Healthcare Heroes Awards 2022: कोविड की दूसरी लहर में लोगों को मदद के लिए 3 दोस्तों ने बनाया Karuna App

कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन, बेड्स, वेंटिलेटर्स और दवाओं के लिए भटकते परिजनों को सटीक जानकारी देने के लिए 3 दोस्तों ने बनाया करुणा ऐप।
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Healthcare Heroes Awards 2022: कोविड की दूसरी लहर में लोगों को मदद के लिए 3 दोस्तों ने बनाया Karuna App


कैटेगरी: ऑक्सीजन वॉरियर्स

परिचय:  करुणा ऐप (बनाने वाले मिलन रॉय, स्वप्निल शर्मा और प्रणित गनवीर)

योगदान:  कोविड-19 के समय जब भारत में चारों तरफ वेंटिलेटर्स, ऑक्सीजन, हॉस्पिटल बेड और प्लाज्मा जैसे चीज़ों के लिए मारा-मारी हो रही थी, उस समय इन सब सुविधाओं की उपलब्धता की जानकारी के लिए IIT के पूर्व  छात्रों ने ‘करुणा’ ऐप लॉन्च किया।  

नॉमिनेशन का कारण:  कोरोना की दूसरी महामारी के समय जब लोग अस्पतालों और घरों में कोविड के इलाज से जुड़े संसाधनों की कमी से जूझ रहे थे, तब करुणा ऐप ने एक ही प्लेटफॉर्म पर विश्वसनीय जानकारी देकर लोगों की मुश्किल को आसान किया।  

2021 में कोरोना की दूसरी लहर में हजारों लोगों की जान चली गई। किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक छोटा सा वायरस इतना विकराल रूप ले लेगा। 16 मई 2021 को कोरोना पीड़ितों की संख्या 25 लाख दर्ज की गयी। चारों तरफ सिर्फ तबाही का मंजर था। अर्जेन्ट बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, प्लाज्मा और दवाइयों की जरूरत के लिए सबके फ़ोन पर कॉल और मैसेज आते रहते।  इस मेडिकल इमरजेंसी के समय सब व्हाट्स ऐप और सोशल मिडिया पर रिलेटेड मैसेज और पोस्ट डालते रहते थे, लेकिन इनमें से 95 % मामलों में या तो जानकारी गलत होती थी, या कॉल करने तक संसाधन खत्म हो गए होते थे। कहीं भी सही और सटीक जानकारी न मिल पाने से लोग और ज्यादा स्ट्रेस में आने लगे थे। इसी तरह के मैसेज लगातार तीनों दोस्त मिलन रॉय, प्रणित रनवीर और स्वप्निल शर्मा, के फ़ोन पर भी आ रहे थे। अपने मरीज को संभालते हुए मेडिकल सुविधाओं की जानकारी जुटाना बहुत मुश्किल था। उन्होंने उस समय लोगों के इस मानसिक तनाव को बखूबी महसूस किया। बिना एक क्षण गंवाए इन तीनों IIT बैचमेट ने अपनी तकनीकी ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए यूजर-फ्रेंडली ऐप बनाने का निश्चय किया।  

karuna aap

तकनीकी ज्ञान से लेकर बचाव कार्य तक  

इन तीनो दोस्तों ने मिलकर डिसाइड किया कि वे एक ऐसी ऐप बनाएंगे जिस पर अलग-अलग शहरों में मौजूद मेडिकल सुविधाओं की पूरी जानकारी होगी। लोग इस ऐप को यूज करके वेरिफाइड डाटा पा सकेंगे। हालांकि इस ऐप को बनाने में इनको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन लोगों के लिए कुछ कर दिखाने की इनकी चाहत रंग लाई। इन्होंने बिना कोडिंग के आसानी से चलने वाली 'CovRelief' नाम की ऐप बनाई, जो बाद में 'करुणा' ऐप के नाम से जानी गयी। बड़ी मात्रा में ऑथेन्टिक इनफार्मेशन जुटाने के लिए इन्होंने गवर्नमेंट वेबसाइट का सहारा लिया। इन तीनो दोस्तों ने LinkedIn और WhatsApp पर लोगों को अपनी इस ऐप की जानकारी दी।   

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कल्पना के परे मिला सहयोग

जब उन्होंने अगले दिन ऐप का स्टेटस चेक किया तो रिजल्ट देखकर वो चौंक गए। उन्होंने पाया कि 'Easy to Use' फीचर और ऑथेंटिक इनफार्मेशन की वजह से यह ऐप अनेक बड़े राजनेताओं, जर्नलिस्ट और अभिनेताओं द्वारा शेयर की गयी है। उन्हें लोगों की तरफ से, इस ऐप में अन्य दूसरे शहरों की जानकारी जोड़ने के मैसेज आने लगे। इस ऐप से पीड़ितों को मिलने वाली मदद ने उनका उत्साह बढ़ा दिया। CovRelief ऐप पर शहरों की संख्या 6 से बढ़ाकर 40 कर दी गई। हालांकि यह काम उनके लिए थोड़ा मुश्किल था, क्योंकि प्रत्येक शहर के डेटा को हर 15 मिनट पर अपडेट करने की जरूरत होती थी। लेकिन फिर भी वो तीनो दोस्त इस ऐप पर लगातार काम करते रहे। उनकी निरंतर चलती मेहनत सफल हुई और एक हफ्ते में उनका काम गूगल पर अपना रंग जमाता नज़र आया। गूगल ने इस नेक काम के लिए अपने 50 वर्कर्स की टीम को CovRelief के डेटा की देख-रेख पर लगा दिया और अपने क्लाउड प्लेटफार्म पर इस ऐप की होस्टिंग की अनुमति दी। उन्होंने इस बीच Covid Survivor Force India (CFSI) से भी संगठन किया ताकि लोग जरूरत में CFSI के कार्यकर्ताओं से जुड़ सकें। 

karuna app covid

रमेश रसकर की फाउंडेशन 'PathCheck' ने मिलन रॉय से सीधा संपर्क साधा। PathCheck एक धर्मार्थ टेक संस्था है, जिसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ता काम करते हैं। इस संस्था ने अपने कुशल सदस्यों की टीम और एक बड़ी धनराशि CovRelief को एक डिजास्टर मेनेजमेंट(आपदा प्रबंधन) ऐप में तब्दील करने के लिए प्रदान की। इसके बाद CovRelief का नाम 'करुणा' रख दिया गया। कोलोब्रेशन के बाद यह ऐप पूरी तरह Pathcheck को सौंप दी गयी। जो अभी ऐप को अन्य देशों में लॉन्च करने पर काम कर रही है। कोरोना की दूसरी लहर की समाप्ति के बाद इंडोनिशया में करुणा डेमो ऐप लॉन्च की गयी।   

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ऐसी रही ऐप की सफलता

मिलन, स्वप्निल और प्रणित द्वारा बनाई गई ऐप ने कोरोना के समय में इमरजेंसी में फंसे लोगों को विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध कराई। उनकी इस ऐप को शिक्षा मंत्रालय, IIT के डायरेक्टर, राजनेताओं,अभिनेताओं,पत्रकारों और आम जनता द्वारा खूब प्रशंसा मिली। इस ऐप को 25 मिलियन से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं। मिलन , स्वप्निल और प्रणित ने इस ऐप को बनाकर कठिन समय में लोगों को सहारा दिया, जिससे सही जानकारी पाकर वे अपने परिवार, दोस्त और रिश्तेदारों की जान बचा पाए। अगर आपको भी लगता है कि इन तीनों दोस्तों ने अपने ज्ञान का उपयोग मानवहित में करके,परोपकार का उदाहरण प्रस्तुत किया है तो इनको वोट करके इनका मनोबल अवश्य बढ़ाएं। 

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