हर महिला का मां बनने का सपना जरूर होता है। गर्भधारण करने से पहले महिला के शरीर को स्वस्थ और निरोगी होने से उसे गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। कभी-कभी प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसे जोखिम युक्त या हाई रिस्क प्रेगनेंसी कहते हैं। हाई रिस्क प्रेगनेंसी में महिला के पेट में पल रहे भ्रूण और महिला दोनों को गंभीर खतरा होता है। इंटरनेशन जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ (IJCMP) द्वारा जारी की गयी एक रिपोर्ट की माने तो विश्व में तकरीबन 5,29,000 महिलाओं की मौत गर्भावस्था के दौरान जोखिम की वजह से हो सकती है। आइये डॉ शेफाली त्यागी, कंसलटेंट - प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, बैंगलोर (बेलंदूर) से जानते हैं इस समस्या के बारे में।
क्या है हाई रिस्क प्रेगनेंसी? (What Is High Risk Pregnancy?)
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किसी भी महिला के प्रेग्नेंट होने के बाद उसे होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की स्थिति को गर्भावस्था का जोखिम या रिस्क प्रेगनेंसी कहते हैं। हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली महिलाओं को इस दौरान अधिक देखभाल की जरूरत होती है। इसके अलावा ऐसी स्थिति में बच्चे के जन्म के बाद उसमें कई तरह की समस्याओं का खतरा रहता है। कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के बाद होने वाली स्थितियां इसका कारण बनती हैं वहीँ कुछ महिलाओं में ये दिक्कत जन्म के समय से विकसित हुई दिक्कत की वजह से होती है। जेस्टेशनल डायबिटीज, एचआईवी, मोटापा और प्रीक्लेम्पसिया जैसी समस्याएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी का कारण बनती है।
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हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कारण (What Causes High Risk Pregnancy?)
सेहत से जुडी कुछ समस्याओं के कारण महिलाओं में हाई रिस्क प्रेगनेंसी की समस्या रहती है। इसके आलावा आज के समय में बदलती लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से भी ये समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। हाई रिस्क प्रेगनेंसी यानी प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली समस्याएं महिला के पेट में पल रहे भ्रूण और महिला के जीवन को भी गंभीर खतरा होता है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी की समस्या इन कारणों से होती है।
1. महिलाओं की उम्र की वजह से भी यह समस्या कुछ महिलाओं में हो सकती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक जिन महिलाओं की उम्र 35 साल से अधिक होती है और वे जब इस उम्र में प्रेग्नेंट होती हैं तो उन्हें प्रीक्लेम्पसिया और गर्भकालीन उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है।
2. मधुमेह, रक्तचाप, मिर्गी, आमवाती गठिया आदि जैसी समस्याओं की वजह से भी महिलाओं में हाई रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा रहता है।
3. गर्भाशय में हुई कोई पुरानी सर्जरी की स्थिति में भी महिला को हाई रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा रहता है। फाइब्रॉएड को हटाना, जुड़वा बच्चों और आईवीएफ द्वारा गर्भ धारण करने से भी महिलाओ में ये समस्या हो सकती है।
4. गर्भावस्था के समय होने वाली कुछ अन्य समस्याओं की वजह से भी महिलाओं को हाई रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा रहता है।
5. र्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया जैसे उच्च रक्तचाप विकारों का इतिहास अगली गर्भावस्था में जोखिम बढ़ा सकता है। इसके अलावा समय से पहले जन्म की वजह से भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी हो सकती है।
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हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण (High Risk Pregnancy Symptoms)
उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था यानी हाई रिस्क प्रेगनेंसी की समस्या में महिलाओं के शरीर में कई लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन इन लक्षणों को सामान्य गर्भावस्था के लक्षण से अलग करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इस समस्या में दिखने वाले संकेत काफी समय तक बने रह सकते हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं की किसी भी महिला में ये लक्षण काफी समय तक और गंभीर रूप से दिखें तो महिला को तुरन्त चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
- पानी जैसा योनि स्राव
- भ्रूण की गति में कमी
- बार-बार संकुचन
- धुंधली दृष्टि की समस्या
- पेशाब करते समय दर्दनाक जलन
- लगातार सिरदर्द
- योनि से खून बहना
हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बचाव के टिप्स (High Risk Pregnancy Prevention Tips)
गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए महिला को समय-समय पर अपनी जांच जरूर करानी चाहिए। इसके अलावा आप इस समस्या के लक्षणों को ध्यान में रखकर इस गंभीर समस्या से बचाव कर सकते हैं। गर्भवस्था के दौरान तनाव को मैनेज करने और आराम करने से आप इस समस्या में राहत पा सकते हैं।
- रोजाना कुछ समय मेडिटेशन करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
- रोजाना नियमित रूप से वाक करें।
- डॉक्टर से संपर्क करें।
ऊपर बताई गयी बातों का ध्यान रखकर आप इस गंभीर समस्या से बच सकते हैं। हाई रिस्क प्रेगनेंसी से आपके पेट में मौजूद भ्रूण और आपकी सेहत को गंभीर खतरा होता है। इसके लक्षण दिखने पर चिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए।
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