शराब और बच्चों पर इसका प्रभाव

बचपन में शराब की लत बच्‍चे के भावनात्मक विकास में भी बाधा उत्‍पन्‍न कर सकती है।
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शराब और बच्चों पर इसका प्रभाव


Drink sotchस्वास्‍थ्‍य के लिए कोई भी लत हानिकारक होती है और जब बात हो शराब और सिगरेट की तो ये और भी ज्यादा हानिकारक है। घर में शराब लेने से न सिर्फ व्यक्ति की खुद की हेल्थ पर नकारात्मक फर्क पड़ता है बल्कि इससे बच्चे पर गलत प्रभाव भी पड़ता है। घर में शराब होने या बच्चे के माता-पिता में से किसी एक का शराब के एडिक्ट होने से बच्चों के भावनात्मक विकास में भी बाधा आती है। आइए जानें शराब और बच्चों पर इसके प्रभाव के बारे में।

 

  • शराब की लत जिन्हें एक बार लग जाती है, उन्हें यदि शराब न मिलें तो वे बैचेन होकर तोड़फोड़ करने लगते हैं और घर के अन्य सदस्यों को परेशान करने लगते हैं। नतीजन घर का माहौल बिगड़ जाता है और घर में रहने वाले बच्चे पर इन सबका बहुत बुरा असर पड़ता है।
  • नशे का सेवन करने वाले व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी पातें, वे अपने बच्चों की सही परवरिश करने में भी अक्षम होते हैं, नतीजन बच्चे बुरी संगत और गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं।
  • घर में शराब पीने वाले व्यक्तियों के बच्चों को भी जल्दी ही शराब, सिगरेट और नशीली चीजों की लत लग जाती हैं।
  • गर्भावस्था में यदि महिलाएं शराब का सेवन करती हैं तो भी गर्भवती मां और होने वाले बच्चे को कई स्वास्‍थ्‍य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं।
  • शराबी व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से पीडि़त होने से अपराध की दुनिया से जुड जाता है। गलत चीजों उसे अच्छी लगने लगती हैं।
  • बच्चे स्वभाव से ही जिज्ञासू होते हैं, ऐसे में बड़े को शराब पीते देख बच्चों के मन में भी इसे पीने की इच्छा होती है जिससे उन्हें कच्ची उम्र में ही शराब की लत पड़ने की संभावना बढ़ जाती हैं।
  • शराब तंत्रिका तंत्र, लिवर और पेट की बीमारियों, दिल के रोगों, कैंसर की वजह बन सकती है।
  • शराबी व्यक्ति घरेलू हिंसा करने लगता है, इससे बच्चें भी हिंसक होने लगते हैं और वे अपराध जगत से जुड़ने से भी नहीं चूकते।
  • जिन बच्चों के घर में शराब पी जाती है उनका मानसिक विकास सामान्य नहीं हो पाता। अपने बड़ों की देखादेखी वो भी बच्चे शराब पीने लगते हैं।
  • शराब की लत के कारण बच्चे कम उम्र में ही बीमार रहने लगता है और जल्दी ही मौत को गले लगा लेता है।
  • शराब न मिलने से व्यक्ति को घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा होना, मूड में बदलाव, तनाव होना, मानसिक थकावट होना, याददाश्त कमजोर होना, नींद न आना,  सिर में तेज दर्द होना, भूख कम लगना, शरीर में ऐंठन और मरोड़ होना इत्यादि लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों के अलावा व्यक्ति उम्र से पहले ही बीमार रहने लगता हैं।
  • शराब पीने वाले घर के बच्चे चिड़चिड़े और तनावयुक्त रहते हैं। ऐसे बच्चों को अन्य बच्चों से घुलने-मिलने में अधिक परेशानी होने लगती है। वे हीन भावना से ग्रसित हो अकेले रहने की आदी हो जाते हैं।
  • ऐसे बच्चों को पढ़ाई में या अन्य एक्टिविटीज में मन नहीं लग पाता। ऐसे बच्चे हर समय पीछे रहते हैं। शराबी माता-पिता के बच्चों की तर्कशीलता कमजोर होती है और वे सामान्य बच्चों के मुकाबले कम बुद्घिमान होते हैं।

 

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