मलेरिया आजकल एक आम रोग बन गया है। यह परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के काटने से फैलता है, साथ ही इसके होने के कुछ अन्य कारण भी हैं। मलेरिया क्या है और इसकी पहचाने करने के लिए इसकी पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है।
मलेरिया एक प्रकार का बुखार है जो शरीर में ठंड लगने के साथ आता है। कई बार मलेरिया में कंपकंपी की शिकायत भी हो सकती है। मलेरिया में रोगी को रोजाना या एक दिन छोड़कर तेज बुखार आता है। हमारे देश में आज भी मलेरिया को नियंत्रित करने के उचित इंतजामों की कमी है, जिसकी वजह से मेलेरिया के मामलों में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है। पहले मलेरिया सामान्य दवाओं से ठीक हो जाता था, लेकिन अब मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी प्लाज्मोडियम के अंदर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से इस रोग की साधारण दवाएं बेअसर हो जाती हैं।
इसलिए अब इस रोग के इलाज के लिए नई दवाओं की खोज व इस्तेमाल किया जाता है। जैसे आरटीसुनेट एक ऐसा तत्व है, जिसका इस्तेमाल मलेरिया की नवीनतम दवाओं में किया जा रहा है। इस तत्व से बनी दवाओं से रेजिस्टेंट मलेरिया ठीक हो जाता है और इस रोग की जटिलताएं भी काफी कम हो जाती हैं।
कारण व प्रसार
मलेरिया होने का मुख्य कारण तो परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज ही है। दरअसल प्लाज्मोडियम नामक परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के शरीर के अंदर पलता है। यह परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के काटने से फैलता है। जब मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तब रोग का परजीवी रक्तप्रवाह के जरिये यकृत में पहुंचकर अपनी संख्या को बढ़ाने लगता है। यह स्थिति लाल रक्त कोशिकाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। चूंकि मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में पाये जाते हैं, इसलिए ये मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति द्वारा ब्लड ट्रासफ्यूजन के जरिये दूसरे व्यक्ति में भी संप्रेषित हो सकते हैं। इसके अलावा अंग प्रत्यारोपण और एक ही सीरिंज का दो व्यक्तियों में इस्तेमाल करने से भी यह रोग फैल सकता है।
मलेरिया के लक्षण
मलेरिया खून की कमी और पीलिया (जॉन्डिस) का कारण भी हो सकता है। रोग के गंभीर मामलों में यह किडनी फेल्योर और सांस संबधी समस्याओं का कारण भी बन सकता है। समुचित इलाज न मिलने पर पीड़ित की मृत्यु भी संभव है। मलेरिया प्लाजमोडियम नामक एक परजीवी के संक्रमण से होता है। मादा एनोफिलिस मच्छर के काटने से यह संक्रमण हो जाता है। जहां कहीं भी साफ और प्राकृतिक पानी ठहरा रहता है, वहां ये मच्छर पैदा होते हैं। अभी मानसून में बारिश का पानी जगह-जगह जमा हो जाता है, वहां ये मच्छर खूब पनपते हैं। मलेरिया होने पर तेज बुखार सहित फ्लू जैसे कई लक्षण सामने आते हैं। इनमें ठंड के साथ जोर की कंपकंपी, सिर में दर्द, मांशपेशियों में दर्द, थकावट आदि शामिल हैं। मितली, उल्टी, डायरिया जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। खून की कमी और आंखों के पीला होने जैसी स्थितियां भी आ सकती हैं।
रोकथाम
एनॉफिलीज मच्छर सामान्यत: शाम को अंधेरा होते वक्त या फिर सुबह के वक्त काटते हैं। इसलिए सोते समय मच्छरदानी लगाएं। पूरे बदन को ढकने वाले कपड़े पहनें और मच्छर भगाने वाली वस्तुओं का इस्तेमाल करें।
इलाज
फिलहाल मलेरिया के उपचार के संदर्भ में दो समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहली समस्या यह कि आम तौर पर मच्छरों पर अब कीटनाशकों का असर नहीं हो रहा है। वहीं दूसरी समस्या यह कि मलेरिया के परजीवी को असरहीन करने के लिए जिन दवाओं का इस्तेमाल होता रहा है, उनमें से कई अब निष्प्रभावी साबित हो रही हैं। इसलिए पहली बात तो यह कि हमें मच्छरों को पनपने से रोकना है और वहीं स्वय को मच्छरों के काटने से बचाना है।
जब किसी व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण प्रकट हों, तब उसे शीघ्र ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इन दिनों डॉक्टर मलेरियारोधी नवीनतम दवाएं दे रहे हैं। घर में रोगी को पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने को दें। बुखार को उतारने के लिए डॉक्टर के परामर्श से पैरासीटामॉल युक्त दवा दें। बुखार उतारने के लिए शरीर पर पानी की स्पजिंग भी कर सकते हैं।
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