क्‍या है कुंडलिनी योग करने का सही तरीका

कुंडलिनी योग से शरीर के सातों चक्रों को जागृत किया जाता है जिससे शरीर निरोगी रहता है। लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि इसे किया कैसे जाता है।
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क्‍या है कुंडलिनी योग करने का सही तरीका

कुंडलिनी योग के जरिये शरीर में सुप्‍त शक्तियों को जागृत किया जाता है। और इससे आपको काफी ऊर्जा मिलती है।

कुंडलिनी योग ध्यान का ही एक रूप है जो मन, शरीर और ज्ञानेंद्रियों के विभिन्न तकनीकों से मिलकर बना है। आमतौर पर कुंडलिनी ऊर्जा हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी के अंदर घुमावदार सर्प के आकार में सभी चक्रों को जोड़ती हुई उसका प्रतिनिधित्व करती है। इस योग में यौगिक जागृति के लिए जरूरी रीढ़ और एंडोक्राइन सिस्टम (यह हार्मोन और दूसरे रासायनिक तत्वों पर प्रभाव डालता है) दोनों ही भागों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। कुंडलिनी योग की मदद से शरीर के सातों चक्रों को जागृत किया जा सकता है।

कुंडलिनी योग

 

कुंडलिनी योग वास्तव में आध्यात्मिक योग है। कुंडलिनी योग न सिर्फ आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है बल्कि यह स्वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इससे कई रोगों का उपचार और बचाव संभव है।

कुंडलिनी योग करने की विधि –

  • कुंडलिनी योग का अभ्यास करने के लिए सबसे अच्छा वक्त सुबह का होता है।
  • सबसे पहले दिमाग को अच्छे से स्थिर कर लीजिए, उसके बाद दोनों भौंहों के बीच के स्थान पर ध्यान लगाना शुरू कीजिए।
  • पद्मासन या सिद्धासन की मुद्रा में बैठकर बाएं पैर की एड़ी को जननेन्द्रियों के बीच ले जाते हुए इस तरह से सटाएं कि उसका तला सीधे जांघों को छूता हुआ लगे।
  • उसके बाद फिर बाएं पैर के अंगूठे तथा तर्जनी को दाहिने जांघ के बीच लें अथवा आप पद्मासन की मुद्रा कीजिए।
  • फिर आपने दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नाक को दबाकर नाभि से लेकर गले तक की सारी हवा को धीरे-धीरे बाहर निकाल दीजिए। इस प्रकार से सारी हवा को बाहर छोड़ दें।
  • सांस को बाहर छोडते हुए दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों पर रख लीजिए। फिर अपनी नाक के आगे के भाग पर अपनी नज़र को लगाकर रखिए।
  • इसके बाद प्राणायाम की स्थिति में दूसरी मुद्राओं का अभ्यास करना चाहिए।
  • कुंडलिनी शक्ति को जगाने के लिए कुंडलिनी योगा का अभ्यास किया जाता है। इसके लिए कोई निश्चित समय नहीं होता है। कुंडलिनी योगा का अभ्यास कम से कम एक घंटे करना चाहिए।

 

कुंडलिनी योग के फायदे –

  • कुंडलिनी योग पाचन, ग्रंथियों, रक्त संचार, लिंफ तंत्रिका तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है।
  • इस योग का ग्रंथि तंत्र पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे दिमाग से तनाव दूर होता है और देखने की क्षमता बढ़ती हैं।
  • यह ज्ञानेन्द्रियों को मजबूत बनाता है, जिससे सूंघने, देखने, महसूस करने और स्वाद लेने की क्षमता बढ़ती है।
  • कुंडलिनी योग धूम्रपान और शराब की लत को छुडाने में मदद करता है।
  • इस योग से आत्मविश्वास बढ़ता है और यह मन को शांति प्रदान करता है।

 

  • कुंडलिनी योग नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदल देता है, जिससे सकारात्मक नजरिया और भावनाएं उत्पन्न होती है और गुस्सा कम आता है।



कुण्डलिनी शक्ति को जगाने में मुद्राएं अपना खास स्थान रखती है। बिना मुद्राओं के कुण्डलिनी शक्ति को जगाना मुश्किल है और कुंडलिनी योगा के द्वारा शरीर की कुंडलिनी शक्ति को जगाया जा सकता है।

 

 

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