
आज के समय में नाक-कान छिदवाना एक स्टाइल बन गया है। पियर्सिंग खुद को मॉडर्न दिखाने का एक तरीका बन गया है। ईयर या नोज पियर्सिंग काफी समय से परंपरा के रूप चली आ रही है, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह पियर्सिंग ट्रेंडी लुक तो देती है, पर कई बार यह कान या नाक के छेद में संक्रमण भी पैदा कर देती है। इस संक्रमण की वजह से कान या नाक के छेद में सूजन, लालिमा, ब्लीडिंग, त्वचा की पपड़ी आदि परेशानियां होने लगती हैं। कई बार सूजन की वजह से बहुत दर्द भी होता है। अगर आप भी ऐसी ही परेशानी से जूझ रहे हैं तो घबराइए मत। यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे आसान घरेलू उपाय जिन्हें अपनाकर आप इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। यहां कान-नाक छिदवाने के बाद संक्रमण से बचने के 9 घरेलू उपाय बताए गए हैं।
नाक-कान छिदवाने के बाद संक्रमण के कारण
- बैक्टीरिया के कारण
- कान या नाक में छेद करने वाले उपकरण की वजह से
- साफ-सफाई का ध्यान न रखना
- छिदे हुए कान या नाक में बार-बार हाथ लगाना
- नोज पिन को बार-बार न घुमाना
नाक-कान छिदवाने के बाद के संक्रमण को दूर करने के घरेलू उपाय
1. नीम की डंडी
हम सभी के घरों के आसपास का पेड़ मिल जाएगा। नीम में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। यदि आपका कान पक गया है तो उसमें नीम की पतली डंडी डाल लें। मतलब कान या नाक के छेद में नीम की बहुत पतली और मुलायम डंडी डालें। ध्यान रहे कि नीम की डंडी हरी होनी चाहिए। सूखी हुई नहीं। इसकी एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज के कारण यह कान की सूजन या संक्रमण को खत्म करेगा।
नीम की डंडी त्वचा रोगों में बहुत फायदेमंद है। कई लोग खुजली होने पर नीम के पत्तों के पानी से नहाते भी हैं। तो वहीं, आजकल बाजार में भी नीम युक्त साबुन आने लगे हैं।
2. साफ-सफाई का ध्यान रखें
जैसा कि हम जानते हैं कि कान या नाक छिदवाने के बाद दोनों चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। अगर आप कान को रोज साफ नहीं करते हैं तो गंदगी पियर्सिंग वाली जगह पर जमने लगती है और वह जमकर दिक्कत करने लगती है। ऐसे में पिरयर्सिंग वाली जगह की नियमित तौर पर सफाई करें।
3. ओस की बूंद
सुबह की अमृत बेला में जब आप घर से बाहर निकलते हैं तो पेड़-पौधों पर देखते हैं कि ओस की बूदें जमी हुई हैं। ये ओस की बूंदें कान या नाक के छेद के संक्रमण को दूर करने में रामबाण हैं। यह नुस्खा मैंने खुद अनपाया है। जब भी आपको काने के छेद में दर्द महसूस हो रहा है या सूजन आ गई है तो आप सुबह-सुबह आई ओस की बूंद को सूजन वाली जगह पर लगा लीजिए। ऐसा आप 1 हफ्ता करेंगे तो आपको फर्क दिखने लगेगा। 1 हफ्ते में कान के छेद के पकने की समस्या दूर हो जाएगी।
4. सरसों का तेल
सरसों के तेल में भी एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। अगर कान या नाक के छेद में सूजन हो गई है या हल्का दर्द हो रहा है तो थोड़ा सा सरसों का तेल लगा लें। इससे आपको दर्द से राहत मिलेगी। यह उपाय आप चार से पांच दिन तक कर सकते हैं।
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5. मसाले की ग्रेवी
मसाले की ग्रेवी जितना खाने का स्वाद बढ़ाती है उतना ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। दरअसल पके हुए कान के छेद में मसाले की यह ग्रेवी बहुत असरदार तरीके से काम करती है। जब भी आपका कान पक जाए मतलब उसमें दर्द या सूजन होने लग जाए तो कान के छेद पर थोड़ी सी ग्रेवी रख दें। जब आप खाना बना रहे हों तभी थोड़ी सी गुनगुनी ग्रेवी कान के छेद पर रख दें। इस तरह से आप रोज सुबह-शाम यह ग्रेवी लगा सकती हैं। आपके कान के छेद का दर्द जल्दी ही बंद हो जाएगा।
6. पस निकालने के लिए कॉटन स्वेब
अगर कान के छेद के आसपास पस जमा हो गई है तो कॉटन स्वेब की मदद से निकाल लें। पहले कॉटन स्वेब को एंटीबैक्टीरियल सोप में भिगो लें फिर पस निकालें। इससे आपके कान का छेद साफ हो जाएगा और वापस पस नहीं जमेगी। इस तरह भी आप कान छिदवाने के बाद के संक्रमण को दूर कर सकते हैं। कान के आसपास पस जमा होने को नजरअंदाज न करें। इसका समय रहते निदान करें।
कान के छिदे हुए छेद को आप तभी ठीक रख सकते हैं जब आप उसे सूखा रखें। गीला रहने पर उसमें नमी जमती है और बैक्टीरिया पनपता है। इसलिए जरूरी है कि छेद को सूखा रखें और नहाने के बाद उसे जरूर सुखाएं।
7. वार्म कंप्रेस
वार्म कंप्रेस करने से सूजन में राहत मिलती है। अगर कान के छेद में सूजन आ गई है तो वार्म कंप्रेस काम कर सकता है। इसके लिए आपको एक कॉटन के कपड़े को गर्म पानी में भिगोना है। 3 से 4 मिनट तक कान की सिकाई करनी है। इससे दर्द में राहत मिलेगी। वार्म कंप्रेस करने के बाद कान को किसी साफ कपड़े से साफ कर लें। कान को सूखा रखें। इस उपाय से भी आपको मदद मिल सकती है।
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8. नोज पिन या इयरिंग को घुमाएं
कान में पहनी बाली या नाक में पहनी नथुनी को दिन में 2 से 3 बार घुमाने से संक्रमण नहीं होता है। इसके पीछे की वजह यह है कि जब कान में पड़ा कुंडल बार-बार घुमाया जाता है तो उसमें पपड़ी नहीं जमती है जिस वजह से वह जाम नहीं होता है। ऐसे में उसे बार-बार घुमाने से उसमें दर्द नहीं होता। लेकिन हां, अगर आपने कुछ दिन पहले ही पियर्सिंग कराई है तो ऐसा न करें, इससे आपको दर्द होगा। जब घाव सूख जाए तब करें।
9. पियर्सिंग को न छुएं
बार-बार कान को छूने से भी इंफेक्शन होता है। हम कान को छूने से पहले धोते नहीं हैं, ऐसे में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। अगर कान के छेद में घाव है तो पहले हाथ को साबुन से अच्छे से धो लें फिर छुएं। हालांकि अगर जरूरी न हो तो बार-बार छूने से बचना चाहिए।
नोज या इयर पियर्सिंग फैशन का ट्रेंड तो बन गया है लेकिन इस पियर्सिंग की वजह से इंफेक्शन हो जाता है, इसे घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता है।
(ध्यान दें कि यहां जो उपाय बताए गए हैं वे सामान्य जानकारी है। अगर आपको त्वचा संबंधी परेशानियां हैं और घरेलू उपाय अपनाने के बाद भी पियर्सिंग ठीक नहीं हो रही है तो चिकित्सक से मिलें।)
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