किसी व्यक्ति को लकवा तब लगता है, जब हमारे मस्तिष्क में अचानक से रक्त की आपूर्ति रुक जाती है या फिर मस्तिष्क में रक्त वाहिकाएं फट जाती है और मस्तिष्क के आसपास खून भर जाता है। यानी जब व्यक्ति के मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या फिर अचानक से रक्तस्त्राव होने लगता है, तो इस स्थिति को लगवा कहते हैं। आमतौर पर व्यक्ति को लगवा शरीर के किसी एक हिस्से को प्रभावित करता है। जैसे- चेहरे, बांह या एक पैर। सर्दियों में लकवा का खतरा बढ़ जाता है। गाजियाबाद स्वर्ण जयंती के आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी के अनुसार, ठंड हवाओं के कारण हमारे आसपास के वातावरण में तापमान की कमी आती है। इस कारण हमारे शरीर की धमनियां सिकड़ जाती हैं, जिससे शरीर में ब्लड प्रवाह प्रभावित होता है। ऐसे में लवका के मरीजों को गर्म चीजों का सेवन करना चाहिए और उनके शरीर का तापमान भी संतुलित रखने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लकवा की परेशानी को आयुर्वेदिक उपायों से काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। आइए जानते हैं उन घरेलू उपायों के बारे में-
लकवा के लक्षण (Symptoms of Paralysis)
- शरीर में कमजोरी महसूस होना।
- शरीर का कोई एक हिस्सा स्तब्ध हो जाना। जैसे- मुंह, पैर, बांह
- बोलने में दिक्कत होना।
- चेहरा टेड़ा होना।
- बातों को समझने में परेशानी होना।
- आंखों से देखने में दिक्कत होना।
इत्यादि लकवा के लक्षण होते हैं। इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
लकवा का घरेलू उपचार
गिली मिट्टी का लेप
गिली मिट्टी का लेप लकवा रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है। आयुर्वेद में इसे लकवा का काट माना जाता है। अगर आप चाहें तो नियमित रूप से लकवा रोगियों को गिली मिट्टी का लेप लगाएं। अगर रोजाना नहीं कर सकते हैं, तो एक दिन छोड़ कर उन्हें लेप जरूर लगाएं। मिट्टी का लेप लगाने के बाद कटिस्नान कराना जरूरी होता है। अगर उपाय मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
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रोजाना कराएं भापस्नान
राहुल चतुर्वेदी बताते हैं कि लकवा रोगियों को नियमित रूप से भापस्नान करना चाहिए। भाप स्नान कराने के बाद प्रभावित स्थान पर एक गर्म गीली चादर से ढकें। ऐसा करने के बाद उन्हें धूप में बैठाएं। लवका रोगियों के लिए नियमित रूप से धूप से सिंकाई जरूरी है। इन उपायों से उन्हें काफी हद तक आराम मिलेगा।
नींबू पानी का एनिमा
नींबू पानी का एनिमा लकवा रोगियों के लिए असरकारी हो सकता है। यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक इलाज है। इसमें रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर उसके पेट की सफाई करनी चाहिए। यह एक ऐसा इलाज है, जिससे रोगी के शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकलता है। लवका मरीजों के शरीर से पसीना निकलना बहुत ही जरूरी है। ऐसा होने से उनकी समस्या से राहत मिल सकता है।
गर्म चीजों का सेवन
लवका रोगी शारीरिक रूप से बहुत ही कमजोर होते हैं। इन रोगियों को गर्म चीजों का सेवन अधिक करना चाहिए। इससे उनके शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। पैरालिसिस रोगियों को अगर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो उन्हें नियमित रूप से गर्म चीजें जैसे- लौंग, अदरक और काली मिर्च का सेवन कराएं।
इन सभी उपायों से आप लकवा का घरेलू उपचार कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह पर रोगियों का घरेलू उपचार ना करें। डॉक्टर के सलाहनुसार ही आप उनका घरेलू उपचार करें।
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