How Air Pollution Fuels the Rise of Pneumonia Cases Worldwide in hindi: निमोनिया एक गंभीर बीमारी है। इस संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए दुनियाभर में 12 नवंबर के दिन निमोनिया डे सेलिब्रेट किया जाता है। मेयोक्लिनिक की मानें तो निमोनिया एक तरह का संक्रमण है, जो फेफड़ों यानी लंग्स को प्रभावित करता है। निमोनिया की वजह से लंग्स में सजून आ जाती है और पस भर जाता है। निमोनिया होने पर मरीज को खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में कठिनाई जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। बैक्टीरिया, वायरस और फंगाई सहित विभिन्न प्रकार के ऑर्गेनिज्म निमोनिया का कारण बन सकते हैं। वहीं, इन दिनों हम देख रहे हैं कि प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत घटिया स्तर पर पहुंच चुका है। एक्यूआई कहीं 300 तो कहीं 400 के करीब नोट किया गया है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या प्रदूषण की वजह से दुनियाभर में निमोनिया के मामले बढ़ रहे हैं? दिल्ली के द्वारका में स्थित आकाश हेल्थकेयर में Senior Consultant & HOD- Respiratory & Sleep Medicine डॉ. अक्षय बुधराजा से बातचीत पर आधारित।
प्रदूषण का निमोनिया पर असर
निमोनिया लंग्स से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। अगर समय रहते निमोनिया के मरीज का इलाज न किया जाए, तो उन्हें बुखार, कंपकंपी और कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि निमोनिया पर एयर पल्यूशन के प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाए। हालांकि, हवा में मौजूद फाइन पार्टिकल्स, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और अन्य एयर पल्यूटेंट निमोनिया की कंडीशन को खराब कर सकते हैं। ये पल्यूटेंट रेस्पीरेटरी सिस्टम में जाकर संक्रमण का कारण बनते हैं। यही नहीं, इससे संक्रमण से बचाव करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। नतीजतन, मरीज अंत में निमोनिया का शिकार हो जाता है।
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विश्वस स्तर पर निमोनिया के मामले
डॉ. अक्षय बुधराजा कहते हैं, "निमोनिया के मामले एयर पल्यूशन की वजह से बढ़ रहे हैं। फिलहाल यह वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निमोनिया पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का प्रमुख संक्रामक कारण है, जो हर साल 800,000 से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है। वायु प्रदूषण इस समस्या को और बढ़ा देता है, जिसका निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसी जगहों पर अक्सर हवा प्रदूषित रहती है।"
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निमोनिया का जोखिम किसे हो सकता है?
एयर पल्यूशन उन लेगों के लिए ज्यादा हानिकारक है, जिन्हें पहले से ही अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं हैं। प्रदूषित हवा के संपर्क में आने पर, इन मरीजों के लक्षण बिगड़ जाते हैं, जिससे निमोनिया के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
एयर पल्यूशन को कैसे कम करें
- एयर क्वालिटी में सुधारः यह सही है कि हम बाहरी हवा में विशेष कुछ बदलाव नहीं कर सकते हैं। लेकिन, घर के अंदर की हवा को बेहतर किया जा सकता है। इसके लिए एयर प्यूरिफायर का यूज करें और घर के अंदर साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
- अवेयर रहेंः एयर पल्यूशन के इफेक्ट को कम करने के लिए जरूरी है कि आप अवेयर रहें। जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क पहनकर निकलें। भीड़-भरे इलाकों में जाने से बचें। मोटर गाड़ियों से दूर रहें और घर में स्मोक न करें।
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