तीस वर्ष की बरखा दुग्गल का वजन अचानक बढ़ने लगा था। उनके पति ने उन्हें जिम जाने की सलाह दी। व्यायाम करते समय बरखा को काफी असहज महसूस होता। हालांकि, उनके दोस्तों और रिश्तेदारों का यही कहना था कि क्योंकि उन्हें अभी व्यायाम की आदत नहीं है, इसलिए उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है और कुछ समय बाद सब ठीक हो जाएगा। लेकिन समय के साथ-साथ उनकी समस्या बढ़ती गई।
डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि बरखा उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित है। उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और मोटापे को लेकर बरखा का कोई पारिवारिक इतिहास नहीं था, तो वह इस बात को लेकर बेफिक्र थी कि उसे दिल की कोई बीमारी नहीं होगी। लेकिन, डॉक्टर के जोर देने पर बरखा ने एंजियोग्राफी कराई तो एक चौंकाने वाले सच से उसका सामना हुआ। उसे पता चला कि उसकी हृदय धमनी में 90 फीसदी रुकावट है।
बरखा की ही तरह ऐसे कई शहरी युवा हैं, जो इस तथ्य से अनजान हैं कि वे हृदय रोगों के आसानी से शिकार बन सकते हैं। देखा गया है कि कई समस्याओं का मूल कारण युवाओं की बेतरतीब जीवनशैली है। कार्यस्थल पर तनाव, काम के लंबे घंटे, बाहर भोजन करना, भोजन का सही समय न होना, शारीरिक क्रियाकलापों में कमी और अपने शरीर के प्रति लापरवाह रवैया अपनाने का खामियाजा बेचारे दिल को भुगतना पड़ता है। इन आदतों के चलते कई बार हमें घातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
ये लक्षण दिखाई देने पर हो जाएं सचेत
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- सांस टूटना यानी रुक-रुक कर सांस आना
- घबराहट, दिल की धड़कनों का अनियमित होना
- छाती, बाजुओं और कलाई में दर्द और तनाव
- गले में असहजता (गले में कुछ फंसा हुआ महसूस होना)
अगर आपको ये संकेत नजर आ रहे हैं, तो वक्त आ गया है कि आप अपने जीने के अंदाज में बदलाव करें। ताकि आप हृदय रोग के खतरों को कम कर सकें। आप इन उपायों को अपनाकर दिल की बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं।
रोजाना कोई न कोई शारीरिक गतिविधि जरूर करें
- आहार पर काबू रखें। संतुलित और पौष्टिक भोजन करें
- धूम्रपान और तम्बाकू के सेवन से दूर रहें
- उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप की जांच करवाते रहें
हालांकि, दिल की सभी बीमारियां हृदयाघात जितनी खतरनाक नहीं होती। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (बीएचएस) और स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी दिल की एक अस्थायी बीमारी है जिसे कई बार गलती से गंभीर हृदयाघात समझ लिया जाता है। यह आमतौर पर अत्यंत गंभीर और अचानक हुए भावनात्मक सदमे की वजह से होता है, जैसे- किसी नजदीकी की मृत्यु, तलाक/ब्रेक-अप, नौकरी जाना और यहां तक कि सरप्राइज पार्टी से भी ऐसी परिस्थिति पैदा हो सकती है। बीएचएस में दिल का एक हिस्सा फैल जाता है और सही प्रकार से पम्प नहीं कर पाता, बाकी दिल की कार्यप्रणाली पर इसमें कोई असर नहीं पड़ता।
बीएचएस के लक्षण
- छाती में अकड़न
- भूख और नींद में कमी
- अकेलापन, निराशा और एकाकी महसूस होना
- लगातार रोते रहना
- घृणा महसूस होना
राहत की बात यह है कि यह परिस्थिति अस्थायी होती है और आमतौर पर एक सप्ताह में व्यक्ति इससे उबर आता है। आमतौर पर इससे पीड़ित व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह परिस्थिति का कैसे सामना करता है और किस तरह सामान्य जीवन व्यतीत कर पाता है।
दिल हमारे शरीर के पांच महत्त्वपूर्ण अंगों में से है और हमें इसकी देखभाल करनी चाहिए। यदि आपको दिल की कार्यप्रणाली में किसी भी प्रकार की अनियमितता नजर आए तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। व्यक्ति को दिल की सेहत के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए। नियमित चेकअप और डॉक्टरी सलाह आपके जीवन का हिस्सा होनी चाहिए।
डॉक्टर अमर सिंघल (लेखक श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी हैं।)
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