Healthcare Heroes Awards 2022: कोविड मरीजों की जान बचाने के लिए 14 बार प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं अजय मुनोत

कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना के बेहद गंभीर मरीजों के लिए अजय मुनोत ने लगातार 14 बार अपना प्लाज्मा दान दिया, जिससे कई लोगों का जीवन बचाया जा सका। 
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Healthcare Heroes Awards 2022: कोविड मरीजों की जान बचाने के लिए 14 बार प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं अजय मुनोत

कैटेगरी :  लाइफ सेवर्स (जीवनरक्षक) 

परिचय :  अजय मुनोत

योगदान : कोरोना बीमारी से ठीक होने के बाद, अपना प्लाज्मा 14 बार डोनेट (दान) करने वाले अकेले शख्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज।

नॉमिनेशन का कारण: कोविड से लड़ रहे मरीजों की मदद के लिए 14 बार अपना प्लाज्मा डोनेट किया।   

कोविड-19 एक ऐसा दौर जिसने लोगों को भीतर तक झकझोड़ कर रख दिया। जिससे उबरने के लिए किसी को अपनों का साथ मिला तो किसी को दूसरों ने सहारा देकर संभाला। ऐसी ही एक शख्सियत हैं, पुणे के रहने वाले ‘अजय मुनोत’ जिन्होंने अपना प्लाज्मा देकर अनेक लोगों को जीवनदान दिया है। जी हाँ, इन्होंने केवल एक-दो बार नहीं बल्कि 14 बार अपना प्लाज्मा दान कर एक मिसाल कायम की है। इस महान काम के लिए उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। अजय पहली बार जुलाई 2020 में कोविड पॉजिटिव हुए थे। जिसके एक महीने बाद इन्होंने पहली बार प्लाज्मा डोनेट किया। इसके बाद वह हर पन्द्रहवें दिन प्लाज्मा डोनेट करते रहे। इस काम को करने का उनका इरादा एकदम पक्का था। अपने प्लाज्मा डोनेशन में रुकावट की आशंका के चलते उन्होंने कोविड वैक्सीन न लगवाने का निश्चय किया। क्योंकि वैक्सीन लगवाने से उनके भीतर एंटीबॉडीज बननी बंद हो सकती थी जिसके बाद वह प्लाज्मा डोनेट नहीं कर पाते। इस तरह निःस्वार्थ भाव से दूसरों को प्लाज्मा दान कर 'अजय मुनोत' कोरोना वॉरियर की सूची में शामिल हो गए। 

plasma donor ajay munot

Onlymyhealth अपने अभियान Healthcare Heroes Awards 2022 के जरिए ऐसे लोगों को सम्मानित करने जा रहा जो कोरोना महामारी के समय लोगों का सहारा बने और देश सेवा में अपना योगदान दिया। अजय मुनोत को भी Covid warrior की 'Life Saver' कैटेगरी के लिए नॉमिनेट किया गया है। आइए जानते हैं उनकी कहानी –

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मां से मिली लोगों के जीवन की रक्षा की प्रेरणा

अजय ने Onlymyhealth को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि-" मैंने सुना था कि दिल्ली के एक व्यक्ति ने कोविड से ठीक होने के बाद 6 से 7 बार प्लाज्मा डोनेट किया था। मैंने सोचा कि जब वह कर सकता है तो मैं क्यों नहीं ! उस समय कोरोना के गंभीर रोगियों का इलाज केवल प्लाज्मा से संभव था। पहले मैंने प्लाजमा डोनेशन से जुड़े अपने सभी डाउट दूर किए और इसके बाद डिसाइड कर लिया कि मुझे भी प्लाजमा डोनेट करना है।"

साथ ही उनकी माँ भी इस महान कार्य में उनका प्रेरणा स्रोत रहीं। उनकी माँ 'O' टाइप ब्लड ग्रुप डोनर हैं जो रेयर ब्लड ग्रुप माना जाता है। अजय कहते हैं कि "मैंने बचपन से ही माँ को ब्लड डोनेट करते देखा है। इसलिए मुझे ये जानकारी शुरू से थी कि ब्लड डोनेट करके किसी इंसान की ज़िन्दगी बचाई जा सकती है। यह बात कोरोना महामारी के समय भी लागू हुई। प्लाज्मा लोगों के लिए संजीवनी की तरह काम कर रहा था। उन्होंने बताया कि- "एक बार मैं चौदहवें दिन प्लाज्मा देने चला गया लेकिन मुझे वापिस भेज दिया गया। ऐसा इसलिए था कि एक बार प्लाज्मा डोनेशन के बाद आप फिर से 14 दिन पूरे होने पर ही प्लाज्मा दे सकते हैं।" अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अजय ने वैक्सीन नहीं लगवाई क्योंकि ऐसा करने पर वह आगे प्लाज्मा डोनेट नहीं कर पाते।

इतनी बार किए गए उनके डोनेशन को लेकर डॉक्टर भी अचम्भे में आ गए थे। बहुत सारे मरीज़ों ने भी इस बारे में पूछताछ की। उन्होंने अपने सभी डोनेशन की डेट और एंटीबॉडीज की लिस्ट भी शेयर की जिसका इस्तेमाल भविष्य में रिसर्च के लिए किया जा सकता है। वह सभी लोगों को यह सन्देश देना चाहते हैं कि यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है और आपके शरीर में एंटीबॉडीज मौजूद होने तक प्लाज्मा कितनी बार भी डोनेट किया जा सकता है। 

plasma donation certificate

कोविड होने के बाद एक बार बिगड़ गई थी तबीयत

जुलाई 2020 में , कोरोना होने पर उनको कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया। एक दिन अचानक उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगी जिससे उनकी हालत काफी बिगड़ गई लेकिन डॉक्टर्स की दी हुई दवाइयाँ लेने के बाद वह ठीक हो गए।  

अजय मुनोत अपने परिवार के बारे में बताते हुए बोले - "पहले घबराए लेकिन बाद में सहयोग किया"

"शुरुआत में किसी को प्लाजमा डोनेशन की ख़ास जानकारी नहीं थी। प्लाजमा डोनेशन की बात सुनकर मेरा परिवार घबरा गया। लेकिन बाद में इस प्रक्रिया को समझने के बाद मुझे उनका भरपूर सहयोग मिला।"

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क्या है प्लाज्मा डोनेशन की प्रक्रिया?

प्लाज्मा डोनेशन की प्रक्रिया के बारे में अजय मुनोत कहते हैं कि- "यह प्रक्रिया एकदम ब्लड डोनेशन की तरह है। इसमें आपके शरीर से ब्लड निकालकर इससे प्लाज्मा को अलग कर लिया जाता है और प्लाज्मा रहित ब्लड को वापस आपके शरीर में डाल दिया जाता है। मशीन के माध्यम से ये पूरी प्रक्रिया एक ही समय पर होती रहती है। 

प्लाज्मा डोनेशन में दो मुश्किल आ सकती हैं

  • जब आपके शरीर में ब्लड वापिस चढ़ाया जाता है तो आपकी खून की नलियां मजबूत होनी चाहिए जो उस ब्लड को झेल सकें। ऐसा न होने पर आपकी बॉडी में ब्लड क्लॉट बन सकते हैं। 
  • दूसरा आपकी एंटीबॉडीज हाई लेवल की होनी चाहिए। 

उन्होंने कहा कि- "मेरे केस में ये दोनों चीज़ें अच्छी थीं।"

कोई दुष्परिणाम? पूछे जाने पर अजय का जवाब था-"बिल्कुल नहीं"

अपनी इस बात की पुष्टि करते हुए अजय ने कहा कि "मैं हमेशा प्लाज्मा डोनेशन के पहले और बाद में वीडियो बनाया करता था ताकि लोगों को बता सकूं कि इस प्रक्रिया से डरने की जरूरत नहीं है।" 

इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज हुआ है नाम

अजय कहते हैं कि मेरा नाम इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स के साथ-साथ बुक ऑफ़ अचीवर्स (ग्लोबल) में भी दर्ज है। उन्होंने ओनलीमायहेल्थ को बताया- "यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरे इस प्रयास की सराहना भारत ही नहीं, विदेशी मीडिया में भी की गई। मैं खुश हूं कि मेरे इस प्रयास से लोगों में प्लाज्मा डोनेशन को लेकर बना हुआ डर कम हुआ और बहुत सारे लोगों ने उनसे प्रेरणा ली।" कई विदेशी समाचार पत्रों और वेबसाइट्स पर उनके रिकॉर्ड प्लाज्मा डोनेशन की कवरेज की गई। कोविड वॉरियर होना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। अजय भविष्य में मृत्युपरांत अपने शरीर का दान करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि- "रीति-रिवाज के नाम पर शरीर की अंतिम क्रिया करने से बेहतर है कि उसको किसी दूसरे इंसान के जीवन के लिए दान कर दिया जाए।"

Onlymyhealth के जरिए हम रियल हीरो ‘अजय' की हौंसला अफजाई करते हैं जिन्होंने अपनी संकल्पशक्ति के दम पर असंभव को संभव बनाते हुए लोगों को जीवन दिया। अगर आप चाहते हैं कि अजय के इस नेक काम से सीख लेकर दूसरे लोग भी आगे बढ़ें तो ज्यादा से ज्यादा संख्या में उनको वोट दें, ताकि चलते फिरते प्लाज्मा बैंक-'अजय मुनोत' की कहानी पूरी दुनियां जान सके। 

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