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भारी बस्ते बच्चों में बढ़ा सकते हैं Scoliosis (रीढ़ की हड्डी का एक तरफ मुड़ना) का जोखिम, डॉक्टर से जानें

बच्चों के कंधों पर बढ़ते बैग्स का बोझ उनके लिए खतरनाक हो सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो भारी वजन के बैग्स की वजह से बच्चों के पोश्चर में बदलाव आ सकता है। साथ ही उनको स्कोलियोसिस का जोखिम भी हो सकता है।
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भारी बस्ते बच्चों में बढ़ा सकते हैं Scoliosis (रीढ़ की हड्डी का एक तरफ मुड़ना) का जोखिम, डॉक्टर से जानें


Heavy BackPacks Increase Risk of Scoliosis In Children: बच्चों के कंधों पर भारी बैग के बोझ से उनको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो कंधों पर भारी वजन के बैग्स उठाने से उनके पोश्चर में बदलाव हो सकता है। साथ ही, उनको कई पीठ और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। इसका ज्यादा नुकसान छोटी उम्र के बच्चों को उठाना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका शरीर बढ़ रहा होता है, ऐसे में भारी वजन के बैग्स से उनकी हाइट और पीठ आगे की ओर झुकने का जोखिम अधिक होता है। इतना ही नहीं, छोटी उम्र के बच्चों को स्कोलियोसिस (Scoliosis) होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। यह एक रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या है, इसमें रीढ़ की हड्डी का असामान्य धुमाव हो जाता है। यह घुमाव S या C के आकार का हो सकता है। सही समय पर पहचान कर स्कोलियोसिस का इलाज किया जा सकता है। इस लेख में यशोदा अस्पताल की पीडियेट्रिक्स दीपिका रुस्तगी से जानते हैं कि स्कोलियोसिस क्या होता है। साथ ही इसके लक्षण और इलाज के बारे में भी आगे विस्तार से जानेंगे।

बच्चों में स्कोलियोसिस के लक्षण - Symptoms Of Scoliosis In Children in Hindi

स्कोलियोसिस के शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं, इसलिए इसे पहचानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। बच्चों में स्कोलियोसिस के कुछ सामान्य लक्षण आगे बताए गए हैं।

  • पीठ दर्द: कई बच्चों को हल्का पीठ दर्द हो सकता है, जो खेलने या अन्य गतिविधियों के दौरान बढ़ सकता है।
  • पीठ का झुका होना: पीठ को देखते समय रीढ़ की हड्डी एक तरफ झुकी हुई दिखाई दे सकती है।
  • एक कंधा या कूल्हा ऊंचा होना: स्कोलियोसिस के कारण एक कंधा या कूल्हा दूसरे से ऊंचा हो सकता है।
  • कमर की असमानता: बच्चों की कमर असामान्य दिख सकती है, और कपड़े सही तरीके से फिट नहीं आते।
  • शरीर का संतुलन बिगड़ना: इस स्थिति में बच्चे को चलने में परेशानी हो सकती है, और संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है।

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क्या कहते हैं डॉक्टर

पीठ दर्द के अलावा, भारी बैग से कंधे में झुकाव हो सकता हैं। साथ ही, गर्दन और कंधे में दर्द हो सकता है, जो बच्चे अपने बैगपैक को ठीक से नहीं उठाते हैं या सिर्फ एक कंधे पर बैग उठाते हैं, उनको कंधों और रीढ़ से जुड़ी समस्याओं का जोखिम अधिक होता है, जिससे रीढ़ की हड्डी मुड़ सकती है और यहां तक कि स्कोलियोसिस जैसी स्थिति और गंभीर हो सकती है। हालांकि, भारी बैग उठाने से सीधे तौर पर यह समस्या उत्पन्न नहीं होती, लेकिन यह निश्चित रूप से स्थिति को बढ़ा सकती है और रीढ़ की हड्डी बनावट में समस्या का कारक बन सकती है।

बच्चों में स्कोलियोसिस के प्रकार - Types Of Scoliosis in Children In Hindi

स्कोलियोसिस का मुख्य कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, कुछ कारक इस स्थिति का जोखिम बढ़ा सकते हैं। जिसमें छोटे बच्चों के कंधों पर भारी बोझ को भी शामिल किया जा सकता है। आगे जानते हैं इसके कुछ प्रकार के बारे में।

  • इडियोपैथिक स्कोलियोसिस: यह सबसे सामान्य प्रकार है और इसमें स्पष्ट कारण नहीं होता। इस प्रकार की स्कोलियोसिस आमतौर पर किशोरावस्था में दिखाई देती है।
  • आनुवंशिकता: यदि परिवार में किसी सदस्य को स्कोलियोसिस है, तो बच्चों में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • जन्म से स्कोलियोसिस होना: यह जन्मजात स्थिति होती है जिसमें बच्चे की रीढ़ की हड्डी जन्म से ही विकृत होती है। गर्भावस्था के दौरान रीढ़ की हड्डी का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता, जिसके कारण जन्म से ही स्कोलियोसिस हो सकता है।
  • तंत्रिका तंत्र से जुड़ा स्कोलियोसिस: यह उन बच्चों में होता है जिन्हें मांसपेशियों या नसों से संबंधित समस्याएं होती हैं, जैसे कि सेरेब्रल पाल्सी या मस्कुलर डिस्ट्रॉफी आदि।

बच्चों में स्कोलियोसिस का इलाज - Treatment Of Scoliosis in Children In Hindi

नियमित जांच करना (Observation)

स्कोलियोसिस के हल्के लक्षण में डॉक्टर केवल नियमित जांच करने की सलाह देते हैं, ताकि यह पता चल सके कि समस्या बढ़ तो नहीं रही है। आमतौर पर हर 6 से 12 महीने में चेक-अप की आवश्यकता होती है।

ब्रेस (Brace)

स्कोलियोसिस मध्यम होने पर ब्रेस पहनने की सलाह दी जा सकती है। ब्रेस रीढ़ की हड्डी के झुकाव को बढ़ने से रोकता है। इसे बच्चों को उनकी उम्र और झुकाव की गंभीरता के अनुसार पहनने की सलाह दी जाती है, खासतौर से तब, जब बच्चे का शरीर ग्रोथ फेज चल रहा हो।

फिजिकल थेरेपी (Physical Therapy)

फिजिकल थेरेपी बच्चों में रीढ़ की हड्डी की लचीलापन और मांसपेशियों की मजबूती बढ़ाने में सहायक होती है। यह रीढ़ की हड्डी पर दबाव को कम करने में मदद करती है और बच्चों को अपने शरीर का संतुलन बनाए रखने में सहायता करती है।

सर्जरी (Surgery)

स्कोलियोसिस के गंभीर मामलों में, जब बच्चे की पीठ का झुकाव बहुत अधिक हो जाता है और अन्य उपचार कारगर नहीं होते हैं, तब डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। सर्जरी में रीढ़ की हड्डी को सीधा करने के लिए स्पाइनल फ्यूजन (Spinal Fusion) किया जाता है, जिससे झुकाव को कम किया जा सके।

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बच्चों में स्कोलियोसिस की समय पर पहचान और उचित इलाज उनके जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक हो सकती है। यदि आपको बच्चे में स्कोलियोसिस के लक्षण दिखा रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। उचित देखभाल और सही इलाज से बच्चों को स्कोलियोसिस के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

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