अगर आपका शिशु अधिक चिड़चिड़ा है तो ये कोई नज़रअंदाज करने वाली बात नहीं है। यह किसी मानसिक बीमारी का प्रारम्भिक संकेत भी हो सकता है। हालांकि शिशु का थोड़ी-थोड़ी देर में चिड़चिड़ाना और रोना अधिकतर सामान्य भी होता है। अधिकांश शिशु हर रोज कुल एक घंटे से लेकर तीन घंटे तक रोते हैं। लेकिन अगर बच्चे में चिड़चिड़ापन बहुत ज्यादा हो और लंबे समय तक ये बना रहे तो कोई समस्या हो सकती है। चलिये विस्तार से जानें कि बच्चे में चिड़चिड़ापन कब सामान्य है और कब ये किसी समस्या का संकेत हो सकता है।
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शिशुओं में साधारण चिड़चिड़ापन
शिशु का थोड़ी-थोड़ी देर में चिड़चिड़ाना और रोना आमतौर पर गंभीर बात नहीं होती है। ज्यादातर शिशु हर रोज कुल एक घंटे से लेकर तीन घंटे तक के समय के लिए रोते हैं। इसका पिछे कारण यह है कि आपका शिशु अपने आप खुद कुछ नहीं कर सकता है और वह अपनी हर ज़रुरत के लिए आप पर ही निर्भर करता है, फिर चाहे उसे भूख लगी हो, वो आराम चाहता हो या फिर उसे प्यार और दुलार की दरकार हो। आपका शिशु रो-रो कर ही आपको यह बताने की कोशिश करता है।
लेकिन कई बार यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है की भला शिशु ज्यादा क्यों रो रहा है। इसके लिए आपको शिशु के लक्षण पहचानकर अंदाजा लगाना होता है। इसमें थोड़ी मुश्किल जरूर होती है लेकिन समय के साथ आप पहचानना सीख जाती हैं और समझने लगती हैं की आपके शिशु के रोने का कारण क्या है। उपरोक्त वीडियो में भी नेचुरल चाइल्डबर्थ स्पेशलिस्ट नूतन पंडित बता रही हैं कि शिशु के चिड़चिड़ेपन और उसके रोने को किस तरह से पहचाना जाए, और किस तरह से उसे शांत कराया जाए।
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मानसिक बीमारी का प्रारम्भिक संकेत भी हो सकता है
नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा एक शोध में सामने आया कि अगर आपका शिशु अधिक चिड़चिड़ा है तो यह किसी मानसिक समस्या का संकेत भी हो सकता है। वैज्ञानिकों ने शिशुओं द्वारा शुरुआती बाल्यावस्था के दुर्व्यवहार और गम्भीर दुर्व्यवहार को अलग करने के लिए एक प्रश्नावली तैयार की। वैज्ञानिक पत्रिका चाइल्ड साइकोलोजी एंड साइकेट्री की रिपोर्ट के मुताबिक इसके द्वारा बच्चों में मानसिक बीमारी के शुरुआती अवस्था में पहचान एवं इलाज में सहायता मिल सकती है।
शोध के प्रमुख प्रोफेसर लॉरेन वाक्सश्लाग के मुताबिक यह संकेत इशारा करते हैं कि जब शिशु में चिड़चिड़ापन अक्सर होने लगे तो इसका अर्थ है कि वह मानसिक रूप से संघर्ष कर रहा है। शोधकर्ताओं ने तीन से पांच साल के प्री स्कूल जाने वाले 1500 बच्चों के अभिभावकों से उनके बच्चों के व्यहार के सम्बंध में प्रश्न पूछने के लिए 'मल्टीडाइमेंशनल एसेसमेंट ऑफ प्रीस्कूल डिस्रपटिव बिहैवियर' (एमएपी-डीबी) नामक प्रश्नावली विकसित की।
शोध में पाया गया कि बच्चों में चिड़चिड़ापन पाया गया। 10 प्रतिशत से कम बच्चे रोज झल्लाते थे और चिड़चिड़ापन दिखाते थे। यह लक्षण लड़के एवं लड़कियों दोनों में ही एक जैसा पाया गया।
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