है, तो यह ब्रेन को मिल्क सप्लाई स्लो करने का संकेत दे देता है। दूसरा फायदा ये है कि इससे शिशु के मुंह से दूध बाहर निकलने की दिक्कत नहीं होती है। इस तकनीक में अगर तीन घंटे में बच्चे को दोबारा भूख भी लगती है, तो उसी हाफ-फुल ब्रेस्ट से बच्चे को दूध पिलाएं और उससे बच्चे का पेट भी भर जाता है और फिर अगले तीन घंटे में दूसरे ब्रेस्ट से आप बच्चे को दूध पिला सकते हैं।
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इन परिस्थितियों में कराएं ब्लॉक फीडिंग
1. शिशु के मुंह से दूध बाहर निकलने पर आपको ब्रेस्टफीडिंग का तरीका बदलना चाहिए।
2. इसके अलावा ब्रेस्ट से जल्दी-जल्दी दूध निकलने पर भी आप इस तकनीक को अपना सकते हैं।
3. ब्रेस्ट में सूजन और मिल्क अधिक होने पर आप इसे अपना सकते हैं।
(All Image Credit- Freepik.com)
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