कई लोगों मानते हैं कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से मसल्स का बिल्ड-अप होना बॉडी में अतिरिक्त फैट बढ़ने से होता है, जबकि ये सच नहीं है। सच तो ये है कि मसल्स का एक पाउंड फैट के एक पाउंड से कम जगह लेता है। और इस तरह से आपकी बॉडी और वेट दोनों ही फिट रहते हैं। वाकई स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की मदद से पेट सहित पूरे शरीर के फैट को कम कर मसल्स को मजबूत बनाया जा सकता है। लेकिन इसके लिये जरूरी है स्ट्रेंथ ट्रेनिंग व इससे जुड़ी एक्सरसाइज के बारे में कही जानकारी का होना।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी भारी एक्सरसाइज की शुरुआत करने से पहले वेट लिफ्टिंग के कुछ नियम जान लेना जरूरी है, जिससे इस एक्सरसाइड का कोई साइड एफेक्ट न झेलना पड़े। अगर आप भी अपनी फिटनेस को लेकर बेहद सजग हैं और हेवी एक्सरसाइज की शुरुआत करने जा रहे हैं तो उसकी प्लानिंग कुछ इस तरह कर सकते हैं।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में सबसे आसान विकल्प वेट मशीन से एक्सरसाइज और डंबल करना होता है। मशीन से सही मूवमेंट सीखने को मिल जाता है। लेकिन मशीन को अपने कद-काठी के हिसाब से एडजस्ट करना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि यदि मशीन ठीक से एडजस्ट न किया जाए, तो एक्सरसाइज गलत मूवमेंट में होती रहेगी, जिससे चोट लगने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं बहुत ज्यादा वेट उठाने से कमर पर बुरा असर पड़ सकता है। मशीन से वेट ट्रेनिंग करते में मशीन बॉडी को सपोर्ट करती है और चोट लगने की आशंका कम हो जाती है।
कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को मिलाएं
यूं तो कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक एक्सरसाइज के दो अलग-अलग पहलू होते हैं, मगर इस सभी का उद्देश्य पूरे स्वास्थ्य को बेहतर बनाना ही होता है। वेट ट्रेनिंग के साथ कार्डियो करने से लीन मसल्स का निर्माण होता है, चयापचय दर सुधारती है और तेजी से वजन कम करने में भी मदद मिलती है।
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कैसे चुनें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज
यदि आप स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते हैं तो बेहतर होगा कि आप किसी ट्रेनर से इस बारे में विस्तार से जानकारी लें। क्योंकि शरीर के अलग-अलग भागों के लिए कुछ जरूरी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज होती है। शुरुआती दौर में एक-दो एक्सरसाइज ही चुनें और फिर इसका दायरा बढ़ाएं।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाडज के पहले पूरी तैयारी कर लेना जरूरी होता है, कम से कम शुरुआती दौर में हफ्ते में एक से तीन दिन मांसपेशियों की एक्सरसाइज अवश्य करें। वॉर्म-आप के लिए पांच से दस मिनट की हल्की कार्डियो एक्सरसाइज भी जरूर करें और फिर सीधे भारी वजन उठाने के बजाय थोड़े भारी वजन उठाने से इसकी शुरूआत करें।
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