चिरायता खाने के फायदे और नुकसान, एक्सपर्ट से जानें इसके बारे में सबकुछ

प्राकृतिक जड़ी-बूटियों द्वारा आयुर्वेद में उपचार किया जाता है, यहां हम बात कर रहे हैं एक ऐसी जड़ी ही जड़ी-बूटी की, जिसे आयुर्वेद में औषधि माना है।

Garima Garg
Written by: Garima GargUpdated at: Dec 11, 2020 18:20 IST
चिरायता खाने के फायदे और नुकसान, एक्सपर्ट से जानें इसके बारे में सबकुछ

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भारत में प्रकृतिक चिकित्सा प्रणाली को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीन प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से उपचार किया जाता है, चिरायता एक ऐसी ही जड़ी-बूटी है, जिसे आयुर्वेद में औषधि माना जाता है। हमारे देश में सदियों से चिरायता का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बीमारियों को ठीक करने में किया जा रहा है। इसके स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए इसे “मेजिक हर्ब” या “जादुई जड़ी-बूटी” कहा जाता है। आईये इसके बारे में सबकुछ...

chirata

चिरायता

चिरायता एकजड़ी-बूटी है, जिसे आयुर्वेद में बहुत ही उत्तम औषधि माना जाता है और कई बीमारियों के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो चिरायता की कई प्रजातियां है, लेकिन स्वेर्टिया चिराता (वैज्ञानिक नाम) सबसे गुणकारी है और आयुर्वेद में इसी को औषधि के रूप में इस्तेमाल करने का कहा जाता है, क्योंकि इसकी अन्य प्रजातियां इतनी गुणकारी नहीं होती हैं। 

इसका पौधा बाजार में आसानी से मिल जाता है। चिरायता का स्वाद बेहत कड़वा होता है, लेकिन यह उतना ही गुणकारी होता है।एंटी ऑक्सीडेंट्स, अल्केलॉइड्स और ग्लायकोसाइड्स जैसे झेंथोन्स, चिराटानिन, पालमिटिक एसिड आदि से भरपूर चिरायता में सर्दी-खांसी से लेकर कैंसरको ठीक करने के गुण होते हैं।

कोविड-19 महामारी में लोगों का झुकाव आयुर्वेद की ओर हुआ है, ऐसे में एक बार फिर से चिरायता काफी चर्चा में आ गया है। अगर संक्रमण के इस दौर में आप अपने रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाना चाहते हैं तो इसे अपने डाइट चार्ट में जरूर शामिल करें।

स्वास्थ्य लाभ

चिरायता का सेवन बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक होता है। सामान्य और स्वस्थ्य लोग इसके सेवन से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बना सकते हैं, वहीं किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे लोग इसका सेवन औषधि के रूप में कर सकते हैं। यह एक नहीं कई बीमारियों के उपचार में कारगर है। 
 
भूख न लगना
यह पाचन शक्ति को तेज करता है, इसलिए इसके सेवन से भूख खुलकर लगती है। जिन लोगों को भूख कम लगती है उन्हें नियमित रूप से इसका सेवन करना चाहिए।

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त्वचा की बीमारियां

चिरायता, शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर त्वचा से संबंधित समस्याओं जैसे रैशेज़, खुजली, एक्जिमा और लालपन को कम करता है। यही नहीं इससे बैक्टीरिया के संक्रमण को भी ठीक किया जा सकता है। जिन लोगों को मौसम बदलने से या फिर बरसात के मौसम में मुंहासों की समस्या होती है, उन्हें इसके सेवन से आराम मिलता है।

पेट के कीड़े 

चिरायता को एंटी-पैरासाइट माना जाता है, ये पेट के कीड़ों को मारता है। अक्सर छोटे बच्चों में यह समस्या हो जाती है।सुबह खाली पेट लिया गया चिरायते का काढ़ा या चूर्ण (चिरायता भिगोया हुआ जल मिश्री के साथ) पेट के कीड़ों को नष्ट कर आंतों की सफाई करता है। 

पेट गड़बड़ा जाना

चिरायता का सेवन पेट की गड़बड़ियों में भी बहुत कारगर है। जो लोग बार-बार दस्त लगने, पेचिश या कब्ज की समस्या से परेशान हैं, उन्हें 2-4 ग्राम चिरायता चूर्ण में दोगुना शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए। इससे पेट से संबंधित इन सभी गड़बड़ियों में आराम मिलता है।

श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याएं

चिरायता का सेवन श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याओं जैसे सर्दी-खांसी, गले की खराश, सांस लेने में परेशानी और साइनस के संक्रमण में भी फायदा पहुंचाता है।

लिवर से संबंधित समस्याएं

नियमित रूप से इसका सेवन करने से लिवर से ट़क्सिन्स निकल जाते हैं, ये लिवर की नई कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है। लिवर ही हमारे पाचन तंत्र का केंद्र है, ऐसे में चिरायते का सेवन हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

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रक्त विकार

चिरायता रक्त से विषैले पदार्थों को निकालकर उसे शुद्ध करता है और रक्त संबंधी विकारों को ठीक करता है। 

मलेरिया और दूसरे बुखार

चिरायता नए (एक्यूट) और पुराने (क्रानिक) दोनों ही प्रकार के बुखारों को ठीक करता है। बैक्टीरिया, वायरस और अन्य रोगाणुओं के संक्रमण से होने वाले बुखारों में भी इसका सेवन फायदा पहुंचाता है। यह मलेरिया के उपचार में भी कारगर है।मलेरिया या अन्य बुखारों में इसके चूर्ण को दूध में घोलकर पीने की सलाह दी जाती है।

प्यास को करे नियंत्रित 

जिन लोगों को प्यास बहुत अधिक लगती है, उन्हें इसका सेवन जरूर करना चाहिए। इसके सेवन से प्यास नियंत्रित होती है। एक दिन में 3-4 लिटर से अधिक पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि बहुत ज्यादा पानी पीने से किडनियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

प्रकृति

आयुर्वेद के अनुसार, चिरायता का रस तीखा, गुण में लघु, प्रकृति में गर्म तथा कड़ुवा होता है। यह कफ विकार को ठीक करने वाला है। चिरायता में एमेरोजेण्टिन नामक ग्लाइकोसाइड पाया जाता है, जो विश्व के सबसे अधिक कड़वे पदार्थों में से एक होता है।

कैसे करें सेवन:

चिरायता का सेवन चूर्ण और काढ़े के रूप में किया जाता है। पहले चिरायता की पत्तियों को घऱ में सुखाकर इसका चूर्ण बनाया जाता था लेकिन अब यह बाजार में कुटकी चिरायते के रूप में उपलब्ध है।लेकिन आप इसे घर पर ही बनाएं, क्योंकि ताजा और विशुद्ध चिरायता ही अधिक कारगर होता है।

नोट:

औषधि के रूप में चिरायता का इस्तेमाल करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

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कितनी मात्रा में लें

कितनी मात्रा में इसका सेवन करें, यह कई कारकों जैसे उम्र, स्वास्थ्य और दूसरी स्थितियों पर निर्भर करता है। यह बहुत कड़वा होता है, इसलिए कुछ लोगों को इसके सेवन करने से उल्टी हो जाती है।अधिक मात्रा में इसका सेवन न करें, क्योंकि इससे टेस्ट बड्स कड़वी हो जाती हैं।

सामान्य तौर पर इतनी मात्रा में इसका सेवन ठीक रहता है:

  • चूर्ण – 3-5 ग्राम
  • काढ़ा – 20-30 मिली लीटर
  • इसका सेवन पानी, दूध, शहद या अन्य पदार्थों के साथ किया जा सकता है।

तो न करें चिरायता का सेवन:

गर्भवती, स्तनपान कराने वाली महिलाएं और डायबिटीज़ रोगी इसका सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें। यह रक्त में शूगर के स्तर को कम करता है, इसलिए डायबिटीज़ रोगी इसके सेवन करते समय अपने रक्त में शूगर के स्तर को मॉनिटर करें। अगर आंतों में अल्सर है तब भी इसका सेवन न करें, क्योंकि स्थिति और गंभीर हो सकती है। 

सर्जरी के दो सप्ताह पहले इसका सेवन बंद कर देना चाहिए, क्योंकि यह रक्त में शूगर के स्तर को नियंत्रित करने में रूकावट डालता है। 

 (ये लेख आनंद श्रीवास्तव महर्षि आयुर्वेद के अध्यक्ष से बातचीत आधारित है।)  

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