वायु प्रदूषण लिवर, किडनियों और तंत्रिकाओं को लंबे समय के लिए किस प्रकार प्रभावित करता है? एक्सपर्ट से जानें

वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि लिवर, किडनी और तंत्रिकाओं को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। जानते हैं कैसे...
  • SHARE
  • FOLLOW
वायु प्रदूषण लिवर, किडनियों और तंत्रिकाओं को लंबे समय के लिए किस प्रकार प्रभावित करता है? एक्सपर्ट से जानें


ओएमएच यानि ओन्लीमाई हेल्थ ने एक स्पेशल कैंपेन चलाई है। इसके जरिये हम आपके साथ वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। ध्यान दें कि इस कैंपेन में आपको संबंधित बीमारियों के लक्षण, कारण और बचाव के बारे में भी बताया जाएगा। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि वायु प्रदूषण कैसे लिवर, किडनी और तंत्रिकाओं को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। कुछ समय तक ये सुनने में आ रहा था कि वायु प्रदूषण से राहत मिल गई है। इसका स्तर गिरता देख मन में खुलकर सास लेने की इच्छा पनप रही थी। कि अब फिर से सुनने में आ रहा कि वायु प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ रहा है। ये देख मन में फिर से एक चिंता जग गई है। सवाल ये कि ये सब कब ठीक होगा? शायद आधुनिक जीवनशैली के चलते कभी नहीं। कार, बस, चिमनी आदि से निकलता धुआं वातावरण को कितनी दूषित कर रहा है, इस बात का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। बता दें कि वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि लिवर, किडनी और तंत्रिकाओं को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

 air pollution

लिवर के लिए खतरा है वायु प्रदूषण

जब हम सांस लेते हैं तो दूषित हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। लिवर स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ता है। प्रदूषण के कारण लिवर धीरे-धीरे खून से विषैले तत्वों को बाहर करने की क्षमता खोने लगता है। इससे लिवर फाइब्रोसिस की समस्या होती है, जिसे लिवर की एडवांस बीमारी माना जाता है। आखिर में जाकर यह बीमारी लिवर सिरोसिस का रूप ले लेती है, जो लिवर की कोशिकाओं को नष्ट करने लगती है। लिवर की ये समस्या व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। प्रदूषण के कारण फैटी लिवर और लिवर कैंसर का खतरा बढ़ता है। ऐसे में लिवर धीरे-धीरे पूरी तरह खराब हो सकता है। पढ़ते हैं आगे...

किडनी के लिए खतरा है वायु प्रदूषण

प्रदूषण किडनियों को भी नुकसान पहुंचाता है। नए अध्यनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि प्रदूषण किडनियों की बीमारी का भी कारण बनता है। दरअसल, दूषित वायु में पीएम 2.5 के अलावा सीसा, पारा और कैडमियम जैसे भारी तत्व मौजूद होते हैं, जो धीरे-धीरे किडनी को खराब करते रहते हैं। प्रदूषण में ज्यादा वक्त बिताने वाले लोगों की किडनियां खून को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती हैं, जिसके कारण उनमें किडनी के अलावा विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा होती हैं। वहीं प्रदूषण के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जो किडनियों की कार्यक्षमता को बाधित करता है।

इसे भी पढ़ें- वायु प्रदूषण से हॉर्मोंस भी हो रहे हैं प्रभावित, एक्सपर्ट से जानें इनफर्टिलिटी की समस्या से बचाव

तंत्रिकाओं के लिए खतरा है वायु प्रदूषण

बहुत लोग हैं जो इस बात को समझते हैं कि प्रदूषण तंत्रिकाओं के लिए भी एक बड़ा खतरा है। जो लोग प्रदूषण में ज्यादा वक्त बिताते हैं, उनकी सांस की नली में दूषित कण पहुंच जाते हैं। रक्त प्रवाह के माध्यम से ये कण तंत्रिकाओं में पहुंचकर उन्हें बाधित करते हैं। इससे न सिर्फ शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है बल्कि तंत्रिकाएं ब्लॉक भी हो जाती हैं। ऑक्सीजन की कमी के कारण रक्त प्रवाह में रुकावट आती है, जिसके कारण मस्तिष्क की नसें (तंत्रिकाएं) फट जाती हैं और ब्लीडिंग होने लगती है। इसे स्ट्रोक कहते हैं। स्ट्रोक का जल्द से जल्द इलाज नहीं होने पर व्यक्ति आजीवन विकलांगता या मृत्यु का शिकार हो सकता है।

इसे भी पढ़ें- प्रदूषण के कारण इन 5 समस्याओं में होती है वृद्धि, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके

(ये लेख इंडिया मेडिकल एसोसिएट के पास्ट नेशनल प्रेसिडेंट डॉक्टर विनय अग्रवाल से बातचीत पर आधारित है।)

Read More Articles on other diseases in hindi

Read Next

कमर, पेट और जांघ में गांठ जैसी समस्या को ना करें इग्नोर, हो सकती है ये गंभीर समस्या

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version