मलेरिया के लंबे समय तक रहने वाले प्रभाव

मलेरिया क्या है ये तो आपने सुना होगा, लेकिन क्या आप मलेरिया के लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों के बारे में भी जानते हैं। इस लेख के माध्यम से मलेरिया के लंबे समय तक प्रभावों को जानें।
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मलेरिया के लंबे समय तक रहने वाले प्रभाव


मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है। यह सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है, जिसका प्रभाव रोगी पर लम्बे समय तक रह सकता है। इस लेख में मलेरिया के लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों के बारे में जानें।

 

मलेरिया के प्रभावबीमारी चाहे कोई भी हो वह शरीर पर अपना प्रभाव जरूर छोड़ती है। बीमारी यदि गंभीर है तो निश्चित रूप से वह सही होने में भी समय लेती है। मलेरिया एक गंभीर बीमारी है। जिसका सही समय पर इलाज न कराने से रोगी को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। संक्रमित व्यक्ति पर मलेरिया का लंबे समय तक प्रभाव आसानी से देखा जा सकता है। मलेरिया कई रूपों में होने से यह अपने प्रभाव भी अलग-अलग छोड़ता है। मलेरिया निवारण के लिए सही समय पर इलाज जरूरी होता है।

मलेरिया का कारण

मलेरिया परजीवी को मादा एनोफिलीज मच्छर पोषण देती है। जोकि मलेरिया का संक्रमण फैलाने में भी मदद करती है। एनोफिलीज समूह के मच्छर पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। केवल मादा मच्छर खून से पोषण लेती है और मलेरिया को फैलाती है। मादा मच्छर एनोफिलीज रात को ही काटती है। शाम होते ही यह शिकार की तलाश मे निकल पडती है तथा तब तक घूमती है जब तक शिकार मिल नहीं जाता। यह रुके हुए पानी के अन्दर अंडे देती है। अंडों, और उनसे निकलने वाले लारवा दोनों को पानी की सख्त जरुरत होती है। इसके अलावा लारवा को सांस लेने के लिए पानी की सतह पर बार-बार आना पड़ता है। क्रमशः अंडे-लारवा-प्यूपा और फिर वयस्क होने में मच्छर लगभग 10-14 दिन का समय लेते हैं।

 

मलेरिया का सबसे आम लक्षण है तेज कंपकंपी के साथ ठंड लगना, जिसके फौरन बाद ज्वर आता है। ऐसे में 4 से 6 घंटे के बाद ज्वर उतरता है और पसीना आ जाता है। पी. फैल्सीपैरम के संक्रमण में यह पूरी प्रक्रिया लगभग हर 36 से 48 घंटे में होती है या लगातार ज्वर रह सकता है। पी. विवैक्स और पी. ओवेल से होने वाले मलेरिया में हर दो दिन में ज्वर आता है, तथा पी. मलेरिये से हर तीन दिन में।

 

मलेरिया के लंबे समय तक रहने वाले लक्षण

 

-  मलेरिया का प्लास्मोडियम परजीवी अपने सभी प्रकारों में शरीर पर अलग-अलग रूप से अलग-अलग समय में प्रभावी होता है। यदि पी. फैल्सीपैरम संक्रमण के बाद 4-5 दिन    में असर दिखाने लगे तो कुछ परजीवी एका दो दिन में ही अपना प्रभाव दिखाने लगते है।

-  किसी रोगी पर मलेरिया का दीर्धकालीन प्रभाव व्यक्ति की प्रतिरक्षा क्षमता पर भी निर्भर करता है। यदि रोगी की मलेरिया संक्रमण के दौरान सही तरह से देखभाल होती है तो वह मलेरिया के दुष्प्रयभावों से अपने आपको बचा भी सकता है।

-  जैसे की पी. विवैक्स, पी. फाल्सीपेरम और पी. नोलेसी खतरनाक मलेरिया फैलाते है वही पी. ओवेल और पी. मलेरियआ बहुत ज्यादा हानि‍कारक नहीं होते। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति पर पड़ने वाले प्रभाव इन परजीवियों पर भी निर्भर करते हैं कि व्यक्ति को संक्रमण किस परजीवी से हुआ है।

-    मलेरिया से लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों में सबसे अधिक शरीर में कमजोरी रहती है जो दूर होने में 3 से 6 महीने में का समय लेती है। कई बार इस कमजोरी से शरीर के अंगों में दर्द की शिकायत रहने लगती है।

-    मलेरिया के प्रभाव से सांस संबंधी बीमारियां होने का भी खतरा रहता है।

-     कई बार रोग के गंभीर हो जाने पर किडनी काम करना बंद भी कर सकती है। फेफड़े खराब हो सकते है। यहां तक की लीवर फेल होने का भी खतरा हो जाता है।

-    मलेरिया संक्रमण से शरीर में कमजोरी आने के साथ-साथ हर समय थकान महसूस होने लगती है। हिमोग्लोबिन कम हो सकता है।

-    पेट संबंधी रोग हो सकते है या फिर खूनी दस्तम जैसे प्रभाव दिखाई पड़ सकते है।

-    यदि मलेरिया का निवारण सही समय पर न हो तो शरीर के किसी हिस्से में लकवा मारने का भी खतरा रहता है।

-    मलेरिया के कारण ब्रेन हैमरेज होने का भी खतरा हो सकता है।

-    इतना ही नहीं मलेरिया के प्रभावों में सबसे बड़ा खतरा मृत्यु का हो सकता है। यदि मलेरिया का निदान ठीक समय पर न हो या इलाज में कोई कमी बरती गई हो तो जान को खतरा हो सकता है।

-    गर्भवती मां, उनके बच्चे और पांच साल तक के बच्चों में यदि मलेरिया नियंञण के सही उपाय न किए जाए तो वे हमेशा के लिए किसी घातक बीमारी की चपेट में आ सकते है।

यदि आप मलेरिया को नियंञित करना चाहते है और उसके दुष्प्रभावों से बचना चाहते है तो आपको मलेरिया संक्रमण के दौरान और उसके बाद भी समय-समय पर जांच करानी चाहिए और खाने-पीने की अच्छी  तरह से देखभाल करनी चाहिए।

 

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