जानें कैसे होता है रक्त कैंसर का निदान

रक्त कैंसर के निदान के लिए चिकित्सक ट्यूमर मार्कर टेस्ट करते हैं। ट्यूमर मार्कर से शरीर के ऊतकों, खून और मूत्र का टेस्ट किया जाता है। जब कैंसर के सेल्स उभरे हुए होते हैं तब इस जांच से रक्त कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
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जानें कैसे होता है रक्त कैंसर का निदान


ब्लड कैंसर का निदान न हो पाने की लोगों की मौत हो जाती है। ब्लड कैंसर खून की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। रक्त कैंसर से प्रभावित कोशिकाएं अन्य कोशिकाओं से अलग होती हैं जिनकी पहचान जांच के जरिए की जा सकती है। कैंसर के सेल्स ना तो परिपक्व होते हैं और न ही समाप्त होते हैं। लेकिन कैंसर के सेल्स की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती जाती है। कैंसर के सेल्स खून के प्लेटलेट्स को प्रभावित करने लगते हैं जिसके कारण ब्लड कैंसर का लक्षण दिखाई देने लगता है। रक्त कैंसर दो प्रकार का होता है : ल्यू‍केमिया औ लिम्फोमा। ल्यूकेमिया में कैंसर सेल्स अस्थि मज्जा में मौजूद होते हैं जबकि लिम्फोमा में ज्‍यादा संख्या में लिंफोसाइट्स (सफेद ब्‍लाड सेल्स का एक प्रकार) लिंफ नोड्स (इम्यून सिस्टम की वाल) में पाया जाता है।

 

रक्त कैंसर का निदान

खून की जांच

रक्त कैंसर के निदान के लिए कंप्‍लीट ब्लड काउंट किया जाता है। इसको सीबीसी भी कहा जाता है। खून के नमूने में विभिन्न प्रकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं। जब खून में कोशिकाओं की संख्या ज्यादा मिलती है या खून में जो भी कोशिकाएं होती हैं वह बहुत छोटी होती हैं और असामान्य कोशिकाएं पायी जाती हैं तब जांच से रक्त कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

 

एक्स–रे

सीने का एक्सस-रे करके डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि कैंसर की कोशिकाएं फेफडों में कहां तक फैल गई हैं। चेस्ट एक्स-रे से लिम्फ नोड्स में रक्त कैंसर के संक्रमण का पता लगाया जाता है। फेफडों में कैंसर की कोशिकाओं के संक्रमण का पता एक्स-रे के जरिए किया जाता है।

 

लेप्रोस्कोलपी

लेप्रोस्कोपी के जरिए ब्लड कैंसर की सर्जरी की जाती है। ब्लड कैंसर के निदान के लिए लेप्रोस्कोपी बहुत ही आसान तरीका है।

 

 

ट्यूमर मार्कर टेस्ट

रक्त कैंसर के निदान के लिए चिकित्सक ट्यूमर मार्कर टेस्ट करते हैं। ट्यूमर मार्कर से शरीर के ऊतकों, खून और मूत्र का टेस्ट किया जाता है। जब कैंसर के सेल्स उभरे हुए होते हैं तब इस जांच से रक्त कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

 

यूरीन की जांच 

रक्त कैंसर की जांच के लिए मूत्र के सैंपल की जांच की जाती है। माइक्रोस्कोप के जरिए मूत्र से ब्लड कैंसर के सेल्स  की जांच की जाती है। मूत्र में एपिथेलियल सेल्स होती हैं जो कि मूत्र के मार्ग पर होती हैं और कैंसर के सेल्स इस मूत्र के रास्ते से बाहर निकलते हैं जिसको माइक्रोस्कोप के जरिए खोजा जा सकता है। इस जांच को यूरीन सीटोलॉजी टेस्ट कहा जाता है। कैंसर के सेल्स जब ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं तब इस टेस्ट से इसकी जांच की जा सकती है।


ये रक्त कैंसर के निदान के लिए सामान्य जांच हैं जिनसे रक्त कैंसर का पता लगाया जा सकता है। रक्त कैंसर के सेल्स खून में धीरे-धीरे फैलते हैं। इन जांचों से रक्त कैंसर के स्टेज का पता चलता है। रक्त कैंसर एक घातक बीमारी है और निश्चित समय पर इसके लक्षण पहचान लिए जाएं तो इसका उपचार हो सकता है।

 

image Source - Getty Images

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