कैटेगरी: मदर एंड इन्फैंट केयर (मातृत्व और शिशु की देखभाल)
परिचय: रोनिता कृष्णा शर्मा
योगदान: अपना दूध उन बच्चों को पिलाया जिनकी मां या तो कोविड से आइसोलेट हो गई थी या उनकी मृत्यु हो गई थी।
नॉमिनेशन का कारण: कोविड की वजह से जिन बच्चों की मां की मृत्यु हो गई थी या जिनकी मां आइसोलेट हो चुकी थीं, रोनिता ने ऐसे बच्चों को अपना ब्रेस्ट मिल्क पिलाकर उनकी मदद की।
कोविड की दूसरी लहर के दौरान रोनिता कृष्णा शर्मा रेखी जो कि मुंबई की सेलिब्रिटी हैं और साथ ही प्रोडक्शन मैनेजर का काम भी करती हैं, उस समय गुवहाटी में थीं। उनके सामने एक सोशल मीडिया पोस्ट आई। यह पोस्ट दिल्ली के किसी बच्चे के लिए दूध की अपील थी जिसकी मां कोविड संक्रमित होने के कारण आइसोलेट हो गई थी। इन्होंने सोचा कि केवल कुछ ही समय की बात है और इस तरह की मांग गुवहाटी, असम में भी बढ़ने लग जायेगी। इसलिए 4 मई को जब इनका खुद का बच्चा केवल दो महीने का था, रेखी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली जिसमें उन्होंने अपना दूध ऐसे बच्चों के फ्री में देने का ऑफर किया जिनकी मां की कोविड संक्रमण से या तो मृत्यु हो गई थी और या जो आइसोलेट हो गई थीं।
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कोविड के समय में ऐसी सहायता करने वाली वो संभवतः पहली और इकलौती महिला थीं। इनकी मेहनत के लिए और इस नेक काम के लिए रोनिता कृष्णा शर्मा काफी सारी सराहना ही हकदार हैं। इसलिए ओनली माय हेल्थ इन्हें मदर एंड इन्फैंट केयर की कैटेगरी में हेल्थ केयर हीरो अवार्ड के लिए नामांकित किया है। आइए जानते हैं रोनिता की कहानी।
मदद के लिए आगे आई रोनिता कृष्णा शर्मा
रोनिता बताती हैं कि एक सोशल मीडिया पोस्ट को देखने के बाद ही इनके मन में ऐसा काम करने का ख्याल आया। इसलिए 4 मई को इन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि, "क्योंकि मैं गुवाहाटी में रहती हूं इसलिए केवल यहां अगर किसी नए जन्मे बच्चे को ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत है तो मैं मदद के लिए तैयार हूं।" रोनिता कहती हैं कि अपनी दो महीने की बच्ची जिसका जन्म 10 मार्च को हुआ था, की जरूरतों का ध्यान रखते हुए ही मैं दूसरे बच्चों की मदद करती हूं।
इनको अपने परिवार और दोस्तों से भी पूरा सहारा मिला। इस प्रकार उन्हें ब्रेस्टफीडिंग जैसे विषयों पर जिसे काफी शर्मिला टॉपिक माना जाता है, उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी। रोनिता कहती हैं कि अगर दिन में उनके पास 100 मैसेज आते थे तो 90 केवल इन प्रश्नों पर होते थे कि यह प्रक्रिया कैसे शुरू होगी। कई ऐसे पुरुषों के मैसेज भी आए जो कह रहे थे कि वह अपनी पत्नियों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेंगे।
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ब्रेस्टफीडिंग पर रोनिता के विचार
रेखी एक मीडिया हाउस को बताती हैं कि जिस प्रकार हमें भूख लगती है उसी प्रकार बच्चों को भूख लगना भी प्राकृतिक है और ब्रेस्ट फीडिंग जैसी प्रक्रियाओं को भी प्राकृतिक मान कर इसे एक अलग नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान ही बच्चा अपनी मां से जुड़ पाता है। बहुत सी महिलाएं बच्चे को दूध पिला पाने में असमर्थ होती हैं और इन्हें इन समस्याओं के बारे में बात करनी चाहिए न कि शर्म के मारे चुप रहना चाहिए।
यह कहती हैं कि पहले तीन दिन तक मुझे भी बच्चे को दूध पिलाते समय तकलीफ हुई थी। मैं उस समय रोती थी पर डॉक्टरों की मदद और दिशानिर्देश के अनुसार सब सही होता चला गया। यह हर उन महिलाओं से अपील करती हैं, जो अतिरिक्त ब्रेस्ट मिल्क उत्पादित करती हैं की उन्हें भी जरूरतमंद बच्चों के लिए दूध डोनेट करना चाहिए।
इनके इस प्रयास को अगर दुनिया के सामने अधिक पहचान दिलवाना चाहते हैं तो इनके लिए वोट दें ताकि यह अवार्ड जीत सकें।