महिलाओं में स्तन कैंसर एक गंभीर समस्या रही है। अधिकांश मामलों में स्तन कैंसर की समस्या महिलाओं में 40 साल के बाद होती है। स्तन कैंसर की प्रारंभिक स्थिति में ब्रैस्ट में एक छोटी सी गांठ जैसी होती है और समय के साथ यह बढ़ती जाती है। हाल में हुए एक शोध से पता चला है कि स्तन कैंसर में मछली के तेल का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। चलिेये विस्तार से जानें कि मछली के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम कैसे कम होता है।
शोध से आए परिणाम
जर्नल ऑफ़ कैंसर एपिडेमियोलॉजी बायोमार्कर एंड प्रिवेंशन में प्रकाशित खोज के अनुसार, मछली के तेल की खुराक से स्तन कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। मछली के तेल से हृदय रोग के जोखिम के कम होने से संबंधित अध्ययन आते रहे हैं, लेकिन हालिया शोधों से इसके कैंसर की रोकथाम में प्रभावी होने के बारे में जानकारियां मिली हैं। फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर के शोध से पता चला कि मछली में मौजूद ओमैगा 3 स्तन कैंसर की रोकथाम कर सकता है।
इस शोध में रजोनिव्रत्ति के बाद वाली 35,000 से भी अधिक महिलाओं ने एक 24 पेज वाली प्रश्नावली को पूरा किया ताकि उनके गैर विटामिन, गैर खनिज, खासतौर पर सप्लिमेंट की खुराक का मूल्यांकन कियाजा सके। इस अध्ययन में हिस्सा लेने वालीमहिलाओं को स्तन कैंसर का कोई इतिहास नहीं था, और ना ही इस अध्ययन में हिस्सा लेते समय ही उनमें स्तन कैंसर था। छह वर्षों के फॉलो-अप के दौरान 880 अध्ययन प्रतिभागियों में स्तन कैंसर विकसित हुआ। इसतेमाल किये गये सभी सप्लीमेंट्स में से मछली के तेल वाला सप्लिमेंट लेने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम कम होता देखा गया। सभी महिलाओं में से नियमित फिश ऑयल सप्लीमेंट लेने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम 32 प्रतिशत तक कम था।
हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि इस विषय पर अभी और भी शओध किये जाने की आवश्यकता है। अतः इस विषय पर पर्याप्त शोध हो जाने से पहले तक इसका सेवन ब्रैस्ट कैंसर में सीधे नहीं किया जाना चाहिये। शोधकर्ताओं के अनुसार, "मरीज को इस संबंध में अपने डॉक्टर सेविचार विमर्श कर लेना चाहिये"।
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