World Heart Day: हार्ट का फेल हो जाना एक ऐसी क्रॉनिक या जीर्ण और अग्रिम किस्म की अवस्था है, जहां हृदय की धमनियां शरीर के लिए आवश्यक रक्त एवं ऑक्सीजन को उचित मात्रा में पहुंचा पाने में असमर्थ साबित होती हैं। हार्ट फेल होने की स्थिति में व्यक्ति कुछ भी कर पाने में असमर्थ होता है, इसकी सबसे बड़ी वजह जानकारी का आभाव है। इसलिए हम आपको कुछ ऐसे प्रश्नों और उनके जवाबों के बारे में बता रहे हैं, जो बहुत ही कॉमन हैं।
मुम्बई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. संतोष कुमार डोरा ने इस जीर्ण अवस्था के बारे में एक मरीज द्वारा पूछे गये सवालों के महत्वपूर्ण जवाब दिये हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. हार्ट के फेल हो जाने की अवस्था में शरीर का क्या होता है?
हार्ट का फेल होना हृदय संबंधी कई बीमारियों से उपजी एक ऐसी स्थिति है, जब हृदय शरीर के लिए आवश्यक रक्त का संचार करने में असमर्थ हो जाता है। रक्त संचार की नाकामी के चलते तरल पदार्थ फेफड़ों और शरीर के अवलम्बित हिस्सों में जमा हो जाता है। जब बड़ी मात्रा में तरल पदार्थ फेफड़े में इकट्ठा हो जाता है, तो इससे डिस्प्निया व खांसी के लक्षण उभरकर सामने आते हैं। शुरुआती दौर में ये शारीरिक कार्य करने की अवस्था में दिखायी देते हैं, मगर जैसे-जैसे हालत बिगड़ती जाती है, तो आराम और लेटे रहने के दौरान भी ये लक्षण दिखायी देने लगते हैं। जब शरीर के अवलम्बित हिस्सों में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा होता है, तो नतीजतन दोतरफा पेडल एडिमा हो जाता है।
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2. हार्ट फेल्योर का शिकार हो चुके व्यक्ति के जीने की कितनी संभावना होती है?
हार्ट फेल्योर का शिकार हो चुका शख़्स एक सीमित अवधि तक ही जीवित रह पाता है। एक सर्वे के मुताबिक, 50% लोग 5 साल से कम समय तक ही जीवित रह पाते हैं। उल्लेखनीय है कि खान-पान में नियमितता, सही समय पर औषधि के सेवन और जीवनशैली में बदलाव लाने से व्यक्ति की और अधिक जीवित रहने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हार्ट फेल्योर के इटियोलॉजिकल कारकों में सुधार लाने से सामान्य तौर पर जीवित रहने की अवधि बढ़ जाती है।
3. हार्ट फेल्योर के कौन-कौन से लक्षण होते हैं?
हार्ट फेल होने के लक्षणों में शारीरिक कार्य करने अथवा आराम के वक्त डिस्प्निया का होना, आसानी से होनेवाली थकावट, बाइलैट्रल एंकल एडेमा, वजन का बढ़ना, भूख में कमी आना आदि का शुमार है।
4. हार्ट फेल हो जाने के कौन-कौन से कारण हैं?
हार्ट के फेल होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से सबसे आम है हृदय की धमनियों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से हृदय में सिकुड़न आना। इससे हृदय की कार्यक्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती है और इसके बाद व्यक्ति को हृदयाघात होता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हृदयाघात से कोई संबंध नहीं होते हुए भी हृदय की धमनियों में सिकुड़न आ जाती है। ऐसा व्यक्ति को पहले हो चुके वायरल इंफ़ेक्शन की वजह से हो सकता है, जिससे हृदय की धमनियां प्रभावित हो जाती हैं। इसके अन्य कारणों में शराब का अधिक मात्रा में सेवन, गर्भधारण संबंधी कार्डियोमायोपैथी शामिल हैं।
वाल्व के सिकुड़ने से होनेवाली क्षति अथवा लीकेज के चलते गंभीर रूप से हार्ट फ़ेल होने की आशंका होती है। एनेमिया, थायरोटॉक्सिकोसिस के रूप में अधिक मात्रा में रक्त पहुंचने की वजह से हार्ट फेल हो सकता है। रेस्ट्रेक्टिव कार्डियोमायोपैथी, कंस्ट्रक्ट्रिटिव पेरेकार्डिटिस (हृदय पर चढ़ी गाढ़ी व काल्सिफ़िक झिल्ली की अवस्था) में हृदय की धमनियों की बिगड़ी हुई स्थिति से भी हार्ट फ़ेल होने की आशंका रहती है।
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5. क्या हार्ट फेल्योर का कोई इलाज संभव है?
कई तरीके उपलब्ध हैं, जिनसे हार्ट फेल्योर का इलाज संभव है। इसके त्वरित इलाज में से एक है शरीर में इकट्ठा हुए अतिरिक्त तरल पदार्थ से छुटकारा पाना, जिसके लिए औषधि के जरिए पेशाब निकासी की मात्रा बढ़ाना ज़रूरी होता है। इसके अन्य इलाज में दिल की धड़कन के दौरान पैदा होने वाले अवरोधों को हटाना, हृदय के सिकुड़ने की संभावनाओं को कम करना शामिल है। इसके बाद हार्ट फेल्योर से संबंधित इटीयोलॉजिकल कारकों में सुधार लाया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव, खान-पान (खासकर नमक और पानी) संबंधी नियमितताएं हार्ट फेल से बचने के कारगर उपाय हैं।
कार्टडिएक रीसिंक्रोनाइज़ेशन थेरेपी, अरिथमिया को ठीक करने के लिए रेडियो फ्रिक्वेंसी पृथक्क करण, करेक्टिव वाल्व सर्जरी आदि जैसे विशेष प्रक्रियाओं को हार्ट फेल के इलाज के तौर पर ज़रूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सकता है।
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6. हार्ट फेल संबंधी इलाज के क्या-क्या विकल्प मौजूद हैं?
हार्ट फेल्योर से बचने के उपायों में औषधि का नियमित सेवन, खान-पान में बदलाव, जीवनशैली में तब्दीली, किसी भी तरह के हृदय विकार का सही तरीके से ऑपरेशन किया जाना, चिह्नित जगह पर पेसमेकर इम्प्लांटेशन करना आदि शामिल हैं। कुछ मामलों में, जब हृदय की धमनियां बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो ऐसे में हृदयाघात के इलाज के लिए हार्ट प्लांटेशन किया जाता है अथवा वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस को लगाया जाता है।
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7. क्या हार्ट फेल्योर से बचा जा सकता है?
बीमारी हो जाने की तुलना में बचाव के उपाय करना अधिक कारगर सिद्ध होता है। समय-समय पर स्वास्थ्य की जांच से शुरुआती दौर में ही हृदय संबंधी बीमारी का पता चल जाता है, जिससे हृदय की अवस्था को और बिगड़ने से रोका जा सकता है। बढ़िया खान-पान, नियमित रूप से कसरत करने, धूम्रपान नहीं करने जैसी स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली अपनाने से हृदय संबंधी विकारों और अंतत: हृदयाघात से बचा जा सकता है।
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